Shravan Chaturthi Katha: श्रावण संकष्टी चतुर्थी पर पढ़ी जाती है यह पौराणिक कथा, होगी हर मनोकामना पूर्ण

WD Feature Desk
बुधवार, 24 जुलाई 2024 (10:02 IST)
Sankashti Chaturthi
 

Highlights : 
 
श्रावण मास गणेश चतुर्थी व्रत कथा यहां पढ़ें।
स्वामी कार्तिकेय ने बताई इस व्रत की महिमा।
महापुण्यकारी है श्रावण संकष्टी चतुर्थी व्रत। 
 
ALSO READ: Sawan Chaturthi 2024 : सावन मास की गजानन संकष्टी चतुर्थी आज, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
 
Shravan Sankashti Chaturthi Katha : श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाने वाला व्रत, श्रावण संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कहलाता है। भविष्य पुराण में कहा गया है कि जब मन संकटों से घिरा महसूस करे, तो इस गणेश चतुर्थी का व्रत करने से समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं और विद्या, धन, धर्म, अर्थ, मोक्ष व आरोग्य की प्राप्ति होती है। 
 
हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है। इस साल यह व्रत 24 जुलाई 2024, बुधवार को पड़ रहा है। श्रावण मास के श्री गणेश चतुर्थी की व्रत कथा भगवान् श्री कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताई थी। तदनंतर यह कथा स्कंदकुमार जी ने ऋषिगणों को बताई थीं। यहां पढ़ें श्रावण चतुर्थी व्रत की शुभ कथा....
 
श्रावण मास की संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रतकथा के अनुसार प्राचीनकाल में सतयुग की बात हैं कि पर्वतराज हिमाचल की सुन्दर कन्या पार्वती ने शंकर जी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए गहन वन में जाकर कठोर तपस्या की। परन्तु भगवान शिव प्रसन्न होकर प्रकट नहीं हुए तब शैलतनया पार्वती जी ने अनादि काल से विद्यमान गणेश जी का स्मरण किया। 
 
गणेश जी को उसी क्षण प्रकट देखकर पार्वती जी ने पूछा कि मैंने कठोर, दुर्लभ एवं लोमहर्षक तपस्या की, किन्तु अपने प्रिय भगवान् शिव को प्राप्त न कर सकी। वह कष्टविनाशक दिव्य व्रत जिसे नारद जी ने कहा है और जो आपका ही व्रत हैं, उस प्राचीन व्रत के तत्व को आप मुझसे कहिए। 
 
पार्वती जी की बात सुनकर तत्कालीन सिद्धि दाता गणेश जी उस कष्टनाशक, शुभदायक व्रत का प्रेम से वर्णन करने लगे।गणेश जी ने कहा- हे अचलसुते! अत्यंत पुण्यकारी एवं समस्त कष्टनाशक व्रत को कीजिए। इसके करने से आपकी सभी आकांक्षाएं पूर्ण होगी और जो व्यक्ति इस व्रत को करेंगे उन्हें भी सफलता मिलेगी।
 
श्रावण के कृष्ण चतुर्थी की रात्रि में चंद्रोदय होने पर पूजन करना चाहिए। उस दिन मन में संकल्प करें कि जब तक चंद्रोदय नहीं होगा, मैं निराहार रहूंगी। पहले गणेश पूजन कर ही भोजन करूंगी। मन में ऐसा निश्चय करना चाहिए। इसके बाद सफ़ेद तिल के जल से स्नान करें। मेरा पूजन करें। 
 
यदि सामर्थ्य हो तो प्रतिमास स्वर्ण की मूर्ति का पूजन करें। (अभाव में चांदी, अष्ट धातु अथवा मिट्टी की मूर्ति की ही पूजा करें।) अपनी शक्ति के अनुसार सोने, चांदी, तांबे अथवा मिट्टी के कलश में जल भरकर उस पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। मूर्ति कलश पर वस्त्राच्छादन करके अष्टदल कमल की आकृति बनावें और उसी मूर्ति की स्थापना करें। तत्पश्चात षोडशोपचार विधि से भक्ति पूर्वक पूजन करें। मूर्ति का ध्यान निम्न प्रकार से करें- हे लम्बोदर! चार भुजा वाले! तीन नेत्र वाले! लाल रंग वाले! हे नीलवर्ण वाले! शोभा के भंडार! प्रसन्न मुख वाले गणेश जी! मैं आपका ध्यान करता या करती हूं। हे गजानन! मैं आपका आवाहन करता या करती हूं। हे विघ्नराज! आपको प्रणाम करता हूं, यह आसन है। हे लम्बोदर! यह आपके लिए पाद्य हैं। हे शंकरसुवन! यह आपके लिए अर्घ्य है। हे उमापुत्र! यह आपके स्नानार्थ जल हैं। हे व्रकतुंड! यह आपके लिए आचमनीय जल हैं। हे शूर्पकर्ण! यह आपके लिए वस्त्र हैं। हे सुशो‍भित! यह आपके लिए यज्ञोपवीत है। हे गणेश्वर! यह आपके लिए रोली चन्दन है। हे विघ्नविनाशन! यह आपके लिए फूल हैं। हे विकट! यह आपके लिए धूपबत्ती है। हे वामन! यह आपके लिए दीपक है। हे सर्वदेव! यह आपके लिए लड्डू का नैवेद्य है। हे देव! यह आपके निमित फल हैं। हे विघ्नहर्ता! यह आपके निमित मेरा प्रणाम है। प्रणाम करने के बाद क्षमा प्रार्थना करें। 
 
