खरमास की पौराणिक कथा

WD Feature Desk
शुक्रवार, 7 मार्च 2025 (14:22 IST)
Kharmas 2025: जब सूर्य धनु या मीन राशि में जाता तब से खरमास प्रारंभ होता है। इस बार 14 मार्च 2025 को सूर्यदेव मीन राशि में प्रवेश करेंगे, तभी से एक माह के लिए खरमास आरंभ हो जाएगा। खरमास को ही मलमास भी कहते हैं।ALSO READ: कब से लग रहा है खरमास, क्या है इस मास का महत्व और जानिए अचूक उपाय

इस दौरान सभी तरह के मांगलिक तथा शुभ कार्य लगभग वर्जित माने जाते हैं। पंचाग के अनुसार यह समय सौरमास का होता है जिसे खरमास कहा जाता है। एक मान्यता के अनुसार खरमास में खर का अर्थ 'दुष्ट' होता है और मास का अर्थ महीना होता है।
 
इसकी कथा कुछ इस प्रकार है...
 
पौराणिक जानकारी के अनुसार भगवान सूर्य देव 7 घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते रहते हैं। उन्हें कहीं पर भी रुकने की इजाजत नहीं है, क्योंकि उनके रुकते ही जनजीवन ठहर जाने की संभावना होती है। लेकिन उनके रथ में जो घोड़े जुते होते हैं, वे लगातार चलने व विश्राम न मिलने के कारण भूख-प्यास से बहुत थक जाते हैं।
 
उनकी इस दयनीय दशा को देखकर सूर्य देव का मन भी द्रवित हो जाता है और वे उन्हें एक तालाब किनारे ले जाते हैं, लेकिन तभी उन्हें यह आभास भी हो जाता है कि अगर रथ या रथ के पहिए रुक गए तो अनर्थ हो जाएगा। लेकिन जब सूर्य देव यह सोच रहे होते हैं तो घोड़ों का सौभाग्य कहिए कि उसी वक्त तालाब किनारे दो खर यानी गधे मौजूद थे।ALSO READ: सूर्य का मीन राशि में प्रवेश: क्या होगा देश दुनिया का हाल? इन 5 राशि वाले लोगों को होगा नुकसान
 
फिर सूर्य देव घोड़ों को पानी पीने तथा विश्राम देने के लिए छोड़ देते हैं और खर/ गधों को अपने रथ में जोड़ लेते हैं। अब घोड़ा, घोड़ा होता है और गधा, गधा अर्थात् रथ की गति धीमी हो जाती है फिर भी जैसे-तैसे एक मास का चक्र पूरा होता है, तब तक घोड़ों को भी विश्राम मिल चुका होता है। इस तरह यह क्रम चलता रहता है और हर सौरवर्ष में एक सौरमास 'खरमास' कहलाता है। 
 
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