74th Republic Day : 74वें गणतंत्र दिवस पर पढ़ें वीर रस की 3 अद्भुत कविताएं

Webdunia
Republic Day 2023 
 
हर साल गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को मनाया जाता है और 1950 से अब तक हम 74वां गणतंत्र दिवस मानाने जा रहे हैं। दरअसल 26 जनवरी 1929 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारतीय स्वराज की घोषणा की थी, इसलिए भारतीय संविधान लागू करने के लिए 26 जनवरी को ही चुना गया। इस गौरव पर्व पर हम आपके लिए कुछ विशेष कविताएं लेकर आए हैं, जिन्हें पढ़कर आप भी देशभक्ति के उत्साह को महसूस करेंगे... 
 
1. यह संविधान ना होता, तो यह भारत कैसा होता?
 
शायद यह भारत हमारी सोच से परे होता,
शायद यह भारत और भी टुकड़ों में बंट चुका होता,
शायद बेटियों की जिंदगी सशक्त ना होती,
शायद आज जो उनकी पहचान हैं, वो पहचान न होती,
ना जाने आज की बेटियों के बगैर यह भारत कैसा होता,
यह संविधान ना होता तो यह भारत कैसा होता?
 
जिन अनेकताओं के लिए मिलकर हमारे यहां जश्न हैं होता,
ना जाने उन अनेकताओं की वजह से भारत का क्या आलम होता,
क्या सारे धर्म का स्कूल एक ही होता,
यह संविधान ना होता तो यह भारत कैसा होता?
 
आज भी शायद ऊंच-नीच के नाम पर हर जगह विवाद हैं होता,
शायद कोई गरीब बिना अपनी जात बताए मंदिर में ना सोता,
क्या भगवान की झांकियों और मोहरर्म के जुलूसों में हर कोई एकसाथ नाच रहा होता,
यह संविधान ना होता तो यह भारत कैसा होता?
 
मेरे मन में अक्सर यह सवाल हैं उठता,
अगर संविधान ना होता तो क्या भारत, भारत होता?
यह संविधान ना होता तो भारत ना जाने कैसा होता...।
 
- निश्चय खिरे (निश)

2. भारत जैसा देश ना कोई
 
रंगों में बहती गंगा ,
हिमालय पर्वत का अभिमान है 
यहां कश्मीर, कन्याकुमारी, ताजमहल 
हिंद महासागर से पहचान है
 
स्वामीजी का देश है यह,
यहां आर्यभट्ट ने जन्म लिया,
न पैर टीका सके मुगल यहां,
जब वीर शिवाजी ने दमन किया
 
गौतम बुद्ध और महावीर का काल यहां पर आया था,
कर्म और मोक्ष का द्वार उन्होंने हमें दिखलाया था।
 
कितनी मेहनत के बाद हमने ये आजादी पाई है,
धर्म, जात-पात की क्यों होती अब लड़ाई है?
 
आओ मिल कर हाथ बढ़ाएं, टूट जाएगी ये बेड़ियां,
देश होगा वही विशाल जब पूजी जाएंगी बेटियां।
 
है सभ्यता यहां सबसे विशाल,
अनेकता ने एकता इसकी पहचान,
ऐसा न दूजा देश कही
भारत जैसा देश ना कोई। 
 
- स्वर्णिका भाटी 
 

3. ये जो देश है मेरा
 
ये जो देश है मेरा, स्वदेस है मेरा,
रोशन करना नाम इसका,
बस यही है एक सपना मेरा।
कितना भी घूम आऊं जग सारा,
लेकिन मुझे लगे भारत ही सबसे न्यारा।
यह है वह धरती,
जहां गंगा-जमुना आ मिलती, 
यह है वह धरती,
जो हमें विविधता में एकता सिखाती।
दुश्मन ने जितनी बार किया वार,
मेरा यह देश उतनी ही दृढ़ता के साथ लड़ता रहा।
भले ही कई हैं विभिन्न प्रांत यहां,
कई है भाषा, बोली, व्यंजन यहां,
परंतु वसुधैव कुटुंबकम् का नारा भी जन्मा यहां।
स्त्रियों के सम्मान का पाठ, यह सभी को बताता है,
क्योंकि हम बच्चे जिसके वह हमारी भारत माता है।
चले जाएं दुनिया के किसी कोने में,
पुकारे सदा हमें,
यह जो देश है मेरा,
स्वदेस है मेरा।
 
- अनुभूति निगम

26 January Poems
 


ALSO READ: गणतंत्र दिवस 2023: देशभक्ति पर 3 रोचक कविताएं

ALSO READ: गणतंत्र दिवस (Republic Day) के लिए कैसे चुने जाते हैं मुख्य अतिथि?

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Rajasthan : स्कूलों में नहीं पढ़ाया जाएगा गोधरा कांड, सरकार ने लगाई रोक, वापस मंगाईं किताबें

सोमी अली ने पहले सलमान के लिए लॉरेंस से लगाई थी गुहार, अब भाई जान की ही खोल दी पोल

अमित शाह पर कनाडा के आरोप, भारत ने कनाडा को लगाई लताड़

India-Canada Dispute: कनाडा ने भारत को बताया खतरा, 5 खतरनाक देशों की लिस्ट में किया शामिल

अमेरिका में है लॉरेंस का भाई अनमोल बिश्नोई, पुलिस ने शुरू की प्रत्यर्पण की प्रक्रिया

सभी देखें

नवीनतम

US Presidential Election 2024 : मतदान के पहले ही अमेरिका में साढ़े 6 करोड़ लोगों ने कर दी वोटिंग, जानिए यह क्या है व्यवस्था

PM मोदी से सीएम योगी आदित्यनाथ की 1 घंटे की मुलाकात, जानिए क्या हुई बात

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों को मिली बड़ी सफलता, पुलवामा से आतंकवादियों का मददगार गिरफ्तार

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 हाथियों की मौत मामले में फील्ड डायरेक्टर समेत 2 अफसर सस्पेंड, एलिफेंट टॉस्क फोर्स का होगा गठन

उमरिया में वन राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार ने हाथियों के हमले में मृतक के परिजनों को 8-8 लाख रुपये की अनुग्रह राशि के स्वीकृति आदेश सौंपे

अगला लेख