प्राइम वीडियो ने किया सॉन्ग्स ऑफ पैराडाइज के ग्लोबल प्रीमियर का ऐलान, दिखेगी कश्मीरी गायिका राज बेगम की कहानी

WD Entertainment Desk
गुरुवार, 21 अगस्त 2025 (13:55 IST)
प्राइम वीडियो ने फिल्म 'सॉन्ग्स ऑफ पैराडाइज' के प्रीमियर की घोषणा कर दी है। 'सॉन्ग्स ऑफ पैराडाइज' पद्मश्री पुरस्कार विजेता राज बेगम की खास कहानी और सफर पर आधारित है। घाटी की खूबसूरत पृष्ठभूमि के साथ हिम्मत, पहचान और साहस को दिखाती यह फिल्म 29 अगस्त को ओटीटी पर दस्तक देगी।
 
एक्सेल एंटरटेनमेंट के प्रेजेंटेशन में और एप्पल ट्री पिक्चर्स प्रोडक्शन और रेनज़ू फिल्म्स प्रोडक्शन के प्रोडक्शन में बनी यह कहानी संगीत, हिम्मत और कश्मीर की पहली मशहूर प्लेबैक सिंगर की मजबूत भावना को दिखाती है, जिन्होंने न सिर्फ वहां की महिलाओं को प्रेरित किया बल्कि इंडस्ट्री में एक नई दिशा भी दी।
 
डायरेक्टर दानिश रेनज़ू द्वारा निर्देशित और उनके साथ निरंजन अयंगर और सुनयना काचरू द्वारा लिखित, सॉन्ग्स ऑफ पैराडाइज में सबा आज़ाद और सोनी राज़दान मुख्य भूमिका में नूर बेगम के रूप में दो अलग-अलग समयों में नजर आएंगी। इसके साथ ही ज़ैन खान दुर्रानी, शीबा चड्ढा, तारुक रैना और लिलेट दुबे भी हैं। 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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मनीष मेंघानी, डायरेक्टर और हेड ऑफ कंटेंट लाइसेंसिंग, प्राइम वीडियो, इंडिया ने कहा, सॉन्ग्स ऑफ पैराडाइज एक नई और भावनात्मक कहानी पेश करती है, जो कश्मीर के समृद्ध संगीत परंपरा पर आधारित है और हिम्मत और स्वतंत्रता की कम जानी-पहचानी सच्ची कहानी दिखाती है, जिसमें शानदार अभिनय और विरासत है। 
 
रितेश सिधवानी ने कहा, सॉन्ग्स ऑफ पैराडाइज एक ऐसी कहानी है जो कश्मीर की संस्कृति, भावनाओं और उम्मीदों को दिखाती है। यह फिल्म पद्म श्री विजेता नूर बेगम के जीवन के पन्नों को खूबसूरती से खोलती है, जिनकी आवाज ने न केवल कश्मीर को गर्व महसूस कराया बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित किया। हमें दानिश रेनज़ू के साथ मिलकर इस खास और दमदार कहानी को प्राइम वीडियो के साथ मिलकर पेश करने की खुशी है।
 
फिल्म के डायरेक्टर और राइटर दानिश रेनज़ू ने कहा, फिल्म सॉन्ग्स ऑफ पैराडाइज, पद्म श्री विजेता राज बेगम को एक दिल से दी गई श्रद्धांजलि है। वह रेडियो कश्मीर की पहली महिला आवाज़ थीं। यह फिल्म उनकी संगीत, विरासत और हिम्मत से प्रेरित एक भावुक कहानी बताती है, खासकर उस समय की जब समाज ने महिलाओं को भावनात्मक और सांस्कृतिक रूप से बाँध रखा था। यह एक ऐसी महिला की कहानी है जिसने सपने देखने की हिम्मत की, जबकि उस समय सपने देखना भी एक तरह से मना था। 

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