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इस मंदिर में नागा साधु निकालते हैं महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ की विशेष बारात, जानिए कहां है ये मंदिर

WD Feature Desk
शनिवार, 8 फ़रवरी 2025 (13:17 IST)
Someshwar Mahadev Mandir: उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश एक पावन तीर्थस्थल है। इस पौराणिक और दिव्य तीर्थस्थल में कई प्राचीन मंदिर हैं।  सोमेश्वर महादेव मंदिर का विशेष स्थान है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। महाशिवरात्रि का पर्व यहां धूमधाम से मनाया जाता है। मंदिर से निकलने वाली शिव बारात और शिव-पार्वती विवाह इसे और भी खास बनाते हैं। इस आयोजन में भक्तगण पूरे श्रद्धा भाव से शामिल होते हैं और नगर एक भक्तिमय वातावरण में डूब जाता है।

महाशिवरात्रि पर अनोखी शिव बारात
हर साल महाशिवरात्रि के अवसर पर मंदिर से एक विशाल शिव बारात निकाली जाती है, जो पूरे शहर में घूमती है. इस बारात की खास बात यह है कि इसमें नागा साधु अपनी पारंपरिक वेशभूषा में शामिल होते हैं और अपने करतब दिखाते हैं. भक्तजन भगवान शिव, माता पार्वती, नंदी, भूत-प्रेतों और गणों के रूप में सजे हुए रहते हैं. पूरा नगर भगवान शिव के जयकारों से गूंज उठता है.

त्रिवेणी घाट पर शिव-पार्वती विवाह
शिव बारात के बाद नगर के प्रसिद्ध त्रिवेणी घाट पर शिव-पार्वती विवाह का आयोजन होता है। इस विवाह में माता पार्वती भगवान शिव के गले में वरमाला डालकर उनकी अर्धांगिनी बनती हैं। यह अद्भुत नजारा देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु ऋषिकेश आते हैं। पुरोहित मंत्रोच्चार करते हैं और भक्तगण शिव-पार्वती के मिलन के साक्षी बनते हैं। पूरे विधि-विधान से विवाह संपन्न होता है।


सोमेश्वर महादेव मंदिर का पौराणिक महत्व
सोमेश्वर महादेव मंदिर को ऋषिकेश के सबसे पुराने शिव मंदिरों में गिना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने स्वयं यहां प्रकट होकर एक स्वयंभू शिवलिंग की स्थापना की थी। भक्तों के बीच मान्यता है कि इस मंदिर में आने से शिव कृपा प्राप्त होती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पूरे साल यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है लेकिन महाशिवरात्रि के दिन यह स्थान विशेष रूप से भक्तिमय हो जाता है।

वट वृक्ष में वास करते हैं महादेव
मान्यता के अनुसार यहां विराजमान 11 वट वृक्ष एकादश रुद्रों का प्रतीक है जिन्हें भगवान शिव ने स्वयं प्रकट किया था।  इस मंदिर का वर्णन स्कन्द पुराण के केदार खंड में भी है।  मना जाता हिया कि जीवित अवस्था में एक वट वृक्ष में भगवान शिव का वास होता है, जैसे आँवले के वृक्ष में श्री हरि नारायण का वास होता है, नीम के वृक्ष में मां दुर्गा भवानी का वास होता है वैसे ही वट वृक्ष में स्वयं भगवान शिव का वास होता है ।

श्री राम ने किया था यहां अभिषेक
ऐसी किवदंती है कि रावण के वध के कारण श्री राम को ब्रह्म हत्या का दोष लगा था जिसके निवारण के लिए श्री राम ऋषिकेश आये थे और उन्होंने भी सोमेश्वर महादेव का अभिषेक किया था तत्पश्चात ब्रह्म हत्या के दोष के निवारण हेतु प्रभु श्री राम माँ भागीरथी के तट पर तपस्या करने को प्रस्थान कर गए।
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