ऐसे लोगों को वनस्पति देव देते हैं दंड

अनिरुद्ध जोशी
सोमवार, 1 फ़रवरी 2021 (19:09 IST)
हिन्दू धर्म में प्रकृति का बहुत महत्व बताया गया है। हिन्दू धर्म के सभी त्योहार प्रकृति से ही जुड़े हुए हैं। प्रकृति से हमें फल, फूल, सब्जी, कंद-मूल, औषधियां, जड़ी-बूटी, मसाले, अनाज, जल आदि सभी प्राप्त होते ही हैं। इसलिए भी इसका संवरक्षण करना जरूरी है। हिन्दू धर्म में प्रकृति की रक्षा, संवरक्षण या उत्पादन से जुड़ी कई देवियां हैं उसी तरह प्रकृति देव भी है। आओ जानते हैं उनके बारे में संक्षिप्त जानकारी।
 
 
धर धरती के देव हैं, अनल अग्नि के देव है, अनिल वायु के देव हैं, आप अंतरिक्ष के देव हैं, द्यौस या प्रभाष आकाश के देव हैं, सोम चंद्रमास के देव हैं, ध्रुव नक्षत्रों के देव हैं, प्रत्यूष या आदित्य सूर्य के देव हैं। आकाश के देवता अर्थात स्व: (स्वर्ग):- सूर्य, वरुण, मित्र, पूषन, विष्णु, उषा, अपांनपात, सविता, त्रिप, विंवस्वत, आदिंत्यगण, अश्विनद्वय आदि। अंतरिक्ष के देवता अर्थात भूव: (अंतरिक्ष):- पर्जन्य, वायु, इंद्र, मरुत, रुद्र, मातरिश्वन्, त्रिप्रआप्त्य, अज एकपाद, आप, अहितर्बुध्न्य। पृथ्वी के देवता अर्थात भू: (धरती):- पृथ्वी, उषा, अग्नि, सोम, बृहस्पति, नदियां आदि।
 
 
वनस्पति देव
1. दस विश्‍वदेवों में से एक है वनस्पति देव। पुराणों में दस विश्‍वदेवों को उल्लेख मिलता है जिनका अंतरिक्ष में एक अलग ही लोक है।
 
2. वनस्पति देव का ऋग्वेद और सामवेद में उल्लेख मिलता है।
 
3. वनस्पति देव वृक्ष, गुल्म, लता, वल्लीओं का पोषण-भरण और उनके अनुशासनका कार्य निर्वहन करते हैं।
 
4. वनस्पतियों का अपमान करने पर, उन्हें हानि पहुंचाने पर और ग्रहणकाल में अथवा सूर्यास्त के बाद वनस्पतियों का कोई भी अंग अलग करने पर वे दंड देते हैं।
 
 
5. वनस्पति देव हिरण्यगर्भा ब्रह्म के केशों से निर्मित हुए थे।
 
6. आरण्यिका नागदेव, वनदुर्गा और मरुतगण के साथ ही वनस्पति देव भी प्रकृति के संवरक्षक है।

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