Ramadan 2023 : सब्र और संयम का प़ैगाम है दूसरा रोजा

Webdunia
Ramadan Month 2023 
 
मुस्लिम समुदाय रमजान या रोजा के महीने को परम पवित्र मानता है। यह रोजा ईमान की कसावट है। रोजा सदाक़त (सच्चाई) की तरावट और दुनियावी ख़्वाहिशों पर रुकावट है।

दिल अल्लाह के ज़िक्र की ख़्वाहिश कर रहा है तो रोजा इस ख़्वाहिश को रवानी (गति) देता है और ईमान को नेकी की खाद और पाकीज़गी का पानी देता है। लेकिन रोजा रखने पर दिल दुनिया की ख़्वाहिश करता है तो रोजा इस पर रुकावट पैदा करता है।
 
पवित्र रमजान में अल्लाह का फ़रमान है 'या अय्युहल्लज़ीना आमनु कुतेबा अलयकुमुस्स्याम' यानी 'ऐ किताब (क़ुरआन पाक) के मानने वालों रोजा तुम पर फ़र्ज़ है।' इसके मा'नी (मतलब) यह भी है कि किताब और रोज़े को समझो। यानी क़ुरआन को समझ कर और सही पढ़ो। (इसका मतलब यह है कि पवित्र क़ुरआन ख़ुदा का यानी अल्लाह का कलाम है और उसको अदब और खुशूअ (समर्पण की भावना) के साथ पढ़ो। उसकी मनगढ़ंत या मनमानी व्याख्या मत करो। क्योंकि क़ुरआन इंसाफ़ की यानी अल्लाह की किताब है।
 
रोजे को समझना सबसे बड़ी बात है। रोजे को समझना यानी रोजे से जुड़े एहतियात बरतना और ग़ुस्से/लालच/हवस पर क़ाबू रखना ही सच्चा रोजा है। सुबह सेहरी करके रोजा तो रख लिया मगर ज़बान से झूठ बोलते रहे, दिमाग़ से गलत सोचते रहे, हाथों से ग़लत काम करते रहे, पांवों से ग़लत जगह जाते रहे, आंखों से बुरा देखते रहे, जिस्म से गलत हरकतें करते रहे, ज़हन ख़ुराफ़ात में लगाते रहे तो ऐसा रोजा, रोजा न रहकर फ़ाक़ा (सिर्फ भूखा-प्यासा रहना) हो जाएगा। 
 
रोजा ख़्वाहिशों पर क़ाबू (इंद्रिय निग्रह) का नाम है। रोजा सब्र और संयम का प़ैगाम है। दूसरा रोजा शफ़ाअत और इनाम है। प्रस्तुति- अज़हर हाशमी

ALSO READ: रमजान कब से शुरू है?

ALSO READ: Ramadan 2023 : ये है पहले रोजे की सीख, आप भी जानिए

क्या कर्मों का फल इसी जन्म में मिलता है या अगले जन्म में?

वैशाख अमावस्या का पौराणिक महत्व क्या है?

शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि में होंगे वक्री, इन राशियों की चमक जाएगी किस्मत

Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया से शुरू होंगे इन 4 राशियों के शुभ दिन, चमक जाएगा भाग्य

Lok Sabha Elections 2024: चुनाव में वोट देकर सुधारें अपने ग्रह नक्षत्रों को, जानें मतदान देने का तरीका

धरती पर कब आएगा सौर तूफान, हो सकते हैं 10 बड़े भयानक नुकसान

घर के पूजा घर में सुबह और शाम को कितने बजे तक दीया जलाना चाहिए?

Astrology : एक पर एक पैर चढ़ा कर बैठना चाहिए या नहीं?

100 साल के बाद शश और गजकेसरी योग, 3 राशियों के लिए राजयोग की शुरुआत

Varuthini ekadashi 2024: वरुथिनी व्रत का क्या होता है अर्थ और क्या है महत्व