नारद जयंती पर 3 रोचक कथाएं : जब श्रीहरि विष्णु ने नारद जी से किया मजाक

Webdunia
मंगलवार, 17 मई 2022 (13:31 IST)
17 मई 2022 को नारद जयंती है। हिन्‍दू मान्‍यताओं के अनुसार नारद मुनि का जन्‍म सृष्टि के रचयिता ब्रह्माजी की गोद से हुआ था। ब्रह्मवैवर्तपुराण के मतानुसार ये ब्रह्मा के कंठ से उत्पन्न हुए थे। जोभी हो नारद को ब्रह्मा के मानस पुत्रों में से एक माना गया है। आओ जानते हैं इसके संबंध में 3 रोचक कथाएं।
 
 
1. नारद बने स्त्री : कहते हैं कि भगवान विष्णु ने नारद को माया के विविध रूप समझाए थे। एक बार यात्रा के दौरान एक सरोवर में स्नान करने से नारद को स्त्रीत्व प्राप्त हो गया था। स्त्री रूप में नारद 12 वर्षों तक राजा तालजंघ की पत्नी के रूप में रहे। फिर विष्णु भगवान की कृपा से उन्हें पुनः सरोवर में स्नान का मौका मिला और वे पुनः नारद के स्वरूप को लौटे। 
 
2. नारद को मिला शाप : एक अन्य कथा के अनुसार दक्षपुत्रों को योग का उपदेश देकर संसार से विमुख करने पर दक्ष क्रुद्ध हो गए और उन्होंने नारद का विनाश कर दिया। फिर ब्रह्मा के आग्रह पर दक्ष ने कहा कि मैं आपको एक कन्या दे रहा हूं, उसका कश्यप से विवाह होने पर नारद पुनः जन्म लेंगे। पुराणों में ऐसा भी उल्लेख मिलता है कि राजा प्रजापति दक्ष ने नारद को शाप दिया था कि वह दो मिनट से ज्यादा कहीं रुक नहीं पाएंगे। यही वजह है कि नारद अक्सर यात्रा करते रहते हैं। अथर्ववेद में भी अनेक बार नारद नाम के ऋषि का उल्लेख है। भगवान सत्यनारायण की कथा में भी उनका उल्लेख है।
 
यह भी कहते हैं कि दक्ष प्रजापति के 10 हजार पुत्रों को नारदजी ने संसार से निवृत्ति की शिक्षा दी जबकि ब्रह्मा उन्हें सृष्टिमार्ग पर आरूढ़ करना चाहते थे। ब्रह्मा ने फिर उन्हें शाप दे दिया था। इस शाप से नारद गंधमादन पर्वत पर गंधर्व योनि में उत्पन्न हुए। इस योनि में नारदजी का नाम उपबर्हण था। यह भी मान्यता है कि पूर्वकल्प में नारदजी उपबर्हण नाम के गंधर्व थे। कहते हैं कि उनकी 60 पत्नियां थीं और रूपवान होने की वजह से वे हमेशा सुंदर स्त्रियों से घिरे रहते थे। इसलिए ब्रह्मा ने इन्हें शूद्र योनि में पैदा होने का शाप दिया था।
 
इस शाप के बाद नारद का जन्म शूद्र वर्ग की एक दासी के यहां हुआ। जन्म लेते ही पिता के देहान्त हो गया। एक दिन सांप के काटने से इनकी माताजी भी इस संसार से चल बसीं। अब नारद जी इस संसार में अकेले रह गए। उस समय इनकी अवस्था मात्र पांच वर्ष की थी। एक दिन चतुर्मास के समय संतजन उनके गांव में ठहरे। नारदजी ने संतों की खूब सेवा की। संतों की कृपा से उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ। समय आने पर नारदजी का पांचभौतिक शरीर छूट गया और कल्प के अन्त में ब्रह्माजी के मानस पुत्र के रूप में अवतीर्ण हुए।
Ekadashi Story
3. जब श्री हरि विष्णु ने नारद जी से किया मजाक : ऋषि भृगु की पुत्री माता लक्ष्मी थीं। उनकी माता का नाम ख्याति था। एक बार लक्ष्मीजी के लिए स्वयंवर का आयोजन हुआ। माता लक्ष्मी पहले ही मन ही मन विष्णुजी को पति रूप में स्वीकार कर चुकी थीं लेकिन नारद मुनि भी लक्ष्मीजी से विवाह करना चाहते थे। नारदजी ने सोचा कि यह राजकुमारी हरि रूप पाकर ही उनका वरण करेगी। तब नारदजी विष्णु भगवान के पास हरि के समान सुन्दर रूप मांगने पहुंच गए।
 
