Dharma Sangrah

विश्व का एकमात्र ज्योतिर्लिंग जहां हर रात शयन के लिए आते हैं भोलेनाथ और माता पार्वती, साथ खेलते हैं चौपड़

WD Feature Desk
शनिवार, 12 जुलाई 2025 (13:58 IST)
mystery of omkareshwar jyotirlinga: मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में पवित्र नर्मदा नदी के तट पर स्थित ओंकारेश्वर, भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह स्थान न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहाँ के ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी एक ऐसी अलौकिक मान्यता भी है, जो भक्तों को विस्मित कर देती है। कहा जाता है कि इस पावन धाम में हर रात स्वयं भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती शयन के लिए आते हैं, और सोने से पहले वे चौपड़ का खेल भी खेलते हैं। यह मान्यता सदियों से चली आ रही है और लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनी हुई है।

रात्रि शयन और चौपड़ की दिव्य लीला
ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी सबसे अद्भुत और रहस्यमयी मान्यता यह है कि भगवान शिव तीनों लोकों का भ्रमण करके प्रतिदिन रात को इसी मंदिर में शयन करने आते हैं। उनके साथ माता पार्वती भी होती हैं। भक्तों का दृढ़ विश्वास है कि रात्रि के समय मंदिर के पट बंद होने के बाद, भोलेनाथ और माता पार्वती यहाँ चौसर (चौपड़) का खेल खेलते हैं।

इस मान्यता के चलते, मंदिर में प्रतिदिन रात्रि में पंडित के अलावा किसी को शामिल होने की अनुमति नहीं है। शयन आरती के बाद, गर्भगृह में ज्योतिर्लिंग के सामने चौपड़-पांसे की बिसात सजाई जाती है। सुबह जब मंदिर के पट खुलते हैं, तो कई बार चौसर और उसके पासे कुछ इस तरह से बिखरे मिलते हैं, जैसे रात्रि के समय उन्हें किसी ने खेला हो। यह दृश्य भक्तों के विश्वास को और भी पुख्ता करता है। यह एक ऐसा रहस्य है जिसे विज्ञान भी नहीं सुलझा पाया है, और यह सिर्फ़ श्रद्धा और आस्था का विषय है।

ओंकारेश्वर और ममलेश्वर: एक ही ज्योति का दो रूप
ओंकारेश्वर द्वीप नर्मदा नदी के मध्य में 'ॐ' के आकार में स्थित है, और यहीं पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग विराजमान है। नर्मदा के दक्षिणी तट पर ममलेश्वर मंदिर स्थित है, जिसे प्राचीन काल में अमरेश्वर के नाम से जाना जाता था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने अपने ओंकारेश्वर नामक लिंग के दो भाग किए थे, जिनमें से एक ओंकारेश्वर और दूसरा ममलेश्वर कहलाया। दोनों शिवलिंगों का स्थान भले ही अलग हो, लेकिन उनकी सत्ता और स्वरूप एक ही माना जाता है। शिवपुराण में इन दोनों ज्योतिर्लिंगों की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है।

इस स्थान पर ध्यान और पूजा करने से मन को शांति और आध्यात्मिक बल मिलता है। यह माना जाता है कि ओंकारेश्वर में नर्मदा स्नान और ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बिना सभी तीर्थ यात्राएं अधूरी मानी जाती हैं। यह मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक जीवंत आस्था का प्रतीक है, जहाँ लाखों भक्त दूर-दूर से इस चमत्कारिक ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने आते हैं, यह विश्वास लेकर कि यहाँ आने से उनके सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ALSO READ: पृथ्वी की नाभि पर स्थित है यह दिव्य ज्योतिर्लिंग जहां काल भी मान लेता है हार, जानिए महाकालेश्वर के अद्भुत रहस्य
 

अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

 

सम्बंधित जानकारी

Shukra tara asta: शुक्र तारा होने वाला है अस्त, जानिए कौनसे कार्य करना है वर्जित

Tadpatri bhavishya: ताड़पत्री पर लिखा है आपका अतीत और भविष्य, कब होगी मौत यह जानने के लिए जाएं इस मंदिर में

Margashirsha Month: मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष प्रारंभ: इन 7 खास कार्यों से चमकेगी आपकी किस्मत

Panchak November 2025: नवंबर 2025 में कब से कब तक है पंचक, जानें समय और प्रभाव

Kovidar: कोविदार का वृक्ष कहां पाया जाता है?

29 November Birthday: आपको 29 नवंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 29 नवंबर, 2025: शनिवार का पंचांग और शुभ समय

हरिद्वार अर्धकुंभ 2027, स्नान तिथियां घोषित, जानिए कब से कब तक चलेगा कुंभ मेला

Toilet Vastu Remedies: शौचालय में यदि है वास्तु दोष तो करें ये 9 उपाय

Dhanu Rashi Varshik rashifal 2026 in hindi: पराक्रम का राहु और अष्टम का गुरु मिलकर करेंगे भविष्य का निर्माण

अगला लेख