MajorDhyanChand । तानाशाह हिटलर का ऑफर ठुकराने वाले मेजर ध्यानचंद के बारे में 10 बातें

Webdunia
गुरुवार, 29 अगस्त 2019 (12:08 IST)
'हॉकी के जादूगर' मेजर ध्यानचंद का आज जन्मदिन है। उनके जन्मदिवस को 'राष्ट्रीय खेल दिवस' के रूप में मनाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'नेशनल स्पोर्ट्‍स डे' के मौके पर दिल्ली में 'फिट इंडिया मूवमेंट' की शुरुआत की है। इसी खेल के सर्वोच्च पुरस्कार राजीव गांधी खेलरत्न के अलावा अर्जुन, ध्यानचंद पुरस्कार और द्रोणाचार्य पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं। मेजर ध्यानचंद ने तानाशाह हिटलर का ऑफर ठुकरा दिया था। 'हॉकी के जादूगर' के रूप में जाने जाने वाले ध्यानचंद खेल का जादू भारत नहीं, बल्कि दुनियाभर में चला था। जानिए उनसे जुड़ी 10 बातें-
1. इलाहाबाद में जन्मे ध्यानचंद 16 साल की उम्र में भारतीय सेना के साथ जुड़ गए। सेना से जुड़ने के बाद उन्होंने हॉकी शुरुआत की।
 
2. ध्यानचंद चंद्रमा निकलने तक हॉकी की प्रैक्टिस करते थे, इसलिए उनके साथी खिलाड़ी उन्हें 'चांद' कहकर पुकारने लगे।
 
3. 1948 में अपना अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले मेजर ध्यानचंद ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में 400 से भी ज्यादा गोल दागे।
 
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4. मेजर ध्यानचंद ने 1928, 1932 और 1936 ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। भारत ने तीनों में गोल्ड पर कब्जा किया।
 
5. 1928 के ओलंपिक में मेजर ध्यानचंद एम्सटर्डम ओलंपिक में सर्वश्रेष्ठ गोल करने वाले खिलाड़ी बने थे। उन्होंने कुल 14 गोल दागे। तब एक अखबार ने लिखा था- 'यह हॉकी नहीं, बल्कि जादू था और ध्यानचंद हॉकी के जादूगर हैं।'
 
6. एक मैच के दौरान जब ध्यानचंद गोल करने में सफल नहीं हो पा रहे थे तो उन्होंने मैच रैफरी से गोल पोस्ट की चौड़ाई नापने का आग्रह किया। जब गोलपोस्ट की चौड़ाई नापी गई तो सभी हैरान हो गए। गोलपोस्ट नियमानुसार चौड़ाई से काफी छोटा था।

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7. नीदरलैंड्स में एक टूर्नामेंट के दौरान ध्यानचंद की हॉकी स्टिक चर्चाओं में आई। वहां के विभागीय अधिकारियों को शक हुआ कि ध्यानचंद की हॉकी स्टिक में मैगनेट लगी हुई है। ध्यानचंद की स्टिक हॉकी स्टिक तोड़ दी गई, लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं लगा, क्योंकि जादू हॉकी स्टिक में नहीं ध्यानचंद के हाथों में था।
 
8. बर्लिन ओलंपिक में ध्यानचंद का खेल देखकर तानाशाह हिटलर ने उन्हें डिनर पर बुलाया। हिटलर चाहता था कि ध्यानचंद जर्मनी की टीम में खेलें। हिटलर ने ध्यानचंद को जर्मन फौज में बड़े पद का ऑफर भी दिया। ध्यानचंद ने हिटलर के प्रस्ताव को यह कहते हुए नकार दिया कि 'हिन्दुस्तान ही मेरा वतन है और मैं जिंदगीभर उसी के लिए हॉकी खेलूंगा।'
 
9. क्रिकेट के सर्वकालिक महान बल्लेबाज सर डॉन ब्रैडमैन ने 1935 में ध्यानचंद से मुलाकात की थी। उन्होंने ध्यानचंद के बारे में कहा था कि वे ऐसे गोल करते हैं, जैसे क्रिकेट में रन बनाए जाते हैं।
 
10. वियेना के एक स्पोर्ट्स क्लब में ध्यानचंद के 4 हाथों वाली मूर्ति लगी है, उनके हाथों में हॉकी स्टिक हैं। यह मूर्ति बताती है कि उनकी स्टिक में कितना जादू था।
 
(Photo courtesy : twitter)

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