बिकरू कांड : गैंगस्टर विकास दुबे को लेकर चौंकाने वाला खुलासा, सवालों के घेरे में पुलिस

अवनीश कुमार
रविवार, 7 मार्च 2021 (21:40 IST)
कानपुर। उत्तरप्रदेश के कानपुर के चौबेपुर में हुए बिकरू कांड के बाद से रोज न रोज एक नया खुलासा हो रहा है। कुछ दिन पूर्व अपराधी विकास दुबे के मददगार को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था। उनसे पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली थी। इसमें कई चीजें चौंकाने वाली सामने आई हैं।

कानपुर पुलिस के साथ-साथ कानपुर देहात पुलिस भी सवालों के घेरे में खड़ी हो गई है। पुलिस सूत्रों की मानें तो जहां बिकरू कांड की गूंज पूरे देश व प्रदेश में गूंज रही थी। जगह जगह पर अपराधी विकास दुबे के पोस्टर लगाए जा रहे थे।

उसकी गिरफ्तारी के लिए टीम चप्पे-चप्पे पर छापेमारी कर रही थी तो वहीं रसूलाबाद में आराम से अपराधी विकास दुबे अपने साथियों के साथ खुलेआम घूम रहा था और सड़कों पर तैनात कानपुर देहात के थाना रसूलाबाद की पुलिस चौराहों पर खड़े होने के बाद भी अपराधी विकास दुबे को पहचान नहीं पाई थी जबकि अपराधी विकास दुबे का दबदबा सर्वाधिक कानपुर नगर व देहात में ही था।

शायद ही कोई ऐसा शख्स हो जो अपराधी विकास दुबे को जानता व पहचानता न हो। उसके बाद भी अपराधी विकास दुबे रसूलाबाद में खुलेआम घूमता रहा और 3 दिनों के बाद रसूलाबाद से वह निकल गया। इसको लेकर कहीं न कहीं कानपुर देहात के थाना रसूलाबाद के तत्कालीन थाने में मौजूद पुलिसकर्मी भी की अब सवालों के घेरे में आ गए हैं। 
 
3 दिनों तक बेखौफ घूमता रहा विकास : पुलिस सूत्रों की मानें तो एसटीएफ के द्वारा विकास के मददगार रहे लोगों ने पूछताछ में बताया है कि घटना को अंजाम देने के बाद विकास दुबे रसूलाबाद में रहने वाले रामजी के घर पर अपने भतीजे अमर दुबे व प्रभात मिश्रा के साथ अचानक पहुंच गया था।

उन सभी के पास कुछ हथियार छोड़कर और कुछ भी नहीं था। थोड़ा आराम करने के बाद विकास दुबे ने कपड़े बदलने के लिए कहा लेकिन रामजी के पास घर में विकास दुबे के हिसाब से कपड़े नहीं थे जिसके लिए विकास दुबे ने बाजार जाकर कपड़े लाने के लिए प्रभात से बोला और प्रभात मोटरसाइकल से रसूलाबाद मार्केट में आराम से लगभग 1 घंटे घूमने के बाद कपड़े लेकर वापस चला आया।

कपड़े पहनने के बाद अपराधी विकास दुबे ने भी रसूलाबाद मार्केट से सामाना खरीदा और तो और एक होटल पर खड़े होकर सभी ने चाय भी पी। विकास दुबे और उसके सभी साथी वापस घर आ गए। लगभग 3 दिनों तक अखबारों व टीवी के माध्यम से वह घटना के बारे में सुनता हुआ देखता रहा।

इस दौरान कई बार उसने रसूलाबाद बाजार में जाकर सामान भी खरीदा और फिर अचानक एक दिन रात में विकास दुबे ने पहचान छिपाने के लिए घर में रखे कुर्ते को पहन लिया और साफा बांधकर खुद को जय गुरुदेव के अनुयायी की तरह बना लिया और घर से चला गया।
 
पुलिस सूत्रों की मानें तो इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने के बाद 3 दिनों तक रसूलाबाद में आराम से अपराधी विकास दुबे रहा जबकि कोरोना महामारी के चलते जुलाई के समय में ज्यादातर पुलिस हर चौराहे चौराहे पर तैनात थी।

उसके बाद भी न तो किसी आम आदमी ने उसे पहचाना और न ही पुलिस वाले उसे पहचान सके। इसके पीछे की क्या वजह है इसको लेकर तत्कालीन समय में थाने में मौजूद रहे पुलिसकर्मियों पर भी अब सवाल खड़े हो रहे हैं। पुलिस सूत्रों की मानें तो जल्द ही जुलाई में रसूलाबाद थाने में तैनात रहे पुलिसकर्मियों से भी विभागीय पूछताछ हो सकती है।

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