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सूडान : अल फ़शर के एक विस्थापन केंद्र पर हमले में 17 बच्चों की मौत, यूएन ने जताया क्षोभ

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सोमवार, 13 अक्टूबर 2025 (13:43 IST)
सूडान के नॉर्थ दारफ़ूर प्रांत के अल फ़शर शहर में एक विस्थापन केन्द्र पर हुए हमले में कम से कम 17 बच्चों के मारे जाने की ख़बर है। देश में संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष मानवीय सहायता समन्वयक ने इस हमले और बच्चों व आम नागरिकों को बार-बार, सोच-समझकर निशाना बनाए जाने की घटनाओं की कठोर शब्दों में निंदा की है। सूडान में यूएन की रैज़िडेंट कोऑर्डिनेटर डेनिज़ ब्राउन ने रविवार को जारी अपने वक्तव्य में कहा कि अस्पतालों, आश्रय स्थलों, और शरण स्थलों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।

उन्होंने दोहराया कि अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून का सम्मान किया जाना होगा और आम लोगों व बुनियादी प्रतिष्ठानों पर हमले तुरन्त रोकने होंगे। सूडान पिछले दो वर्षों से परस्पर विरोधी सैन्य बलों, सशस्त्र सेना और अर्द्धसैनिक बल (RSF) के बीच हिंसक टकराव से जूझ रहा है। अल फ़शर शहर इस लड़ाई के अग्रिम मोर्चे पर है जहां RSF लड़ाकों ने पिछले कई महीनों से घेराबंदी की हुई है और बड़ी संख्या में लोग हिंसा के बीच विस्थापन, भूख का शिकार हुए हैं।
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संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने बच्चों और उनके परिवारों पर हुए इस हमले की निंदा की है। यूनीसेफ़ ने बताया कि दर अल-अरक़ाम विस्थापन केन्द्र पर RSF लड़ाकों ने हमला किया जहां विस्थापित परिवारों ने शरण ली हुई थी। समाचार माध्यमों के अनुसार, इस हमले में 17 बच्चों समेत कम से कम 60 लोगों के मारे जाने की ख़बर है। 21 बच्चे घायल हुए हैं।
 
यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसैल ने अपने वक्तव्य में कहा कि सुरक्षा की तलाश कर रहे बच्चों व परिवारों पर हुआ यह हमला क्षुब्ध कर देने वाली घटना है। बच्चों को मारना, उन्हें घायल करना, उनके अधिकारों का गम्भीर उल्लंघन है और आम नागरिकों पर ऐसे स्थानों पर हमले करना जहां उन्हें सुरक्षा व आश्रय मिलता हो, यह चेतना पर प्रहार है।
 
घेराबंदी का शिकार
RSF लड़ाकों ने पिछले 500 दिनों से अधिक समय से अल फ़शर की घेराबंदी की हुई है। लोगों की आवाजाही, खाद्य, जल आपूर्ति, मेडिकल देखभाल पर सख़्त पाबंदी है। आम नागरिक निरन्तर बमबारी का सामना कर रहे हैं और उनके लिए जीवन दूभर हो गया है।
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नॉर्थ दारफ़ूर प्रांत के कई इलाक़ों में पिछले कुछ महीनों से अकाल है और खाद्य सुरक्षा व बाल पोषण की स्थिति विनाशकारी स्तर पर पहुंच गई है। परिवारों को बेहद कम राशन पर गुज़ारा चलाना पड़ रहा है और बच्चों में कुपोषण के मामले बढ़ रहे हैं।

स्वास्थ्य केंद्रों के अनुसार, भूख और बीमारी के कारण बाल मौतों में भी उभार देखा गया है। मानवीय सहायता आपूर्ति मार्गों में व्यवधान आया है, सामान को लूटा जा रहा है और मानवीय राहत पहुंचाने की अनुमति मिल पाना भी बहुत कठिन है।
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इन हमलों के बाद यूनीसेफ़ ने तुरन्त युद्धविराम लागू किए जाने, घेराबंदी ख़त्म करने और हिंसा से बचकर भाग रहे सभी आम नागरिकों को सुरक्षित रास्ता मुहैया कराए जाने की अपील दोहराई है। साथ ही ज़रूरतमन्दों तक सहायता पहुंचाना और आम नागरिकों के विरुद्ध हमलों के दोषियों की जवाबदेही तय करना भी आवश्यक है।

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