विष्णु भगवान ने नारद की इच्छा के अनुसार उन्हें हरि रूप दे दिया। हरि रूप लेकर जब नारद राजकुमारी के स्वयंवर में पहुंचे तो उन्हें विश्वास था कि राजकुमारी उन्हें ही वरमाला पहनाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। राजकुमारी ने नारद को छोड़कर भगवान विष्णु के गले में वरमाला डाल दी। नारदजी वहां से उदास होकर लौट रहे थे तो रास्ते में एक जलाशय में उन्होंने अपना चेहरा देखा। अपने चेहरे को देखकर नारद हैरान रह गए, क्योंकि उनका चेहरा बंदर जैसा लग रहा था।
 
'हरि' का एक अर्थ विष्णु होता है और एक अर्थ वानर भी होता है। भगवान विष्णु ने नारद को वानर रूप दे दिया था। नारद समझ गए कि भगवान विष्णु ने उनके साथ छल किया। उनको भगवान पर बड़ा क्रोध आया। नारद सीधे बैकुंठ पहुंचे और आवेश में आकर भगवान को श्राप दे दिया कि आपको मनुष्य रूप में जन्म लेकर पृथ्वी पर जाना होगा। जिस तरह मुझे स्त्री का वियोग सहना पड़ा है उसी प्रकार आपको भी वियोग सहना होगा। इसलिए राम और सीता के रूप में जन्म लेकर विष्णु और देवी लक्ष्मी को वियोग सहना पड़ा।
 
इस कथा प्रसंग में भगवान गणेशजी का विष्णु और देवताओं द्वारा अपमान करने का भी उल्लेख मिलता है जिसके चलते विष्णुजी बारात लेकर निकले तब रास्ते में गणेशजी ने अपने मूषक से कहकर संपूर्ण रास्ता खुदवा दिया था। बाद में गणेशजी को मनाया और उनकी पूजा की गई थी तब बारात आगे बढ़ सकी थी।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Chanakya niti : यदि सफलता चाहिए तो दूसरों से छुपाकर रखें ये 6 बातें

Guru Gochar : बृहस्पति के वृषभ में होने से 3 राशियों को मिलेंगे अशुभ फल, रहें सतर्क

Adi shankaracharya jayanti : क्या आदि शंकराचार्य के कारण भारत में बौद्ध धर्म नहीं पनप पाया?

Lakshmi prapti ke upay: लक्ष्मी प्राप्ति के लिए क्या करना चाहिए, जानिए 5 अचूक उपाय, 5 सावधानियां

Swastik chinh: घर में हल्दी का स्वास्तिक बनाने से मिलते है 11 चमत्कारिक फायदे

Oldest religion in the world: दुनिया का सबसे पुराना धर्म कौनसा है?

Vrishabha Sankranti 2024: सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश से क्या होगा 12 राशियों पर इसका प्रभाव

जानकी नवमी 2024 : आज पढ़ी जाती है माता सीता की यह प्रचलित जन्म कथा

Seeta Navmi : सीता नवमी पर जरूर करें ये काम, घर में रुपयों की कभी नहीं होगी तंगी

Khatu Syam Baba : श्याम बाबा को क्यों कहते हैं- 'हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा'

अगला लेख