जम्मू। हालांकि हैदराबाद में डॉ. दिशा से हुए गैंगरेप पर पूरा देश उबाल पर है, पर जम्मू कश्मीर में पिछले 14 सालों के अरसे में हुए 3223 रेप और गैंगरेप के मामलों पर किसी ने कभी दुख प्रकट नहीं किया है। यही नहीं आतंकवाद की आड़ में भी आतंकियों और सुरक्षाकर्मियों ने कथित तौर पर सैकड़ों युवतियों को अपनी हवस का शिकार बनाया है जिसके प्रति कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। यहां तक कि अधिकतर मामलों में आरोपी आजादी से घूम रहे हैं।
यह आंकड़ा वर्ष 2006 से लेकर दिसंबर 2018 तक का है। इसके पहले का कोई रिकॉर्ड पुलिस के पास उपलब्ध नहीं है। चौंकाने वाली बात जम्मू कश्मीर में इस अरसे के दौरान हुए रेप के मामलों की यह है कि 90 प्रतिशत से अधिक अभियुक्त जमानत पर खुलेआम घूम रहे हैं और सबसे अफसोसजनक पहलू इन मामलों का यह है कि अधिकतर पीड़िताएं 18 वर्ष से कम उम्र की हैं।
राज्य में 3223 रेप के मामलों में अभी तक कुछेक व्यक्तियों को सजा हुई है। यह आंकड़े उन बलात्कार की घटनाओं के हैं जो राज्यभर में हुए हैं, जबकि आतंकवाद के दौर में आतंकियों और सुरक्षाबलों द्वारा कथित रूप से कितनी अबलाओं की अस्मत लूटी गई, कितनी मासूम लड़कियों से सरेराह और उनके परिजनों के समक्ष छेड़खानी की गई, यह आंकड़ा किसी के पास नहीं हैं। हालांकि एक एनजीओ का दावा था कि ऐसी युवतियों और महिलाओं का आंकड़ा 2 हजार से अधिक हो सकता है।
एक मानवाधिकार संगठन के कोआर्डिनेटर खुर्रम परवेज का कहना है कि आतंकवाद के दौर में सुरक्षाबलों के कथित बलात्कार का शिकार हुई महिलाओं की संख्या 900 के लगभग है। हालांकि उनका कहना था कि कश्मीर में सैकड़ों महिलाओं तथा उनके परिजनों ने शर्म के मारे ऐसी घटनाओं के बारे में कभी किसी को जानकारी नहीं दी।
ऐसा भी नहीं है कि कश्मीर में सक्रिय आतंकियों ने कश्मीरी युवतियों को बख्श दिया हो। सैकड़ों ऐसे मामलों में आतंकियों ने कश्मीरी युवतियों के शरीरों से हवस मिटाने के बाद उनके टुकड़े कर सड़कों पर डाल दिए थे। इतना जरूर था कि ऐसी बलात्कार और जघन्य हत्याओं की घटनाओं के बाद ही कश्मीर में जनाक्रोश आतंकियों के खिलाफ हुआ था।