Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

आने वाले वर्षों में विश्व मुक्केबाजी की बड़ी ताकत बनेगा भारत : वाल्श

हमें फॉलो करें आने वाले वर्षों में विश्व मुक्केबाजी की बड़ी ताकत बनेगा भारत : वाल्श
, गुरुवार, 29 नवंबर 2018 (16:25 IST)
नई दिल्ली। अमेरिका की महिला मुक्केबाजी टीम के मौजूदा कोच बिली वाल्श किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं और कोच के तौर पर आयरलैंड को कई ओलंपिक पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले इस दिग्गज को लगता है कि भारत में इस खेल में सही दिशा में आगे बढ़ रहा है और आने वाले कुछ वर्षों में देश विश्व मुक्केबाजी की बड़ी ताकत बनेगा।
 
 
वर्ष 2016 में एआईबीए के वर्ष के सर्वश्रेष्ठ कोच बने वाल्श अपनी टीम को लेकर यहां दसवीं एआईबीए महिला विश्व चैम्पयनशिप में आए हुए थे। कोच और मुक्केबाज के तौर पर उन्होंने अपने देश आयरलैंड को अपार सफलता दिलाई। उनके कोच रहते आयरलैंड ने कई ओलंपिक पदक अपनी झोली में डाले। 
 
विश्व चैम्पियनशिप में भारत की दो मुक्केबाजों ने शुरुआती दौर में अमेरिकी प्रतिद्वंद्वियों को मात दी। भारतीय मुक्केबाजों के बारे में बात करते हुए वाल्श ने कहा, ‘भारतीय मुक्केबाजों को पता है कि ओलंपिक स्तर पर बेहतर करने के लिए क्या करने की जरूरत है और वे ये सब कर भी रहे हैं। मैंने पिछले दो वर्षों में तकनीकी रूप और रणनीतिक तौर पर उनमें काफी सुधार और विकास देखा है, शारीरिक रूप से भी वे काफी मजबूत हुए हैं।’ 
 
आयरलैंड की कैटी टेलर को ओलंपिक चैम्पियन बनाने में वाल्श की भूमिका काफी अहम रही है जिन्होंने लंदन ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था। भारतीय सुपरस्टार और लंदन ओलंपिक की कांस्य पदकधारी एम सी मैरीकॉम हाल में छठी बार विश्व चैम्पियन बनी और उन्होंने कैटी टेलर को पछाड़ा जो पांच बार की विश्व चैम्पियन हैं। 
 
वाल्श ने कहा, ‘भारतीय मुक्केबाजी में काफी सुधार हो रहा है। नए कोचिंग ढांचे से भारत को फायदा मिल रहा है, रफाएल (बर्गामास्को, भारतीय महिला टीम के मुख्य विदेशी कोच) मेरे मित्र हैं। जब वो इटली में थे और मैं आयरलैंड, तब हम कई बार एक दूसरे से लड़ चुके हैं।

पिछले दो वर्षों में भारतीय मुक्केबाजी में उनके आने से सुधार देखा जा सकता है। हाई परफोरमेंस निदेशक सांटियागो निएवा ने शानदार काम किया है। इस देश के पास अच्छा मौका है, यहां मुक्केबाजी की अपार प्रतिभा मौजूद है। आने वाले वर्षों में भारत विश्व मुक्केबाजी की बड़ी ताकत बनने जा रहा है।’ 
 
वाल्श खुद एमेच्योर मुक्केबाज रहे हैं और उन्होंने अपने देश के लिए ओलंपिक में चुनौती पेश की है। पेशेवर मुक्केबाजी के बारे में उनके विचार पूछने पर उन्होंने कहा, ‘मैं एमेच्योर मुक्केबाजी, ओलंपिक स्तर पर काम कर रहा हूं।

मुझे पेशेवर होने का विचार पसंद है, मुझे उन्हें खेलते हुए देखना पसंद करूंगा। ज्यादा से ज्यादा एमेच्योर अब पेशेवर मुक्केबाजी में अपना करियर बना रहे हैं, लेकिन पहले भी ऐसा ही था। लेकिन आपको ओलंपिक स्तर पर विकास करना भी जरूरी है।’ 
 
उन्होंने एमेच्योर मुक्केबाजों को सलाह देते हुए कहा, ‘ओलंपिक खेलों में हिस्सा लो, अपना नाम कमाओ। इसके बाद पेशेवर बनने के बारे में सोचो। लेकिन पेशेवर मुक्केबाजी का रास्ता यही होना चाहिए। (मोहम्मद) अली, (जो) फ्रेजर और (जार्ज) फोरमैन जैसे सभी मुक्केबाज काफी अच्छे थे, जिन्होंने पेशवर बनने से पहले ओलंपिक में पदक हासिल किए।

जिसके बाद यही रास्ता अख्तियार किया गया। मुक्केबाजों को समय लेना चाहिए, उन्हें इसी के हिसाब से पेशवर बनना चाहिए।’ 
 
मुक्केबाजी दिन प्रतिदिन बदल रही है, इस पर उनकी राय पूछने पर वाल्श ने कहा, ‘हां , मुक्केबाजी बदल रही है। लोग ज्यादा फुर्तीले हो रहे हैं, मजबूत हो रहे हैं, फिट हो रहे हैं। ज्यादा तकनीकी भी हो रहे हैं। हर किसी को विकास करना जरूरी है। अगर आप वहीं रहोगे तो पिछले दस वर्षों में जो हो रहा था, वो इतना प्रासंगिक नहीं होगा। आपको बदलाव करना जरूरी है। अगर आप बदलाव नहीं कर रहे हो और बेहतर नहीं हो रहे हो तो लोग आपको पीछे छोड़ देंगे।
 
यही खेल की प्रकृति है, यही जिंदगी की प्रवृति है। हर किसी को शीर्ष में बने रहने के लिए खुद का विकास करते रहना और खुद को शिक्षित करते रहना जरूरी है।’ वाल्श ने कहा, ‘मानसिक रूप से खिलाड़ी को तनावमुक्त रहना चाहिए, तभी आगे का सफर सरल होता।’ वह पिछले तीन वर्षों से अमेरिका को कोचिंग दे रहे हैं, यह पूछने पर कि क्या उन्हें बतौर कोच आयरलैंड की कमी खलती है।
 
उन्होंने, ‘निश्चित रूप से, मेरा देश है। मैंने दस वर्षों तक देश के लिए शीर्ष खिलाड़ी के तौर पर मुक्केबाजी की है। मैं ओलंपिक टीम का कप्तान था। मैं अभी कोलाराडो स्प्रिंग्स में ज्यादातर समय बिताता हूं, लेकिन मेरा घर आयरलैंड में ही है।’ यह पूछने पर कि वह किस तरह के विकास को जोर दे रहे हैं, तो वाल्श ने कहा, ‘काफी काम किया जाना बाकी है, देश बहुत बड़ा है। हम प्रगति कर रहे हैं।
 
हम कोच और स्टाफ तैयार कर रहे हैं, अच्छी टीम बना रहे हैं। हमें देश में क्षेत्रीय सेंटर के अलावा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस तैयार करने हैं। हम राष्ट्रीय स्तर पर जिस तरह का विकास कर रहे हैं, उसे क्षेत्रीय स्तर पर भी कराना जरूरी है। जिसके लिए हमें काफी लोग चाहिए। यही योजना है क्योंकि इससे हमें राष्ट्रीय टीम के लिए ज्यादा विकल्प मिलेंगे।’ (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

फुटबॉल चैंपियंस लीग में मैसी ने बार्सिलोना को अकेले दम पर दिलाई जीत