अपने विचारों से जनमानस को आकर्षित करने वाले मुनि हैं तरुण सागरजी

Webdunia
- राजेश सिरोठिया 
 
मुनिश्री तरुण सागरजी का जन्म मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में हुआ है। जन-जन के मन में झांकने और उनकी अंतरचेतना को झकझोरने वाले चलते-फिरते यंत्र हैं। मन की अतल गहराइयों में छिपी समस्याओं को भांपने में उन्हें पल भर की देर नहीं लगती। अभावों से घिरे इलाके शोषण का सबसे बड़ा मुकाम होते हैं। दरिद्रता लोगों को अन्याय से रूबरू कराती है। विद्रूपताओं और विसंगतियों से भरे लोगों के जीवन को मुनि तरुण सागरजी ने बचपन से देखा है। उनके विचारों में निहित क्रांति के भावों की बुनियाद में शायद इन्हीं आंखों देखे प्रसंगों की भी कोई न कोई भूमिका रही होगी।
 
तरुण सागरजी सांसारिकता के बीच रहकर भी लोगों को अध्यात्म के दर्शन कराते हैं। रोजमर्रा के जीवन में आने वाले घुमावदार पड़ावों और उनकी चुनौतियों से जूझने के बेहद आसान तरीके उनके पास हैं। उनके शब्दों और वाणी में एक आग है। इस आग की वैचारिक अभिव्यक्ति का दायरा उन्हें जैन समाज के दायरे से बाहर निकालकर उनकी दुनिया को व्यापक करता है। 
 
उनके विचार और उसका विषय कभी भी धर्म की सीमा में सिमटा नजर नहीं आता। वे उन तमाम लोगों को सोचने को विवश करते हैं जिनके भीतर एक अच्छा इंसान किसी कोने में दबा बैठा है। हर तरह के धर्मावलंबियों को अपने विचारों से वे आकर्षित करते हैं। उनके विचारों में पाखंड दूर-दूर तक नजर नहीं आता। वे एक तपस्वी, साधक व संन्यासी के बतौर अपनी जिंदगी समाज के लिए दे चुके हैं। इसीलिए लोग उन्हें 'जैन मुनि' नहीं 'जनमुनि' कहते हैं।
 
उनकी नसीहतें हरेक के जीवन में कभी न कभी या तो घट चुकी होती हैं या फिर वे उनके आसपास कहीं घटने को होती हैं, लेकिन इन घटनाओं के निहितार्थ और उनकी पुनरावृत्ति रोकने के जो तौर-तरीके तरुण सागरजी बताते हैं वे किसी के लिए भी सबक हो सकते हैं।
 
लोक जीवन में दिन-ब-दिन बढ़ती चुनौतियों की नब्ज पर उनका हाथ है। भौतिकवाद में फंसे लोगों को आध्यात्मिकता की राह पर ले जाने के वे इतने आसान रास्ते बताते हैं कि कोई सहसा उस पर यकीन ही नहीं कर सकता। 
 
2 सितंबर, 2005 को मेरी मां अस्पताल में मृत्युशैया पर थी और उस पूरी रात अस्पताल में बैठे-बैठे मैं तरुण सागरजी की किताब 'कड़वे प्रवचन' पढ़ता रहा। इस किताब ने मुझे मां के बिछोह के असीम दर्द को सहने की हिम्मत और हौसला दिया।
 
उनकी नसीहतें अतीत पर नहीं, वर्तमान पर केंद्रित हैं। उनकी दृष्टि उस भविष्य पर भी बराबरी से टिकी है, जिसका सामना आज की और भावी पीढ़ी को करना है। उनके बारे में लोग यह भी कहते थे कि उनके विचार कहीं बखेड़ा करवाएंगे लेकिन उनके विचार तो समाज में अलख जगा रहे हैं। उनके विचारों में अतल गहराइयां हैं। वे स्वस्थ रहें और समाज को अपने विचारों से इसी तरह आलोकित और आंदोलित करते रहें, यही सभी की मनोकामना है।

ALSO READ: दिगंबर जैन क्रांतिकारी संत मुनिश्री तरुण सागरजी के कड़वे प्रवचन

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Bhagwat katha benefits: भागवत कथा सुनने से मिलते हैं 10 लाभ

Vaishakha amavasya : वैशाख अमावस्या पर स्नान और पूजा के शुभ मुहूर्त

Dhan yog in Kundali : धन योग क्या है, करोड़पति से कम नहीं होता जातक, किस्मत देती है हर जगह साथ

Akshaya tritiya 2024 : 23 साल बाद अक्षय तृतीया पर इस बार क्यों नहीं होंगे विवाह?

Varuthini ekadashi: वरुथिनी एकादशी का व्रत तोड़ने का समय क्या है?

Guru asta 2024 : गुरु हो रहा है अस्त, 4 राशियों के पर्स में नहीं रहेगा पैसा, कर्ज की आ सकती है नौबत

Nautapa 2024 date: कब से लगने वाला है नौतपा, बारिश अच्‍छी होगी या नहीं?

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा

कालाष्टमी 2024: कैसे करें वैशाख अष्टमी पर कालभैरव का पूजन, जानें विधि और शुभ समय

Aaj Ka Rashifal: राशिफल 01 मई: 12 राशियों के लिए क्या लेकर आया है माह का पहला दिन

अगला लेख