क्या कश्मीर में बढ़ रहे हैं इस्लामिक स्टेट के चैनल?

Webdunia
बुधवार, 27 दिसंबर 2017 (11:28 IST)
(बीबीसी मॉनिटरिंग)
कथित इस्लामिक स्टेट (आईएस) के कश्मीर में पैर जमाने की कोशिशों के संकेत मिले हैं। आईएस से संबंधित कुछ ऑनलाइन अकाउंट्स से 'कश्मीर में मुजाहिदीनों' के बनाए संगठन के प्रति समर्पण की शपथ लेते कुछ वीडियो शेयर किए गए हैं। 
 
13 मिनट 46 सेकेंड का एक वीडियो 25 दिसंबर को आईएस के नाशिर न्यूज़ नेटवर्क की ओर से मैसेजिंग ऐप्लीकेशन टेलिग्राम पर 'विलायत कश्मीर' हैशटैग के साथ भेजा गया।
 
इस वीडियो में नक़ाब पहने एक व्यक्ति अबु-अल-बारा अल-कश्मीरी उर्दू बोलता नज़र आ रहा है। वीडियो में अंग्रेज़ी में सबटाइटल भी हैं, जिसमें ये शख़्स अबु-बकर अल-बग़दादी के लिए निष्ठा की क़समें खाता है और दूसरे उग्रवादी संगठनों से भी ऐसा करने की अपील करता है।
 
'अल-कश्मीरी' ने हाल ही में अल-क़ायदा से जुड़ा एक जिहादी गुट बनाने की बात कही थी। दूसरी तरफ़ अंसार गज़ावत-उल-हिंद का नेतृत्व ज़ाकिर मूसा कर रहा है और वो ख़लीफ़ा में शामिल होने के लिए आमंत्रित कर रहा है।
 
पाकिस्तान की आईएसआई की निंदा
वीडियो में नकाब पहना एक शख्स पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई और जिहादी होने का दावा करने वाले स्थानीय उग्रवादी संगठनों की निंदा करता है। ये शख्स ऐसे ही एक संगठन हिज्ब-लश्कर-जैश-तहरीक को फ़र्ज़ी संगठन बताता है।
 
वीडियो के आख़िर में नकाब पहने लोगों का संगठन गलियों में इस्लामिक स्टेट का झंडा और अबु बकर अल-बगदादी के लिए समर्पण के नारे लगाते दिखते हैं। इस वीडियो में निदा हक़ और अल-क़रार मीडिया का लोगो नज़र आता है। अल-क़रार कश्मीर केंद्रित मीडिया संस्थान है, जो जम्मू-कश्मीर में इस्लामिक ख़लीफ़ा का नुमाइंदा होने का दावा करता है।
 
हाल के दिनों में इस संगठन ने भारत में टेलिग्राम के ज़रिए हमला करने की धमकियां दी हैं। बीते कुछ महीनों में कश्मीर में इस्लामिक स्टेट के समर्थन वाले माध्यमों की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है, इससे कश्मीर में आईएस समर्थकों के बढ़ने की भी आशंका है।
 
'कश्मीर में लड़ाकों की भर्ती'
जून महीने में इस्लामिक स्टेट में कश्मीर में लड़ाकों की भर्ती करने के लिए एक लेख प्रकाशित हुआ था। इसके एक महीने बाद एक आईएस समर्थक और ख़ुद को 'अंसारुल ख़िलाफ़ह जम्मू-कश्मीर' कहने वाला एक छोटा संगठन सामने आया। इस संगठन ने कश्मीर में आईएस समर्थकों को एक साथ आने और जंग के लिए तैयार होने की अपील की थी।
 
इसी महीने एक नया अल-क़ायदा से संबंधित अंसार गज़ावत-उल-हिंद सामने आया है। नवंबर महीने में भारत प्रशासित कश्मीर में हुए हमले की आईएस ने ज़िम्मेदारी ली थी। आईएस इसे 'कमांडो ऑपरेशन' कहता है, जिसमें एक पुलिस अधिकारी की मौत हुई और एक घायल हुआ था।
 
स्लामिक स्टेट ने 2015 से नई शाखा का ऐलान नहीं किया है। अतीत में इस्लामिक स्टेट ऐसे ऐलान के लिए एक ख़ास तरीके की प्रक्रिया का पालन करता दिखा है। ये प्रक्रिया कुछ वैसी ही है, जैसा कश्मीर में फैलाए जा रहे वीडियो बयां करते हैं। किसी एक ख़ास क्षेत्र से आईएस और नेता के प्रति समर्पण का संकल्प लिया जाता है।
 
इसके बाद आईएस समर्थक लड़ाकों में से मुखिया चुने जाने की ख़बर का ऐलान किया जाता है। इसके बाद ही आईएस की नई शाखा का ऐलान किया जाता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

फाइटर जेट्स की डिलीवरी में देरी पर एयरचीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह क्यों हुए चिंतित, किस बात को लेकर जताई निराशा

LLB की पढ़ाई करना चाहती है कातिल मुस्कान, वकील बनकर लड़ेगी खुद का मुकदमा, जेल प्रशासन को लिखा पत्र

POK कब बनेगा भारत का हिस्सा, जानिए सटीक भविष्यवाणी

ड्रोन, स्‍नीफर डॉग फिर भी नहीं ढूंढ पा रही मेघालय पुलिस, रहस्‍यमयी तरीके से कहां गायब हुआ इंदौरी कपल?

किसने डिजाइन किया है 'ऑपरेशन सिंदूर' का logo? सेना ने बताए किसके नाम और क्या है लोगो का संदेश

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

TECNO POVA Curve 5G : सस्ता AI फीचर्स वाला स्मार्टफोन मचाने आया तहलका

फोन हैकिंग के हैं ये 5 संकेत, जानिए कैसे पहचानें और बचें साइबर खतरे से

NXTPAPER डिस्प्ले वाला स्मार्टफोन भारत में पहली बार लॉन्च, जानिए क्या है यह टेक्नोलॉजी

Samsung Galaxy S25 Edge की मैन्यूफैक्चरिंग अब भारत में ही

iQOO Neo 10 Pro+ : दमदार बैटरी वाला स्मार्टफोन, जानिए क्या है Price और Specifications

अगला लेख