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मजमून
ऑल इंडिया मुशायरा-2013 : कुछ नम भी रही अदब की कामयाब महफ़िल
एक छोटा-सा ख़त, जो ख़त्म ही नहीं होता
...जब हथेलियों पर सजाईं मुनव्वर राना की जूतियां
शुक्रवार, 23 अगस्त 2013
सादा मिज़ाज शख्स मीर तक़ी मीर
गजल संग्रह ‘ख्वाब पत्थर हो गए’ का विमोचन
रूमानी ग़ज़ल का आख़िरी पुजारी
ग़ालिब : व्यक्तित्व और कृतित्व
तितलियाँ आसपास
आज तक आपने तितलियों को फूलों और कलियों के ऊपर मँडराते देखा होगा। फूलों का रस चूसने आई हैं या अठखेलि...
ग़ालिब पर नाटक का मंचन
ग़ालिब की सालगिरह पर होने वाले इस नाटक में जाने-माने अभिनेता टॉम अल्टर ग़ालिब की भूमिका में दिखाई पड...
ग़ालिब की ग़ज़ल (अशआर के मतलब के साथ)
मेहरबाँ हो के बुला लो मुझे चाहो जिस वक़्त
आप ये न समझना के मैं नाराज़ हो गया हूँ और अब कभी नहीं आऊँगा। आप जब चाहें मुझे याद कर सकते हैं। आप जब...
ग़ालिब की ग़ज़ल और अशआर के मतलब
'अज़ीज़ अंसारी की ग़ज़ल'
सिकन्दर हमीद इरफ़ान की शायरी
तू मुझे भूल गया हो तो
अगर आने में कुछ देर हुई है तो इसकी कोई न कोई वजह ज़रूर होगी। और वजह इसके सिवा और क्या हो सकती है के क...
'है बस के हर इक उनके इशारे में निशाँ और'
उनकी जानिब से इशारे तो ज़रूर होते हैं, लेकिन उन इशारों का मतलब समझना बहुत मुशकिल है। इसलिए जब वो मोहब...
जोर से बाज़ आए पर बाज़ आएँ क्या
'घर जब बना लिया तेरे दर पर कहे बग़ैर'
ग़ालिब न कर हुज़ूर में तू बार-बार अर्ज़ ज़ाहिर है तेरा हाल सब उन पर कहे बग़ैर
दीदा-ए-तर याद आया
जिगर तिशना--मतलब बहुत बेचैन। आज मुझे अपने आँसू बहाने के दिन याद आ गए। और हमारा दिल बेचैन हो उठा और अ...
न था कुछ तो ख़ुदा था
दुनिया में जब कुछ नहीं था, तब भी ख़ुदा था और अगर कुछ न होता तो भी ख़ुदा होता। अगर मैं न होता तो ज़ाहिर ...
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