बढ़ रही अमेरिका में शरण मांगने वाले भारतीयों की संख्या : सुषमा स्वराज

Webdunia
शुक्रवार, 27 जुलाई 2018 (19:08 IST)
नई दिल्ली। अमेरिका में शरण मांगने वाले भारतीयों की संख्या पिछले कुछ समय में तेजी से बढ़ी है और इसमें सबसे ज्यादा लोग पंजाब से आवेदन कर रहे हैं।
 
 
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शुक्रवार को यहां 'एनआरआई विवाह और महिलाओं एवं बच्चों की तस्करी : मसले एवं समाधान' विषय पर आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि अब एजेंटों ने एक नया ट्रेंड शुरू कर दिया है। वे शरणार्थियों के रूप में लोगों के अमेरिका भेजने के सब्जबाग दिखाते हैं।
 
उन्होंने बताया कि पहले 1 साल अमेरिका में शरण मांगने वालों की संख्या 52 थी, उसके बाद 101 पर और फिर 340 पर पहुंच गई। इनमें सबसे ज्यादा पंजाब के लोग होते हैं। उसके बाद क्रमश: हरियाणा और गुजरात का नंबर है। ये इस उम्मीद में हर तरह के कष्ट सहते हैं कि एक बार अमेरिका की नागरिकता मिल जाने के बाद सब ठीक हो जाएगा।
 
स्वराज ने कहा कि एजेंट उन्हें सिखा देते हैं कि भारतीय दूतावास के कर्मचारियों से बात भी मत करना, क्योंकि ऐसा करने पर साबित होगा कि भारत सरकार तुम्हारी मदद कर रही है और फिर तुम्हें अमेरिका की नागरिकता नहीं मिलेगी। इसलिए हम कोशिश करके भी उनकी मदद नहीं कर पा रहे। हमारे कर्मचारी उनसे बात करने की कोशिश करते हैं, लेकिन वे मना कर देते हैं। पंजाब के लोग कहते हैं कि हम 'आप' वाले हैं और वहां कांग्रेस की सरकार हमें परेशान कर रही है। हरियाणा वाले कहते हैं, हम कांग्रेस वाले हैं और वहां भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन गई है जिससे हमें खतरा है।
 
विदेश मंत्री ने कहा कि पिछले साल आवेदन करने वाले 340 लोगों में एक दिल के मरीज और एक बच्चे ने और कष्ट सहने से मना कर दिया और वे वापस आ गए और उन्होंने बताया कि शरण मिलने से पहले आवेदक को किन परिस्थितियों में रहना पड़ रहा है। आवेदकों में अधिकतर 20-22 साल की उम्र के होते हैं।
 
स्वराज ने कहा कि मानव तस्करी रोकने के लिए विदेश भेजने वाले फर्जी एजेंटों का धंधा बंद करना जरूरी है और यह काम स्थानीय स्तर पर ही संभव है। 26 मई 2014 से 31 दिसंबर 2017 तक विदेश में फंसे 1 लाख 1 हजार 366 लोगों को वापस लाया गया है। ये वे लोग हैं जिन्हें अच्छी नौकरी और सुविधाओं के लोभ में फंसाकर भेजा जाता है और वहां जाकर बेहद कम वेतन पर और कठिन परिस्थितियों में रखा जाता है। उनका पासपोर्ट भी एजेंट के प्रतिनिधि ले लेते हैं।
 
उन्होंने कहा कि ये कमाएं, उन्हें फंसाएं और दूतावास मदद करता रहे- यह समाधान नहीं है। इस चक्र को समाप्त करने के लिए जरूरी है कि फर्जी एजेंटों का धंधा बंद हो। (वार्ता)

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