जानिए क्यों है यूपी में ईको टूरिज्म की अपार संभावनाएं, क्या है ईको टूरिज्म?

अवनीश कुमार
मंगलवार, 2 अगस्त 2022 (00:06 IST)
लखनऊ। ईको टूरिज्म से अर्थ है प्राकृतिक सौंदर्य के करीब जाना और उसका आनंद लेना। ईको टूरिज्म पर्यटकों को प्राकृतिक क्षेत्रों एवं प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर क्षेत्रों की यात्रा कराता है। ऐसी जगहों पर प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण के सभी उपाय किए जाते हैं। अगर आसान शब्दों में कहा जाए तो ईको टूरिज्म प्रकृति और पर्यावरण की देखभाल एवं उसके संरक्षण करने से है।
 
आज के समय में लोग ऐसे क्षेत्रों में जाना चाहते हैं, जहां प्राकृतिक खूबसूरती हो। ऐसे में उत्तरप्रदेश सरकार ने भी इस ओर प्रयास शुरू कर दिए हैं। तराई में बसे सीमावर्ती सिद्धार्थनगर जिले की बात हो तो महात्मा गौतम बुद्ध और काला नमक की याद आनी स्वाभाविक ही है।
 
लेकिन अगर आपसे कहा जाए कि सिद्धार्थनगर जाइए तो मनोहारी मझौली सागर भी देखिए तो बहुत संभव है कि आप आश्चर्य में पड़ जाएं। कुछ ऐसा ही आश्चर्य आजमगढ़ में बढ़ेला ताल और जौनपुर के घूमर ताल की बात पर भी हो सकता है, लेकिन बहुत जल्द प्राकृतिक सुरम्यता से परिपूर्ण ऐसे अनेक क्षेत्र ईको पर्यटन के मानचित्र पर आपको देखने को मिलेंगे।
 
यूपी में ईको टूरिज्म की अपार संभावनाएं : वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि उत्तरप्रदेश में ईको टूरिज्म के लिए भी अपार संभावनाएं हैं। हर जिले का स्थान विशेष प्राकृतिक, पर्यावरणीय या वन्य पर्यटन के लिहाज से मुफीद है। इन स्थलों को आपस में जोड़ा जाए तो ये पिकनिक या वन-डे-टूर के तौर पर पर्यटकों को लुभा सकते हैं। वहीं स्थानीय स्तर भी पिकनिक आउटिंग की मुफीद जगह के तौर पर विकसित हो सकते हैं। ऐसे में ओडीओडी के तहत ऐसे ही जगहों को चयनित कर उन्हें विकसित किया जाएगा। इसके लिए ईको टूरिज्म बोर्ड भी बनाया जा रहा है।
 
चिन्हित किए जा रहे हैं क्षेत्र : उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर वन विभाग प्रदेश के हर जिले से ऐसे संभावनाओं वाले क्षेत्रों को चिह्नित कर रहा है जिनका वन डिस्ट्रिक्ट वन डेस्टिनेशन (ओडीओडी) के अंतर्गत विकास किया जाएगा जिससे यह जगह पर्यटन से कदमताल मिला सके। अब तक 56 जिलों में ऐसे स्थल चिन्हित किए जा चुके हैं।
 
प्रदेश सरकार ने अपना ध्यान हर जिले की विशेषताओं को उभारकर उसको रोजगार एवं आय के साधन के तौर पर विकसित करने पर केंद्रित किया है। इसी कड़ी में ओडीओपी के तहत हर जिले से एक उत्पाद चिह्नित कर उसके उत्पादन व पैकेजिंग पर ध्यान दिया गया। उत्पादों के साथ ही हर क्षेत्र की पर्यटन एवं सांस्कृतिक विशेषताओं को भी बाजार एवं आय से जोड़ने की कवायद शुरू की गई है। ईको टूरिज्म ओडीओडी इसका ही हिस्सा है।
 
56 जिलों के स्थल चिन्हित : अब तक मऊ, शाहजहांपुर, बस्ती, हाथरस, हमीरपुर, अमेठी, सीतापुर, बाराबंकी, अयोध्या, फतेहपुर, जौनपुर, कौशाम्बी, आजमगढ़, अंबेडकर नगर, कानपुर व गोरखपुर सहित 56 जिलों से स्थल चिह्नित कर उसके प्रस्ताव राज्य सरकार और उसके संबंधित विभागों को भेजे जा चुके हैं। इन पर्यटन चयनित स्थलों पर बुनियादी सुविधाएं मसलन सड़क, बिजली, पानी, शौचालय, रेस्ट रूम के साथ ही सुरक्षा के इंतजाम किए जाएंगे। इसके बाद इन्हें पर्यटन डायरेक्ट्री में शामिल किया जाएगा।

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