रक्षाबंधन पर्व के तीसरे दिन मनेगी बड़ी तीज: पढ़ें सातुड़ी तीज की पौराणिक व्रत कथा

Webdunia
रक्षाबंधन पर्व के तीसरे दिन आता है सुहागिनों का सौंधा सा पर्व सातुड़ी तीज। इस पर्व पर सत्तू के बने विशेष व्यंजनों का आदान प्रदान होता है। वास्तव में इस मौसम में तीज व्रत मनाने का अवसर तीन बार आता है। हरियाली तीज, सातुड़ी तीज व हरतालिका तीज धूमधाम से मनाई जाती है। 
 
सातुड़ी तीज को कजली तीज और बड़ी तीज भी कहते है। सातुड़ी तीज की पूजा करते है। सातुड़ी तीज की कथा, नीमड़ी माता की कथा, गणेश जी की कथा और लपसी तपसी की रोचक कहानी सुनते हैं। इस बार यह पर्व 18 अगस्त 2019, रविवार को है...। पढ़ें सातुड़ी तीज पौराणिक व्रत कथा...  
 
एक साहूकार था उसके सात बेटे थे। उसका सबसे छोटा बेटा अपाहिज़ था। वह रोजाना एक वेश्या के पास जाता था। उसकी पत्नी बहुत पतिव्रता थी। खुद उसे कंधे पर बैठा कर वेश्या के यहां ले जाती थी। बहुत गरीब थी। जेठानियों के पास काम करके अपना गुजारा करती थी। 
 
भाद्रपद के महीने में कजली तीज के दिन सभी ने तीज माता के व्रत और पूजा के लिए सातु बनाए। छोटी बहु गरीब थी उसकी सास ने उसके लिए भी एक सातु का छोटा पिंडा बनाया। शाम को पूजा करके जैसे ही वो सत्तू पासने लगी उसका पति बोला मुझे वेश्या के यहां छोड़ कर आ। 
 
हर दिन की तरह उस दिन भी वह पति को कंधे पैर बैठा कर छोड़ने गई, लेकिन वो बोलना भूल गया, ''तुम जाओ। 
 
वह बाहर ही उसका इंतजार करने लगी इतने में जोर से वर्षा आने लगी और बरसाती नदी में पानी बहने लगा। कुछ देर बाद नदी से आवाज आई...आवतारी जावतारी दोना खोल के पी, पिया प्यारी होय... आवाज सुनकर उसने नदी की तरफ देखा तो दूध का दोना नदी में तैरता हुआ आता दिखाई दिया। उसने दोना उठाया और सात बार उसे पी कर दोने के चार टुकड़े किए और चारों दिशाओं में फेंक दिए। 
 
उधर तीज माता की कृपा से वेश्या अपना सारा धन उसके पति को वापस देकर सदा के लिए वहां से चली गई। पति ने सारा धन लेकर घर आकर पत्नी को आवाज़ दी- दरवाज़ा खोल... तो उसकी पत्नी ने कहा मैं दरवाज़ा नहीं खोलूंगी। तब उसने कहा कि अब मैं वापस नहीं जाऊंगा। दोनों मिलकर सातु पासेगें। 
 
लेकिन उसकी पत्नी को विश्वास नहीं हुआ, उसने कहा- मुझे वचन दो वापस वेश्या के पास नहीं जाओगे। पति ने पत्नी को वचन दिया तो उसने दरवाज़ा खोला और देखा उसका पति गहनों और धन माल सहित खड़ा था। उसने सारे गहने-कपड़े अपनी पत्नी को दे दिए। फिर दोनों ने बैठकर सातु पासा। 
 
सुबह जब जेठानी के यहां काम करने नहीं गई तो बच्चे बुलाने आए काकी चलो सारा काम पड़ा है। उसने कहा अब तो मुझ पर तीज माता की पूरी कृपा है, अब मैं काम करने नहीं आऊंगी। बच्चों ने जाकर मां को बताया, आज से काकी काम करने नहीं आएगी उन पर तीज माता की कृपा हुई है, वह नए-नए कपड़े गहने पहन कर बैठी हैं और काका जी भी घर पर बैठे हैं। सभी लोग बहुत खुश हुए। 
 
हे तीज माता !!! जैसे आप उस पर प्रसन्न हुई वैसे ही सब पर प्रसन्न होना, सब के दुःख दूर करना। 
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Chanakya niti : यदि सफलता चाहिए तो दूसरों से छुपाकर रखें ये 6 बातें

Guru Gochar : बृहस्पति के वृषभ में होने से 3 राशियों को मिलेंगे अशुभ फल, रहें सतर्क

Adi shankaracharya jayanti : क्या आदि शंकराचार्य के कारण भारत में बौद्ध धर्म नहीं पनप पाया?

Lakshmi prapti ke upay: लक्ष्मी प्राप्ति के लिए क्या करना चाहिए, जानिए 5 अचूक उपाय, 5 सावधानियां

Swastik chinh: घर में हल्दी का स्वास्तिक बनाने से मिलते है 11 चमत्कारिक फायदे

Aaj Ka Rashifal: किसे मिलेगा आज भाग्य का साथ, पढ़ें अपना राशिफल (14 मई 2024)

14 मई 2024 : आपका जन्मदिन

14 मई 2024, मंगलवार के शुभ मुहूर्त

Ganga Saptami 2024: गंगा सप्तमी के दिन क्या करना चाहिए?

Budh in mesh : बुध का मेष राशि में गोचर 5 राशियों का सोने जैसा चमकेगा भाग्य

अगला लेख