संक्रमण से बचे रहने के लिए इस तरह करें सूत नेति से नासिका छिद्रों को साफ

अनिरुद्ध जोशी
शनिवार, 12 फ़रवरी 2022 (16:07 IST)
Sut Neti
Covid 19: कहते हैं कि कोराना वायरस सबसे पहले नासापुटों पर जमता है। इसके बाद वह गले में फैलता है और अंत में फेंफड़ों को संक्रामित करता है। कोरोना वायरस जैसे संक्रामण के इलाज के लिए आजकल आयुर्वेद में नाक में डालने का अणु तेल ( Anu tel) मिलता है और हाल ही में एक दवा कंपनी ने नेजल स्प्रे (Coronavirus Nasal Spray) को लॉन्च किया है। यह स्प्रे कोरोना को नाक में ही मार देता है। इसी तरह यह भी कहा जा रहा है कि योग की सूत नेति के माध्यम से नाक के छिद्रों को साफ करते रहने से संक्रमण से बचा जा सकता है। आओ जानते हैं कि क्या होती है यह सूतनेति।
 
 
नोट : जलनेति अर्थात जल से नासिका के दोनों छिद्रों को अच्छी तरह से धोना। सूत नेती अर्थात सूत के एक पतले कपड़े या धागे से नासिका छिद्रों को साफ करना। इसे सूत्र नेति भी कहते हैं। यहां यह दावा नहीं किया जा रहा है कि सूत नेति से कोरोना वायरस समाप्त हो जाएगा, यह क्रिया नाक की सफाई करती है और नाक में किसी भी तरह का संक्रामण फैलने से रोकती है। यह क्रिया डॉक्टर की सलाह पर ही करें।
 
 
सूत्र नेति ( Sutra Neti ):
1. एक मोटा लेकिन कोमल धागा जिसकी लंबाई बारह इंच हो और जो नासिका छिद्र में आसानी से जा सके लीजिए।
 
2. इसे गुनगुने पानी में भिगो लें और इसका एक छोर नासिका छिद्र में डालकर मुंह से बाहर निकालें।
 
3. यह प्रक्रिया बहुत ही धैर्य से करें। फिर मुंह और नाक के डोरे को पकड़कर धीरे-धीरे दो या चार बार ऊपर-नीचे खींचना चाहिए। 
 
4. इसी प्रकार दूसरे नाक के छेद से भी करना चाहिए।
 
अवधि : यह प्रक्रिया तब तक दोहराएं जब तक की आसानी हो या नाक साफ ना हो जाए। दो दिन छोड़कर यह नेती क्रिया करनी चाहिए।
 
सावधानी : इस क्रिया को जोर-जोर से ना करें और ना ही ज्यादा करें। नाक में घाव हो सकता है। बहुत ही आसानी से धीरे-धीरे करें। सूत को नाक में डालने से पहले गरम पानी में उबाल लिया जाता है जिससे किसी प्रकार के जीवाणु नहीं रहते। नाक, गले, कान, दांत, मुंह या दिमाग में किसी भी प्रकार की गंभीर समस्या हो तो नेति क्रिया योगाचार्य के मार्गदर्शन में करना चाहिए। इसे करने के बाद कपालभाती कर लेना चाहिए।
नेती क्रिया के लाभ :
1. इससे आंखों की दृष्टि तेज होती है।
2. इस क्रिया के अभ्यास से नासिका मार्ग की सफाई होती ही है।
3. इससे कान, नाक, दांत, गले आदि के कोई रोग नहीं हो पाते हैं।
5. इसे करते रहने से सर्दी, जुकाम और खांसी की शिकायत नहीं रहती।
6. इस क्रिया को करने से दिमाग का भारीपन हट जाता है, जिससे दिमाग शांत, हल्का और सेहतमंद बना रहता है।
7. नेती क्रिया को मुख्यत: श्वसन संस्थान के अवयवों की सफाई के लिए प्रयुक्त किया जाता है। इसे करने से प्राणायाम करने में भी आसानी होती है।

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