कश्मीर के व्यापार को 18 हजार करोड़ का नुकसान, टूरिज्म को 9100 करोड़ का घाटा

सुरेश एस डुग्गर
गुरुवार, 6 फ़रवरी 2020 (18:59 IST)
जम्मू। जम्मू कश्मीर में 5 अगस्त 2019 के बाद से लगी पाबंदियों से दिसंबर के पहले सप्ताह तक लगभग 18,000 करोड़ रुपए के व्यापार का नुकसान हुआ है। कश्मीर के व्यापारियों का कहना है कि हमने व्यापार का एक बड़ा सीजन खो दिया है।
 
नतीजतन 6 माह बाद भी डल झील के किनारे खड़े हाउस बोट्स, स्कीइंग के लिए मशहूर गुलमर्ग के अधिकांश होटल खाली हैं। जबकि सर्दियों के मौसम में ये होटल और हाउस बोट्स पूरी तरह फुल रहा करते थे। इसके साथ ही इनके आसपास कालीन, कशीदाकारी वाले कपड़े और केसर बेचने वाली दुकानें भी खाली नजर आ रही हैं।
 
टूरिज्म सेक्टर को भी 5 अगस्त के बाद के हालात ने जबरदस्त झटका दिया है। यह झटका कितना है आप सोच भी नहीं सकते। तकरीबन 9 हजार करोड़ का घाटा अभी तक टूरिज्म सेक्टर उठा चुका है और दावों के बावजूद दूर दूर तक इससे निजात पाने की कोई संभावना नहीं दिख रही। यही नहीं टूरिज्म सेक्टर से जुड़ डेढ़ लाख लोगों को नौकरियों से अभी तक निकाला भी जा चुका है।
 
अगर आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2019 में केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद कश्मीर में 6 महीनों में सिर्फ पांच लाख पर्यटक ही आए। इनमें भी 25 परसेंट का आंकड़ा उन लोगों का था जो कश्मीर के हालात को जानने, देखने और रिपोर्ट करने के लिए पर्यटक बन कर आए थे।
 
कश्मीर चैम्बर्स आफ कामर्स पहले ही अपनी रिपोर्ट में बता चुका है कि 120 के बंद और संचारबंदी में कश्मीर को 18 हजार करोड़ से अधिक का नुक्सान झेलना पड़ा है। इन आंकड़ों में पर्यटन से जुड़े लोगों को हुए नुक्सान को नहीं जोड़ा गया था जो अनुमानतः रू 9191 करोड़ है। यही नहीं डेढ़ लाख से अधिक बेरोजगार भी हुए हैं जिनमें से अधिकतर होटलों, रेस्तरां आदि में नौकरी करते थे और पर्यटकों के न आने के कारण उन्हें निकाल बाहर कर दिया गया।
 
रेशम कालीन उद्योग में कार्यरत 50,000 से अधिक बुनकर यूरोप से कोई आर्डर न मिलने के कारण बेरोजगार हो गए हैं। होटल व्यवसायी आसिफ इकबाल का कहना है कि पर्यटन उद्योग वेंटिलेटर पर है। गंभीर संकट के दौर से गुजर रहे पर्यटन उद्योग को बचाने के लिए बेलआउट पैकेज की आवश्यकता है।
 
ट्रैवल एजेंसी चलाने वाले निगहत शाह ने कहा कि उन्होंने एक ट्रैवल एजेंसी शुरू करने के लिए 2016 में कर्ज लिया था। उस समय मुझे यकीन था कि वह पांच साल में कर्ज अदा कर मुक्त हो जाएंगे। लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में उसे कर्ज चुकाने के लिए अपने ऑफिस के फर्नीचर तक को बेचना पड़ रहा है।
 
आईटी और ई-कॉमर्स जैसे इंटरनेट आधारित व्यवसाय सीधे तौर पर बर्बाद हो चुके हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सेब की खरीद के लिए बागवानी क्षेत्र में सरकार के हस्तक्षेप से 8,000 करोड़ की कीमत में उथल-पुथल और घबराहट के बीच इसकी बिक्री करनी पड़ी।
 
स्थानीय लोग कहते हैं कि आतंकवाद से लंबे समय से परेशान लोग इस समय गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। सरकार को उनके आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए बेल आउट पैकेज देना चाहिए, परंतु अभी तक इसके कोई संकेत नहीं मिले हैं।
 
केसीसीआई ने केंद्र सरकार को सौंपी एक रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा व्यवधान के कारण लाखों लोग अपनी नौकरी खो चुके हैं। वित्तीय संस्थागत के ऋण लेने वालों के पर्याप्त संख्या में दिवालिया होने की आशंका है। कई व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद हो गए हैं या बंद करने पर विचार कर रहे हैं।

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