शनि जयंती पर शनिदेव को लगाएं ये भोग, जानें कौन से और कैसे चढ़ाएं नैवेद्य

WD Feature Desk
गुरुवार, 22 मई 2025 (15:09 IST)
Naivedya for Shani Dev: शनि जयंती, जो इस वर्ष 27 मई, मंगलवार को मनाई जाएगी, न्याय के देवता शनिदेव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन शनिदेव को कुछ विशेष प्रकार के भोग अर्पित करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं, साथ ही शनि दोषों से भी मुक्ति मिलती है। आइए यहां जानते हैं...ALSO READ: बड़ा मंगल पर हनुमान जी को भोग लगाने से होंगे ये चमत्कारिक लाभ
 
शनि देव को प्रिय भोग और नैवेद्य:
 
शनिदेव को मुख्यतः काले रंग की वस्तुएं और तिल से बनी चीजें प्रिय होती हैं। उनकी पूजा में सात्विक और शुद्ध भोग ही अर्पित किए जाते हैं, जिनमें लहसुन-प्याज का उपयोग नहीं होता।
 
1. काले तिल के लड्डू: यह शनिदेव के सबसे प्रिय भोगों में से एक है। काले तिल को गुड़ के साथ मिलाकर लड्डू बनाए जाते हैं। मान्यता है कि यह भोग अर्पित करने से शनिदेव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या के बुरे प्रभावों में कमी आती है।
 
2. काली उड़द दाल की खिचड़ी: उड़द दाल शनिदेव को अत्यंत प्रिय है। काली उड़द की दाल और चावल से बनी खिचड़ी का भोग शनि जयंती पर विशेष रूप से लगाया जाता है। इसमें सरसों के तेल का प्रयोग करना चाहिए। यह भोग अर्पित करने से दरिद्रता दूर होती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
 
3. मीठी गुड़ वाली पूड़ी या गुलगुले: शक्कर की जगह गुड़ का उपयोग करके बनाई गई मीठी पूड़ी या गुलगुले शनिदेव को अर्पित करना शुभ माना जाता है। इसे सरसों के तेल में पकाया जाता है।
 
4. गुलाब जामुन या काला जाम: कुछ क्षेत्रों में शनिदेव को गुलाब जामुन या काला जाम का भोग भी लगाया जाता है, क्योंकि ये काले रंग के होते हैं और मीठे होते हैं।ALSO READ: प्रधानमंत्री ने लिया माता करणी का आशीर्वाद जहां बांटा जाता है चूहों का भोग लगा प्रसाद, जानिए मंदिर का रोचक इतिहास
 
नैवेद्य अर्पित करने की विधि:
1. शुद्धता: शनिदेव को चढ़ाई जाने वाली भोग की सभी सामग्री शुद्ध और सात्विक होनी चाहिए।
 
2. पात्र: शनिदेव को भोग लगाने के लिए लोहे के बर्तनों का उपयोग करना सबसे उत्तम माना जाता है। पीतल या तांबे के पात्रों का उपयोग करने से बचें।
 
3. समर्पण: पूजा के दौरान शनिदेव को भोग अर्पित करते समय मन में शुद्ध भक्तिभाव रखें। मंत्रों का जाप करते हुए 'ॐ शं शनैश्चराय नमः' या 'ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः' का उच्चारण करें।
 
4. प्रसाद वितरण: भोग अर्पित करने के बाद, इसे प्रसाद के रूप में परिवार के सदस्यों और जरूरतमंदों में बांट दें। कौवों को भी यह प्रसाद खिलाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
 
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