इस प्रकार षोडशोपचार रीति से पूजन करके नाना प्रकार के प्रसादों को बनाकर भगवान को भोग लगाएं। हे देवी! शुद्ध देशी घी में पंद्रह लड्डू बनाएं। सर्व प्रथम भगवान को लड्डू अर्पित करके उसमें से पांच ब्राह्मणों को दे दें। अपनों सामर्थ्य के अनुसार दक्षिण देकर चंद्रोदय होने पर भक्तिभाव से अर्घ्य देवें। तदनन्तर पांच लड्डू का स्वयं भोजन करें। फिर हे देवी! तुम सब तिथियों में सर्वोत्तम हो, गणेश जी की परम प्रियतमा हो। हे चतुर्थी हमारे द्वारा प्रदत अर्ध्य को ग्रहण करों, तुम्हें प्रणाम हैं। निम्न प्रकार से चन्द्रमा को अर्घ्य प्रदान करें- क्षीरसागर से उतपन्न हे लक्ष्मी के भाई! हे निशाकर! रोहिणी सहित हे शशि! मेरे दिए हुए अर्घ्य को ग्रहण कीजिए। 
 
गणेश जी को इस प्रकार प्रणाम करें-हे लम्बोदर! आप सम्पूर्ण इच्छाओं को पूर्ण करने वाले हैं आपको प्रणाम हैं। हे समस्त विघ्नों के नाशक! आप मेरी अभिलाषाओं को पूर्ण करें। तत्पश्चात ब्राह्मण की प्रार्थना करें-हे दिव्जराज! आपको नमस्कार हैं, आप साक्षात देव स्वरुप हैं। गणेश जी प्रसन्नता के लिए हम आपको लड्डू समर्पित कर रहे हैं। आप हम दोनों का उद्धार करने के लिए दक्षिणा सहित इन पांच लड्डुओं को स्वीकार करें। हम आपको नमस्कार करते हैं। 
 
इसके बाद ब्राह्मण भोजन कराकर गणेश जी से प्रार्थना करें। यदि इन सब कार्यों के करने को शक्ति न हो तो अपने भाई-बंधुओं के साथ दही एवं पूजन में निवेदित पदार्थ का भोजन करें। प्रार्थना करके प्रतिमा का विसर्जन करें और अपने गुरु को अन्न-वस्त्रादि एवं दक्षिणा के साथ मूर्ति दे देवें। इस प्रकार से विसर्जन करें- हे देवों में श्रेष्ठ! गणेश जी! आप अपने स्थान को प्रस्थान कीजिए एवं इस व्रत पूजा के फल को दीजिए।
 
हे सुमुखि! इस प्रकार जीवन भर गणेश चतुर्थी का व्रत करना चाहिए। यदि जन्म भर न कर सकें तो 21 वर्ष तक करें। यदि इतना करना भी संभव न हो तो एक वर्ष तक बारहों महीने के व्रत को करें। यदि इतना भी न कर सकें तो वर्ष के एक मास को अवश्य ही व्रत करें और श्रावण चतुर्थी को व्रत का उद्यापन करें। इससे सभी संकट नाश को पाते हैं। 
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

ALSO READ: Sawan Bhajan: सावन में सुनें भोलेनाथ के ये 4 मशहूर भजन, भक्ति से गूंज उठेगा घर

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

कृष्ण के जीवन से सीखें ये 10 मैनेजमेंट मंत्र, ज़िन्दगी बनेगी आदर्श और आसान

Hartalika Teej 2024 Date: हरतालिका तीज 2024 मुहूर्त टाइम, व्रत, अनुष्‍ठान विधि

krishna janmashtami 2024: जन्माष्टमी पर कैसे करें भगवान कृष्ण का ध्यान, जानें पूजा विधि एवं मंत्र

krishna janmashtami 2024: श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2024 पर क्या है निशीथ पूजा का मुहूर्त?

krishna janmashtami 2024: श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार बन रहे हैं दुर्लभ योग, इन राशियों को मिलेगा आशीर्वाद

सभी देखें

धर्म संसार

Weekly Horoscope 2024: नए हफ्ते का साप्ताहिक राशिफल, पढ़ें (26 अगस्त से 1 सितंबर तक)

साप्ताहिक पंचांग 2024: 26 अगस्त से 01 सितंबर, जानें नए हफ्ते के सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त (weekly muhurat)

Aaj Ka Rashifal: मेष से मीन राशि का दैनिक भविष्यफल, जानें 25 अगस्त के दिन किसे होगा धनलाभ

Radha ji ke Naam: राधा रानी के भक्ति भरे इन प्यारे नामों पर रखें अपनी बिटिया का नाम, उज्ज्वल होगा भविष्य

25 अगस्त 2024 : आपका जन्मदिन

अगला लेख