युद्ध के बीच यूक्रेन से 14.5 लाख लोगों ने किया पलायन, हर किसी की अपनी दर्दभरी कहानी

Webdunia
रविवार, 6 मार्च 2022 (09:20 IST)
बुखारेस्ट। यूक्रेन में जारी युद्ध के बीच हर पल दर्दनाक मंजर सामने आ रहे हैं। लोग अपना सबकुछ पीछे छोड़कर जान बचाने के लिए भागते नजर आ रहे हैं। जो लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं उनके पास केवल जरूरी दस्तावेज और पालतू पशु ही दिखाई दे रहे हैं। लोगों के पास जरूरी सामान तक अपने साथ लेने की फुर्सत नहीं है।

जिनेवा में स्थित संयुक्त राष्ट्र से संबंधित प्रवास संगठन के अनुसार दस दिन से जारी रूस के हमलों के बाद से अब तक लगभग 14 लाख 50 हजार लोग यूक्रेन छोड़ चुके हैं। इनमें से ज्यादातर यूक्रेन के पड़ोसी यूरोपीय देश पोलैंड और अन्य देशों में आए हैं। यूरोपीय यूनियन ने उन्हें अस्थायी सुरक्षा और आवासीय अनुमति प्रदान की है। संयुक्त राष्ट्र ने अनुमान जताया है कि यूक्रेन से 40 लाख शरणार्थी दूसरे स्थानों पर जा सकते हैं, जिससे इस सदी का सबसे बड़ा शरणार्थी संकट खड़ा हो सकता है।
 
लीना नेस्तेरोवा 24 फरवरी की सुबह 5 बजकर 34 मिनट के उस पल को याद कर सिहर उठती हैं जब यूक्रेन की राजधानी कीव पर पहला हमला हुआ था। नेस्तेरोवा ने बताया कि हमले के बारे में पता चलते ही उन्होंने अपनी बेटी, कुत्ते और सभी दस्तावेजों को उठाया और कुछेक कपड़े पीठ पर लादकर कीव से निकल पड़ीं। ये सबकुछ बयां करते हुए खौफ उनके चेहरे पर साफ नजर आ रहा था।
 
नेस्तेरोवा ने कहा कि  हमने अपना सबकुछ वहीं छोड़ दिया। हमारे पास कपड़े नहीं है। हम नहीं जानते कि आगे क्या होगा। नेस्तेरोवा की 18 वर्षीय बेटी मार्गो भी रोमानिया के सीमावर्ती सीरेत शहर में इस शरणार्थी शिविर में उनके साथ बैठी हुई है।
 
इरीना बोगोवचुक दक्षिण यूक्रेन के चेर्नेीवस्ती से आई हैं। वह अपनी गोद में सो रही बच्ची को थपथपाते हुए कहती हैं, 'मैं अपनी बेटी को साथ लाई हूं। मुझे उम्मीद है कि सब ठीक हो जाएगा।'
 
बोगोवचुक अपने साथ एक पर्स लाई हैं, जिसमें एक फोटो फ्रेम है। इस फोटो फ्रेम में उनकी बेटी के 10वें जन्मदिन की एक तस्वीर और उनके पति की तस्वीर है, जिन्हें वह यूक्रेन में छोड़ आई हैं क्योंकि यूक्रेन के सैनिकों के देश से बाहर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। बोगोवचुक कहती हैं कि मुझे उनकी बहुत याद आ रही है। यह कहते हुए वह फूट-फूटकर रोने लगती हैं।
 
लुडमिला नदजेमास्का यूक्रेन की राजधानी कीव से हंगरी पहुंची हैं। फिलहाल वह हंगरी की सीमा पर तिसजाबेक्स पर एक शिविर में बैठी हुई हैं। उन्होंने कहा कि वह इससे भी बुरे हालात झेलने के लिये तैयार हैं। वह कहती हैं, 'मैं वापस जाना चाहती हूं। लेकिन मेरी प्राथमिकता मेरा परिवार और पालतू पशु हैं।'
 
इसके अलावा भी इन शिविरों में अनेक लोग शरण हुए हैं। हर व्यक्ति के पास एक दर्दभरी दास्तां हैं और हर कोई जल्द ही सबकुछ ठीक होने की प्रार्थना कर रहा है।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

डिम्पल यादव बोलीं, BJP अगर लोकसभा चुनाव जीती तो भारत 15 साल पीछे चला जाएगा

मणिपुर हिंसा के 1 साल बाद कितने बदले हालात, कौन जगा रहा है उम्मीद की किरण?

कल्पना सोरेन बोलीं, अन्याय के खिलाफ लड़ाई में अपने योद्धा पति के नक्शेकदम पर चलूंगी

भगवाधारी हुए ओवैसी, पुजारी ने गले में भगवा डाला तो हाथ जोड़कर मुस्‍कुरा दिए, वीडियो वायरल

पंजाब में 3 बड़े मुद्दे तय करेंगे राजनीति का रुख, आखिर कौनसी पार्टी दिखाएगी दम

Paytm को लगा बड़ा झटका, COO और प्रेसीडेंट भावेश गुप्ता ने दिया इस्तीफा

Terrorist Attack : जम्मू-कश्मीर के पुंछ में एयरफोर्स के काफिले पर बड़ा आतंकी हमला, 1 जवान शहीद

मणिपुर हिंसा के 1 साल बाद कितने बदले हालात, कौन जगा रहा है उम्मीद की किरण?

NOTA के समर्थन में फोन कर रहे लोग, BJP ने जो किया, अक्षय बम के मैदान छोड़ने पर क्या बोलीं सुमित्रा महाजन

Prajwal Revanna के पिता SIT की हिरासत में, कोर्ट ने खारिज की थी अग्रिम जमानत याचिका

अगला लेख