गंगा सप्तमी के दिन क्या करते हैं जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त

WD Feature Desk
शनिवार, 3 मई 2025 (07:03 IST)
Ganga Saptami mythology: हिन्दू पंचांग कैलेंडर के अनुसार प्रतिवर्ष गंगा सप्तमी का पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार गंगा सप्तमी मां गंगा के प्रति अपनी श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है। इस दिन पवित्र मन से उनकी पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। वर्ष 2025 में, गंगा सप्तमी शनिवार, 3 मई को मनाई जाएगी।ALSO READ: गंगा में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो नर्मदा स्नान करके पाएं संगम स्नान से भी ज्यादा पुण्य, जानिए शास्त्र सम्मत जानकारी

आइए यहां जानते हैं गंगा सप्तमी के पूजन मुहूर्त और करने योग्य कार्य के बारे में...
  
वर्ष 2025 में गंगा सप्तमी या गंगा जयंती 3 मई 2025, शनिवार को मनाई जाएगी। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये मुहूर्त पंचांग के अनुसार हैं, और स्थानीय पंचांग के अनुसार इनमें थोड़ा अंतर हो सकता है।
 
गंगा सप्तमी/जयंती पर पूजन के शुभ मुहूर्त...
 
• वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि प्रारंभ: 3 मई 2025 को सुबह 07:51 बजे
• सप्तमी तिथि समाप्त: 4 मई 2025 को सुबह 07:18 बजे
 
• गंगा सप्तमी मध्याह्न मुहूर्त (पूजा के लिए शुभ समय): 3 मई 2025 को सुबह 10:58 बजे से दोपहर 01:38 बजे तक।
• पूजा की कुल अवधि- 02 घंटे 40 मिनट्स
 
गंगा सप्तमी के दिन क्या करते हैं: गंगा सप्तमी का दिन मां गंगा के पुनर्जन्म के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भक्त मां गंगा की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। 
 
• गंगा स्नान: इस दिन गंगा नदी में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यदि गंगा नदी तक जाना संभव न हो, तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है। मान्यता है कि ऐसा करने से सभी पाप धुल जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
 
• मां गंगा की पूजा: इस दिन मां गंगा की प्रतिमा या चित्र को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें। उन्हें फूल, अक्षत, चंदन, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
 
• अर्घ्य देना: मां गंगा को जल में पुष्प और अक्षत डालकर अर्घ्य दें।
 
• गंगा मंत्रों का जाप: इस दिन गंगा मंत्रों का जाप करना बहुत फलदायी माना जाता है। कुछ प्रमुख मंत्र इस प्रकार हैं: 
 
- 'ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नम:।'
- 'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं नमो भगवति गंगे माये विष्णुपत्नि पाहि पाहि तारय तारय।'
 
• गंगा आरती: सायंकाल में गंगा घाटों पर विशेष गंगा आरती का आयोजन किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त भाग लेते हैं। यदि आप गंगा घाट के पास हैं तो इस आरती में अवश्य शामिल हों।
 
• कथा सुनें या पढ़ें: गंगा सप्तमी की कथा सुनना या श्रवण करना भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
 
• पितरों का तर्पण: कुछ लोग इस दिन अपने पितरों की शांति के लिए तर्पण भी करते हैं।
 
• दान-पुण्य: इस दिन दान-पुण्य करना भी बहुत शुभ माना जाता है। अपनी क्षमतानुसार वस्त्र, अन्न, फल या अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करें।ALSO READ: कौन सी नदी कहलाती है वृद्ध गंगा, जानिए धार्मिक और पौराणिक महत्व

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