नवरात्रि की छठी देवी मां कात्यायिनी की पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरती

WD Feature Desk
गुरुवार, 3 अप्रैल 2025 (10:12 IST)
Goddess Katyayani: चैत्र नवरात्रि के दिनों में छठवें दिन नवदुर्गा पूजा में षष्ठी की देवी मां कात्यायिनी का पूजन किया जाता है। इसके बाद उनकी कथा पढ़ी या सुनी जाती है। यहां जानते हैं माता कात्यायिनी की पावन पूजा, आरती, मंत्र सहित सभी कुछ।ALSO READ: नवरात्रि की छठी देवी मां कात्यायनी की कथा
 
मां कात्यायिनी का स्वरूप : इनकी चार भुजाएं हैं। दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। मां के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। इनका वाहन भी सिंह है। इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। भक्तों के रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इसलिए कहा जाता है कि इस देवी की उपासना करने से परम पद की प्राप्ति होती है।
 
मां कात्यायनी मंत्र- 
सरल मंत्र- ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
मंत्र- 'ॐ ह्रीं नम:।।'
 
मंत्र- चन्द्रहासोज्जवलकराशाईलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।
 
मं‍त्र- 'कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।'
 
मां कात्यायिनी देवी का भोग- कात्यायनी की साधना एवं भक्ति करने वालों को मां की प्रसन्नता के लिए शहद युक्त पान अर्पित करना चाहिए। या फिर शहद का अलग से भोग भी लगा सकते हैं।ALSO READ: नवरात्रि में भूल कर भी ना करें ये गलतियां, माता के कोप से अनिष्ट का बनती हैं कारण
 
 नवरात्रि में कात्यायिनी माता की पूजा विधि: 
- मां कात्यायनी की साधना का समय गोधूली काल है। अत: इस समय धूप-दीप, गुग्गुल से मां की पूजा करना चाहिए।
- गोधूली वेला के समय पीले अथवा लाल वस्त्र धारण करके मां कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए।
- इनको पीले फूल और पीला नैवेद्य अर्पित करें। 
- मां के समक्ष दीपक जलाएं।
- इसके बाद 3 गांठ हल्दी की भी चढ़ाएं।
- हल्दी की गांठों को अपने पास सुरक्षित रख लें।
- मां कात्यायनी को शहद अर्पित करें।
- अगर ये शहद चांदी के या मिट्‍टी के पात्र में अर्पित किया जाए तो ज्यादा उत्तम होगा। इससे प्रभाव बढ़ेगा तथा आकर्षण क्षमता में वृद्धि होगी।
- मां को सुगंधित पुष्प अर्पित करने से शीघ्र विवाह के योग बनेंगे साथ ही प्रेम संबंधी बाधाएं भी दूर होंगी।
- इसके बाद मां के समक्ष उनके मंत्रों का जाप करें।
 
मां कात्यायनी की आरती:
जय जय अंबे जय कात्यायनी।
जय जगमाता जग की महारानी ।।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा ।।
कई नाम हैं कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।।
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की ।।
झूठे मोह से छुड़ानेवाली।
अपना नाम जपानेवाली।।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।।
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी ।।
जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।
 
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