Paris Olympics से ठीक पहले ट्रॉयल्स से गुजरना पड़ सकता है इन पहलवानों को

WFI पेरिस खेलों की चयन पात्रता पर 21 मई को फैसला करेगा

WD Sports Desk
शुक्रवार, 17 मई 2024 (16:08 IST)
भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) पेरिस ओलंपिक के लिए भारतीय टीम चुनने के लिए 21 मई को चयन मानदंड तय करेगा। विश्वस्त सूत्रों से यह जानकारी मिली है।भारत ने ओलंपिक खेलों के लिए कुश्ती में छह कोटा स्थान हासिल किए हैं जिनमें से पांच महिला पहलवानों को मिले हैं। अमन सहरावत पुरुषों के फ्रीस्टाइल 57 किग्रा वर्ग में कोटा हासिल करने वाले एकमात्र पुरुष पहलवान हैं।

WFI ने कहा था कि वह 26 जुलाई से शुरू होने वाले पेरिस खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले पहलवानों का चयन करने के लिए एक अंतिम ट्रायल आयोजित करेगा।पहले बताए गए मानदंडों के अनुसार यह कहा गया था कि अंतिम ट्रायल में शीर्ष चार में रहने वाले पहलवान एक-दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करेंगे और उनमें से शीर्ष पर रहने वाला पहलवान कोटा विजेता के साथ मुकाबला करेगा।

डब्ल्यूएफआई के एक सूत्र ने PTI (भाषा) को बताया, ‘‘डब्ल्यूएफआई ने चयन मानदंड तय करने के लिए 21 मई को दिल्ली में चयन समिति की बैठक बुलाई है। दोनों शैलियों (पुरुष फ्रीस्टाइल और महिला कुश्ती) के दो मुख्य कोच चर्चा का हिस्सा होंगे।’’

यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या डब्ल्यूएफआई चयन समिति ट्रायल कराने का फैसला करती है या फिर कोटा विजेताओं को ही खेलों में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति देती है।

यदि कोटा विजेताओं को प्रतिस्पर्धा की मंजूरी दी जाती है तो इसका मतलब रवि दहिया (पुरुषों की 57 किग्रा) और सरिता मोर (महिलाओं की 57 किग्रा) जैसे पहलवानों के लिए पेरिस के सपने का अंत होगा क्योंकि वे चयन के लिए अंतिम चुनौती पेश नहीं कर पाएंगे।

तोक्यो खेलों में चार कोटा विजेताओं- बजरंग पूनिया, दीपक पूनिया, रवि दहिया और विनेश फोगाट- को अपने-अपने वर्ग में चुनौती पेश करने की स्वीकृति दी गई थी और खेलों के करीब उनका कोई ट्रायल नहीं हुआ था।

अनुभवी विनेश फोगाट (50 किग्रा) की अगुआई में भारत की पांच महिला पहलवानों ने ओलंपिक कोटा हासिल किया है। अंतिम पंघाल (53 किग्रा), अंशू मलिक (57 किग्रा), निशा दहिया (68 किग्रा) और रीतिका हुडा (76 किग्रा) कोटा हासिल करने वाली अन्य महिला पहलवान हैं।

आम धारणा है कि खेलों के इतने करीब ट्रायल की आवश्यकता नहीं है।दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में मुख्य कोच द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता ललित कुमार ने बताया कि ट्रायल की आवश्यकता क्यों नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे अधिकांश पहलवानों ने हाल ही में क्वालीफाई किया है। ऐसा नहीं है कि उन्होंने एक साल पहले ही क्वालीफाई कर लिया था और उनकी फिटनेस तथा फॉर्म का आकलन करने की जरूरत है। कभी-कभी पहलवान फॉर्म खो देते हैं या चोटिल हो जाते हैं इसलिए आपको उनका आकलन करने की जरूरत है कि क्या वे अपनी श्रेणी में भारत के सर्वश्रेष्ठ दावेदार हैं क्योंकि खिलाड़ी वास्तव में अपनी चोटें छिपा सकते हैं।’’

अमन ने भी ट्रायल के बारे में चिंता व्यक्त की है और कहा है कि यह समय खेलों की तैयारी पर ध्यान केंद्रित करने का है ना कि वजन घटाने की एक और दर्दनाक प्रक्रिया के लिए तैयार होने का।

विनेश ने एक्स पर एक पोस्ट में यह भी स्पष्टता की मांग की कि डब्ल्यूएफआई वास्तव में ट्रायल कराके क्या करना चाहता है।WFI के भीतर भी एक वर्ग का यह मानना है कि इस स्तर पर ट्रायल की आवश्यकता नहीं है जबकि खेल सिर्फ दो महीने दूर हैं। <>

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