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पाकिस्तान में कितने हैं हिंदू मंदिर और कितने तोड़ दिए गए?

WD Feature Desk
गुरुवार, 24 अप्रैल 2025 (15:49 IST)
भारत को विभाजित करके हिंदुस्तान और पाकिस्तान का निर्माण हुआ और पाकिस्तान को विभाजित करके बांग्लादेश बना। कभी कभी पाकिस्तान की भूमि आर्यों की प्राचीन भूमि हुआ करती थी। पाकिस्तान में ही हड़प्पा और मोहनजोदाड़ो के प्राचीन नगर के अवशेष हैं। दुनिया का प्रथम विश्‍वविद्यालय पाकिस्तान में ही है। बंटवारे के बाद पाकिस्तान में सैंकड़ों मंदिर ध्वस्त किए गए। हम नहीं जानते हैं कि कितने मंदिरों का अस्तित्व मिटा दिया गया और उनकी प्राचीनता और महत्व क्या था। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद पाकिस्तान में लगभग 100 हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया। आज जो मंदिर बचे हैं वे भी उपेक्षा का शिकार हैं। आओ जानते हैं कि कितने हिंदू मंदिर बचे हैं पाकिस्तान में।ALSO READ: क्या सच में ओडिशा का जगन्नाथ मंदिर जलमग्न हो जाएगा, क्या कहती है भविष्यवाणी
 
1. हिंगलाज का शक्तिपीठ, बलूचिस्तान : सिंध की राजधानी कराची जिले के बाड़ीकलां में माता का मंदिर सुरम्य पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है। ये पहाड़ियां पाकिस्तान द्वारा जबरन कब्जाए गए बलूचिस्तान में हिंगोल नदी के समीप हिंगलाज क्षेत्र में स्थित हैं। यहां का मंदिर प्रधान 51 शक्तिपीठों में से एक है। हिंगलाज ही वह जगह है, जहां माता का सिर गिरा था। यहां माता सती कोटटरी रूप में जबकि भगवान शंकर भीमलोचन भैरव रूप में प्रतिष्ठित हैं।
 
2. कटासराज का शिव मंदिर: पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में जिला चकवाल शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर दक्षिण में कोहिस्तान नमक पर्वत श्रृंखला में महाभारतकालीन कटासराज नाम का एक गांव है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार जब शिवजी की पत्नी सती का निधन हुआ तो वे इतना रोए कि उनके आंसू रुके ही नहीं और उन्हीं आंसुओं के कारण 2 तालाब बन गए। इनमें से एक राजस्थान में पुष्कर है और दूसरा यहां कटाशा में है। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार शिव ने सती से शादी के बाद कई साल कटासराज में ही गुजारे थे। यह मंदिर करीब 900 साल पुराना है।ALSO READ: जगन्नाथ मंदिर के गुंबद पर स्थित नीलचक्र और ध्वज का रहस्य जानकर चौंक जाएंगे
 
3. गौरी मंदिर, सिंध: गौरी मंदिर सिन्ध प्रांत के थारपारकर जिले में है। पाकिस्तान के इस जिले में अधिकतर आदिवासी हैं जिन्हें थारी हिन्दू कहा जाता है। मध्यकाल में बने इस मंदिर में हिन्दू और जैन धर्म के अनेक देवी-देवताओं की मूर्तियां रखी हुई हैं। पाकिस्तान के कट्टरपंथियों के बढ़ते प्रभाव के कारण यह मंदिर भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच चुका है।
 
4. नृसिंह मंदिर: भक्त प्रह्लाद ने भगवान नृसिंह के सम्मान में एक मंदिर बनवाया था, जो वर्तमान में पाकिस्तान स्थित पंजाब के मुल्तान शहर में है। इस मंदिर का नाम प्रह्लादपुरी मंदिर है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहीं नरसिंह भगवान ने एक खंभे से निकलकर प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप को मारा था। यह भी माना जाता है कि होली का त्योहार और होलिकादहन की प्रथा भी यहीं से आरंभ हुई थी।
 
5. पंचमुखी हनुमान मंदिर: कराची के इस 1500 साल पुराने पंचमुखी हनुमान मंदिर में आज भी काफी लोग जाते हैं। नागरपारकर के इस्लामकोट में पाकिस्तान का यह इकलौता  ऐतिहासिक राम मंदिर है। एक और पंचमुखी हनुमान मंदिर कराची के शॉल्जर बाजार में बना है। इस मंदिर को जीर्णोद्धार की सख्त जरूरत है। यहां के पंचमुखी हनुमान की मूर्ति अद्भुत है।ALSO READ: शनि के बाद बृहस्पति और राहु के राशि परिवर्तन से क्या होगा महायुद्ध?
 
