सूडान के अल फ़शर शहर में कितने लोग फंसे हुए हैं? यह एक ऐसा ज्वलंत सवाल है, जिसका जवाब हज़ारों लोगों के परिजन जल्द से जल्द जानना चाहते हैं। सूडान की सशस्त्र सेना से लड़ाई कर रहे अर्द्धसैनिक बल (RSF) के लड़ाकों ने डेढ़ साल से अधिक समय की घेराबन्दी के बाद पिछले महीने इस शहर पर अपना क़ब्ज़ा किया था, जिसके बाद वहां बड़े पैमाने पर अत्याचारों को अंजाम दिए जाने के आरोप सामने आए हैं।
मानवाधिकार मामलों के लिए यूएन कार्यालय उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने गहरा क्षोभ जताया है कि बदतरीन परिस्थितियों में फंसे लोग मूंगफली के छिलके और पशुओं का चारा खाने के लिए मजबूर हैं। उन्होंने आम नागरिकों की सामूहिक हत्याओं, जातीयता के आधार पर बिना सुनवाई के ही लोगों को मार दिए जाने और अन्य अत्याचारों को अंजाम दिए जाने की घटनाओं की कठोर निन्दा की है।
उच्चायुक्त टर्क ने जिनीवा में मानवाधिकार परिषद में सदस्य देशों को बताया कि अल फ़शर की ज़मीन पर ख़ून के धब्बों को अन्तरिक्ष से भी देखा जा सकता है। अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के रिकॉर्ड पर धब्बे उतने स्पष्टता से तो नहीं दिखाई दिए, लेकिन उससे कम गम्भीर बिलकुल नहीं हैं।
हमने चेतावनी दी थी कि इस शहर पर रैपिड सपोर्ट फ़ोर्स के क़ब्ज़े के परिणामस्वरूप यहां रक्तपात होगा। मानवाधिकार परिषद ने शुक्रवार को अल फ़शर और उसके आसपास के इलाक़ों में मानवाधिकारों की स्थिति पर बुलाए गए एक विशेष सत्र के दौरान एक प्रस्ताव पारित करके स्वतंत्र, अन्तरराष्ट्रीय तथ्य-खोजी मिशन के गठन का अनुरोध किया गया है।
उन्होंने बैठक को सम्बोधित करते हुए आग्रह किया कि हिंसा रोकने के लिए तत्काल अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई की आवश्यकता है। इस हिंसक टकराव में शामिल सभी को यह समझना होगा कि हम तुम्हें देख रहे हैं और न्याय को सर्वोपरि रखा जाना होगा।
सूडान में नागरिक शासन की बहाली के मुद्दे पर व्याप्त मतभेदों की वजह से सशस्त्र सेना और अर्द्धसैनिक बल (RSF) के बीच अप्रैल 2023 में भीषण लड़ाई भड़क उठी थी, जिसमें बड़े पैमाने पर समुदाय तबाह हुए हैं, लाखों लोग विस्थापित होने के लिए मजबूर हैं और देश एक गहरे मानवीय संकट का सामना कर रहा है।
आश्रय की तलाश में
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने बताया है कि पिछले दो सप्ताह में एक लाख से अधिक लोग अब तक अल फ़शर और उसके नज़दीकी गांवों को छोड़कर भाग चुके हैं। पोर्ट सूडान में यूएन एजेंसी कार्यालय के अनुसार, वे लोग कहीं फंसे हुए हैं। अल फ़शर से 50 किलोमीटर दूर स्थित तवीला में शरण लेने के लिए पहुंच रहे परिवारों ने शहर छोड़ने से पहले और उसके बाद अकल्पनीय स्थिति को बयां किया है।
इस दौरान बलात्कार और यौन हिंसा को अंजाम दिए जाने की ख़बरें हैं, लोग हताश हैं, अभिभावक अपने लापता बच्चों को ढूंढ रहे हैं, अनेक लोग हिंसक टकराव और ख़तरनाक यात्रा के कारण गहरे सदमे में हैं। फ़िरौती न दे पाने की वजह से अनेक युवकों को गिरफ़्तार कर लिए जाने या फिर जबरन हथियारबन्द गुटों में भर्ती किए जाने की भी जानकारी है।
अल फ़शर से दूर किसी सुरक्षित स्थान पर शरण लेने के लिए बड़ी संख्या में लोगों ने सैन्य चौकियों से बचते-बचाते हुए, सीमित मात्रा में भोजन व जल के साथ 15 दिनों तक का सफ़र तय किया है। सशस्त्र बलों द्वारा अनेक लोगों को जबरन अल फ़शर वापिस भेजे जाने की भी रिपोर्ट हैं, जहां परिस्थितियां बहुत चिन्ताजनक हैं।
बिना फटी विस्फोटक सामग्री का जोखिम
सूडान विश्व का सबसे बड़ा विस्थापन संकट है, जहां 1.2 करोड़ लोग देश की सीमाओं के भीतर और बाहर विस्थापित हुए हैं। इस बड़े देश के अन्य हिस्सों में वापस लौटने की कोशिश कर रहे अनेक लोगों के सामने बिना फटे हथियारों की चपेट में आने का भी जोखिम है।
बारूदी सुरंग से निपटने के लिए यूएन सेवा (UNMAS) ने बताया कि साउथ कोर्दोफ़ान, वैस्ट कोर्दोफ़ान और ब्लू नाइल स्टेट में 1.3 करोड़ वर्ग किलोमीटर भूमि दूषण का शिकार हो चुकी है और यहां युद्ध के विस्फोटक अवशेष और बारूदी सुरंगें बिखरी हुई हैं।
विस्थापित परिवारों के लिए विशेष रूप से ख़तरा है, चूंकि उन्हें अतीत में हुई लड़ाई और उसके कारण वहां फैले हुए विस्फोटकों के बारे में जानकारी नहीं होती है। इस वजह से आम नागरिकों के हताहत होने की घटनाएं भी सामने आ रही हैं।