Earth Day Poem 2020 : मैं और मेरी धरती

सुशील कुमार शर्मा
पृथ्वी मेरी मां की तरह
चिपकाए हुए है मुझे
अपने सीने में।
 
मेरे पिता की तरह
पूरी करती है मेरी
हर कामनाएं।
 
पत्नी की तरह
मेरे हर सुख का ख्याल
उसके जेहन में उभरता है।
 
बहिन की मानिंद
मेरी खुशी पर सब निछावर करती।
 
भाई की तरह
मेरे हर कष्ट को खुद पर झेलती।
 
बेटी की तरह
मेरे घर को खुशबुओं से
करती सराबोर।
 
पृथ्वी एक नारी की प्रतिकृति
झेलती हर कष्ट
अपनों के दिए हुए दंश
लुटती है अपनों से
उसके बाद भी उफ् नहीं।
 
रुक जाओ दानवों
मत लूटो इस धरा को
जो देती है तुमको
अपने अस्तित्व को जीवनदान।
 
पर्यावरण को सुधारो।
नदियों को मत मारो
जंगलों पर आरी
खुद की गर्दन पर कटारी।
 
पॉलिथीन का जंगल
छीन लेगा तुम्हारा मंगल
वाहनों की मीथेन गैस
छीन लेगी तुम्हारी जिंदगी की रेस।
 
अरे ओ मनुज स्वार्थी...!
प्रकृति और पृथ्वी से तू जिंदा है
क्यों न तू अपने कर्मों से शर्मिंदा है।
 
भौतिकता का कर विकास
मत कर खुद का विनाश
कर इस धरती को सजीव
बन पृथ्वी का शिरोमणि जीव।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

7 दिन शक्कर ना खाने से क्या होता है? क्या सच में कम होगा वजन?

हम दोस्तों में दुनिया देखते हैं... Friendship Day पर अपने जिगरी दोस्तों को भेजें ये अनमोल शायरी

क्या है अखंड भारत? किन देशों तक था विस्तार?, इतिहास की दृष्टि से समझिए इसके अस्तित्व की पूरी कहानी

इन दिनों सोशल मीडिया पर ट्रेंड में है इस तरह की फ्रेंड्स थ्योरी, क्या आपके फ्रेंड सर्कल में हैं ये 7 तरह के लोग

इस वजह से हर साल अगस्त में मनाया जाता है फ्रेंडशिप डे, क्या है इस खास दिन का इतिहास?

सभी देखें

नवीनतम

स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है के प्रणेता बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि, जानें जीवन परिचय और 5 अनसुनी बातें

रोज रात सोने से पहले पिएं ये 5 ड्रिंक्स, डाइजेशन और इम्युनिटी के लिए हैं बेस्ट

फ्रेंडशिप डे पर रूठे यारों को इस शायराना अंदाज में मनाएं, सिर्फ दो मिनट में रिश्तों में फिर से आएगी मिठास

रक्षा बंधन पर इस बार बाजार में आई है ये 5 ट्रेंडी राखियां, जरूर करें ट्राई

रूस में भूकंप से हड़कंप, जानिए भारत में किन जगहों पर है भूकंप का सबसे ज्यादा खतरा

अगला लेख