6. मरी इंडस मंदिर: पंजाब के कालाबाग में स्थित यह मंदिर मरी नामक जगह पर है, जो कभी गांधार प्रदेश का हिस्सा थी। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी अपनी पुस्तक में मरी का उल्लेख किया है। 5वीं सदी में बना यह मंदिर स्थापत्य की दृष्टि से अद्भुत है, लेकिन उपेक्षा के कारण खंडहर हो चुका है।
7. श्री वरुणदेव मंदिर: 1,000 साल पुराने इस अद्भुत मंदिर को 1947 में बंटवारे के बाद भू-माफियाओं ने अपने कब्जे में ले लिया था। 2007 में पाकिस्तान हिन्दू काउंसिल ने इस बंद पड़े और क्षतिग्रस्त मंदिर को फिर से तैयार करने का फैसला किया। जून 2007 में इसका नियंत्रण पीएचसी को मिल गया, लेकिन इस मंदिर की देखरेख नहीं है।ALSO READ: जगन्नाथ मंदिर से मिले हैं 10 ऐसे संकेत जो बता रहे हैं कि कैसा होगा भारत का भविष्य
 
8. स्वामीनारायण मंदिर: स्वामीनारायण मंदिर सिंध प्रांत के कराची के एमए जिन्ना रोड पर स्थित है। अप्रैल 2004 में मंदिर ने अपनी 150वीं सालगिरह मनाई। मंदिर में बनी धर्मशाला में लोगों के ठहरने की भी व्यवस्था है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां हिन्दुओं के साथ-साथ मुस्लिम भी पहुंचते हैं।
 
9. साधु बेला मंदिर, सुक्कुर: 8वें गद्दीनशीं बाबा बनखंडी महाराज की मृत्यु के बाद संत हरनामदास ने इस मंदिर का निर्माण 1889 में कराया। सिन्ध प्रांत के सुक्कुर में बाबा बनखंडी महाराज 1823 में आए थे। उन्होंने मेनाक परभात को एक मंदिर के लिए चुना। यहां होने वाला भंडारा पूरे पाकिस्तान में मशहूर है।
 
10. राम मंदिर, सैदपुर: पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के आसपास और पंजाब के रावलपिंडी शहर में कई ऐतिहासिक मंदिर और गुरुद्वारे मौजूद हैं। इस्लामाबाद में पुराने समय के 3 मंदिर हुआ करते थे। एक सैयदपुर, दूसरा रावल धाम और तीसरा गोलरा के मशहूर दारगढ़ के पास है। सैयदपुर गांव में स्थित राम मंदिर के बारे में कहा जाता है कि ये राजा मानसिंह के समय में 1580 में बनवाया गया था।
 
11. गोरखनाथ मंदिर: पाकिस्तान के पेशावर में गोरखनाथ मंदिर है। यह मंदिर 160 साल पुराना है। यह मंदिर बंटवारे के बाद से ही बंद पड़ा था, लेकिन पेशावार हाईकोर्ट के आदेश पर नवंबर 2011 में इसे दोबारा खोला गया।
 
12. शिव मंदिर पीओके: पाक अधिकृत कश्मीर में वैसे तो बहुत से मंदिरों का अस्तित्व अब नहीं रहा लेकिन यह शिव मंदिर अब खंडर ही हो चुका है। भारत-पाक बंटवारे के कुछ सालों तक यह मंदिर अच्छी अवस्था में था, लेकिन पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकियों के बढ़ते प्रभाव के कारण मंदिर में श्रद्धालुओं का आवागमन कम हो गया और अब यह मंदिर विरान पड़ा है।ALSO READ: दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर कौनसा है?
 
13. शारदा देवी मंदिर, पीओके: यह मंदिर भारत-पाकिस्तान की नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में है। यह मंदिर भी अब लगभग खंडहर में तब्दील हो चूका है। माना जाता है कि भगवान शंकर यहां से यात्रा करते हुए निकले थे। 1948 के बाद से इस मंदिर की बमुश्किल ही कभी मरम्मत हुई। इस मंदिर की महत्ता सोमनाथ के शिवा लिंगम मंदिर जितनी है। 19वीं सदी में महाराजा गुलाब सिंग ने इसकी आखिरी बार मरम्मत कराई और तब से ये इसी हाल में है। यह मंदिर लगभग 5000 साल पुराना माना जाता है। मंदिर के पास मादोमती नाम का एक तालाब है। इस तालाब का पानी बहुत ही पवित्र माना जाता है।
 
14. रघुनाथ मंदिर, पीओके: पीओके में झेलम नदी के किनारे बसा मीरपुर बहुत ही खुबसूरत शहर है। मीरपुर में बहुत ही प्रसिद्ध रघुनाथ (राम) मंदिर है। अब वह विरान और खंडहर बन चुका है। मीरपुर कभी हिन्दू बहुल क्षेत्र हुआ करता था। यहां 1947 के पहले 20 फीसदी हिन्दू आबादी थी। एक किताब के मुताबिक यहां 18 हजार हिन्दुओं की हत्या कर दी गई थी। यह तो पीओके के एक जिले मीरपुर के शहर की कहानी है। ऐसे 10 जिले हैं जहां 1947 के पहले लाखों की संख्‍या में हिन्दू रहते थे। कहते हैं कि यही वह जगह है जहां सिकंदर और पौरस की 323 ईसा पूर्व लड़ाई हुई थी। झेलम नदी के तट पर मंगला माता का प्रसिद्ध मंदिर था। इस नदी पर डेम बनाने के बाद प्राचीन मीरपुर लगभग डूब ही गया है और मंदिर तो खंडर है। यहां झेलम नदी के किनारे ही मंगला किला और रामकोट किला है।
 

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