ज्योतिष, धर्म और जीवन की 30 काम की बात, हर दिन रखें याद

Webdunia
पूजा साधना करते समय बहुत सी ऐसी बातें हैं जिन पर सामान्यतः हमारा ध्यान नहीं जाता है लेकिन पूजा साधना की दृष्टि से यह बातें अति महत्वपूर्ण हैं... जैसे शास्त्रों में बांस की लकड़ी जलाना मना है फिर भी लोग अगरबत्ती जलाते हैं। यह बांस की बनी होती है। अगरबत्ती जलाने से पितृदोष लगता है। शास्त्रों में पूजन विधान में कहीं भी अगरबत्ती का उल्लेख नहीं मिलता सब जगह धूप ही लिखा हुआ मिलता है। अगरबत्ती केमिकल से बनाई जाती है भला केमिकल या बांस जलने से भगवान खुश कैसे होंगे? 
 
1. गणेशजी को तुलसी का पत्र छोड़कर सब पत्र प्रिय हैं।  भैरव की पूजा में तुलसी स्वीकार्य नहीं है। 
 
2. कुंद का पुष्प शिव को माघ महीने को छोड़कर निषेध है। 
 
3. बिना स्नान किये जो तुलसी पत्र जो तोड़ता है उसे देवता स्वीकार नहीं करते। 
 
4. रविवार को दूर्वा नहीं तोड़नी चाहिए। 
 
5. केतकी पुष्प शिव को नहीं चढ़ाना चाहिए। 
 
6. केतकी पुष्प से कार्तिक माह में विष्णु की पूजा अवश्य करें। 
 
7. देवताओं के सामने प्रज्जवलित दीप को बुझाना नहीं चाहिए। 
 
8. शालिग्राम का आवाह्न तथा विसर्जन नहीं होता। 
 
9. जो मूर्ति स्थापित हो उसमें आवाहन और विसर्जन नहीं होता। 
 
10. तुलसीपत्र को मध्यान्ह के बाद ग्रहण न करें। 
 
11. पूजा करते समय यदि गुरुदेव,ज्येष्ठ व्यक्ति या पूज्य व्यक्ति आ जाए तो उनको उठ कर प्रणाम कर उनकी आज्ञा से शेष कर्म को समाप्त करें। 
 
12. मिट्टी की मूर्ति का आवाहन और विसर्जन होता है और अंत में शास्त्रीयविधि से गंगा प्रवाह भी किया जाता है। 
 
13. कमल को पांच रात,बिल्वपत्र को दस रात और तुलसी को ग्यारह रात बाद शुद्ध करके पूजन के कार्य में लिया जा सकता है। 
 
14. पंचामृत में यदि सब वस्तु प्राप्त न हो सके तो केवल दुग्ध से स्नान कराने मात्र से पंचामृतजन्य फल जाता है। 
 
15. शालिग्राम पर अक्षत नहीं चढ़ता। लाल रंग मिश्रित चावल चढ़ाया जा सकता है। 
 
16. हाथ में धारण किये पुष्प, तांबे के पात्र में चन्दन और चर्म पात्र में गंगाजल अपवित्र हो जाते हैं। 
 
17. पिघला हुआ घी और पतला चन्दन नहीं चढ़ाना चाहिए। 
 
18. दीपक से दीपक को जलाने से प्राणी दरिद्र और रोगी होता है। दक्षिणाभिमुख दीपक को न रखें।  देवी के बाएं और दाहिने दीपक रखें। दीपक से अगरबत्ती जलाना भी दरिद्रता का कारक होता है। 
 
19. द्वादशी, संक्रांति, रविवार, पक्षान्त और संध्याकाल में तुलसीपत्र न तोड़ें। 
 
20. प्रतिदिन की पूजा में सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढ़ाएं। 
 
21. आसन, शयन, दान, भोजन, वस्त्र संग्रह, विवाद और विवाह के समयों पर छींक शुभ मानी गई है।  
 
22. जो मलिन वस्त्र पहनकर, मूषक आदि के काटे वस्त्र, केशादि बाल कर्तन युक्त और मुख दुर्गन्ध युक्त हो, जप आदि करता है उसे देवता नाश कर देते हैं। 
 
23. मिट्टी, गोबर को निशा में और प्रदोषकाल में गोमूत्र को ग्रहण न करें। 
 
24. मूर्ति स्नान में मूर्ति को अंगूठे से न रगड़ें।
 
25. पीपल को नित्य नमस्कार पूर्वाह्न के पश्चात् दोपहर में ही करना चाहिए। इसके बाद न करें।  
 
26. जहां अपूज्यों की पूजा होती है और विद्वानों का अनादर होता है, उस स्थान पर दुर्भिक्ष, मरण और भय उत्पन्न होता है। 
 
27. पौष मास की शुक्ल दशमी तिथि, चैत्र की शुक्ल पंचमी और श्रावण की पूर्णिमा तिथि को लक्ष्मी प्राप्ति के लिए लक्ष्मी का पूजन करें। 
 
28. कृष्णपक्ष में, रिक्तिका तिथि में, श्रवणादी नक्षत्र में लक्ष्मी की पूजा न करें। 
 
29. अपराह्नकाल में, रात्रि में, कृष्ण पक्ष में, द्वादशी तिथि में और अष्टमी को लक्ष्मी का पूजन प्रारम्भ न करें। 
 
30. मंडप के नव भाग होते हैं, वे सब बराबर-बराबर के होते हैं अर्थात् मंडप सब तरफ से चतुरासन होता है, अर्थात् टेढ़ा नहीं होता। जिस कुंड की श्रृंगार द्वारा रचना नहीं होती वह यजमान का नाश करता है। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Vrishabha Sankranti 2024: सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश से क्या होगा 12 राशियों पर इसका प्रभाव

Khatu Syam Baba : श्याम बाबा को क्यों कहते हैं- 'हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा'

Maa lakshmi : मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तुलसी पर चढ़ाएं ये 5 चीज़

Shukra Gochar : शुक्र करेंगे अपनी ही राशि में प्रवेश, 5 राशियों के लोग होने वाले हैं मालामाल

Guru Gochar 2025 : 3 गुना अतिचारी हुए बृहस्पति, 3 राशियों पर छा जाएंगे संकट के बादल

Chinnamasta jayanti 2024: क्यों मनाई जाती है छिन्नमस्ता जयंती, कब है और जानिए महत्व

18 मई 2024 : आपका जन्मदिन

18 मई 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त

Maa lakshmi beej mantra : मां लक्ष्मी का बीज मंत्र कौनसा है, कितनी बार जपना चाहिए?

Mahabharata: भगवान विष्णु के बाद श्रीकृष्‍ण ने भी धरा था मोहिनी का रूप इरावान की पत्नी बनने के लिए

अगला लेख