अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों से प्रभावित हो रही है मिटटी की उर्वरता: अध्ययन

Webdunia
गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021 (13:15 IST)
नई दिल्ली, ‘दीर्घकालिक उर्वरक प्रयोग’ पर अखिल भारतीय समन्वित शोध परियोजना के तहत नियत स्थान पर 50 वर्षों की अवधि में किए गए अध्ययन में चौंकाने वाली जानकारियां सामने आयी हैं।

अध्ययन में पाया गया है कि एक ही खेत में नाइट्रोजन उर्वरकों के निरंतर उपयोग से मृदा-स्वास्थ्य और फसल उत्पादकता ह्रास के साथ मिट्टी के पोषक तत्वों का भी क्षरण हो रहा है।

नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम (एनपीके) जैसे तत्वों का लगातार प्रयोग करने से मिट्टी में सूक्ष्म और द्वितीयक पोषक तत्वों की कमी हो रही है, जो कम उपज का कारण बन सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी पौधे की वृद्धि को प्रभावित करने के साथ पौधों में विकारों का कारण बन सकती है।
नाइट्रोजन उर्वरकों का तय सीमा से अधिक उपयोग भू-जल में नाइट्रेट संदूषण की संभावना बढ़ा देता है। इसका पेयजल के रूप में उपयोग मनुष्य और पशुओं के स्वास्थ्य पर घातक प्रभाव डाल सकता है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) संतुलित मृदा परीक्षण और एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन के लिए रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करने के लिए कहता है। इससे मृदा-स्वास्थ्य के बिगड़ने, पर्यावरण और भू-जल के दूषित होने के खतरों को कम करने में मदद मिलती है। इसके साथ ही, नाइट्रोजन उर्वरकों के लगातार इस्तेमाल के स्थान पर मृदा परीक्षण आधारित संतुलित और मिश्रित (जैविक एवं अजैविक) उर्वरक अनुप्रयोग को बढ़ावा देने पर बल दिया जाता है।

नवीनतम जानकारी के अनुसार, भारत में वर्ष 2017-18 में 54.38,  2018-19 में 56.21,  2019-20 में 59.88 और 2020-21 (खरीफ फसल 2020 तक) में 33.85 मिलियन टन उर्वरक उत्पादों की खपत हुई। इन उर्वरक उत्पादों में यूरिया, डि-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी), म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी), कॉम्प्लेक्स और सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) शामिल हैं।

सरकार ने देश में मृदा परीक्षण आधारित संतुलित और विवेकपूर्ण उर्वरक अनुप्रयोग को बढ़ावा देने के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड पर एक राष्ट्रीय मिशन शुरू किया है। इसी तरह, देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना और उत्तर-पूर्व क्षेत्र के लिए मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट के तहत जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। ये जानकारियां केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने संसद में एक प्रश्न के जवाब में साझा की हैं ।

इन सभी पहलुओं पर किसानों को शिक्षित करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों और कृषि विश्वविद्यालयों सहित आईसीएआर संस्थानों के माध्यम से प्रशिक्षण और प्रदर्शनी आयोजित किए जाते हैं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Pakistan के लिए जासूसी कर रहे आरोपी को ATS ने पकड़ा, पाकिस्तानी सेना और ISIS को भेज रहा था जानकारी

बांग्लादेश को भारत की फटकार, हिन्दुओं की सुरक्षा की ले जिम्मेदारी

ताजमहल या तेजोमहालय, क्या कहते हैं दोनों पक्ष, क्या है इसके शिव मंदिर होने के सबूत?

EPFO 3.0 में होंगे बड़े बदलाव, ATM से निकाल सकेंगे PF का पैसा, क्या क्या बदलेगा?

नीबू हल्‍दी से कैंसर ठीक करने का नुस्‍खा बताकर फंसे नवजोत सिंह सिद्धू, ठोका 850 करोड़ का केस

सभी देखें

नवीनतम

महाराष्ट्र और हरियाणा में क्‍यों हारी कांग्रेस, CWC की बैठक में मल्लिकार्जुन खरगे ने बताया

क्यों पैतृक गांव गए हैं एकनाथ शिंदे, शिवसेना नेता ने किया खुलासा, क्या महाराष्ट्र में बनने वाला है नया समीकरण

वक्फ बोर्ड को अब नहीं मिलेंगे 10 करोड़, भाजपा ने किया विरोध, महाराष्ट्र सरकार ने वापस लिया आदेश

Delhi : प्रशांत विहार में धमाके के 1 दिन बाद निजी स्कूल को मिली बम से उड़ाने की धमकी

India-China : PM मोदी ने जिनपिंग के साथ बैठक के दौरान मतभेदों को निपटाने पर दिया जोर, क्या बोले विदेश मंत्री

अगला लेख