हिन्दी रचना : मुक्तक...

सुशील कुमार शर्मा
मन का द्वंद्व गहन हो जब भी,
जीवन में अंतरद्वंद्व हो जब भी।
मुझसे आकर तुम मिल लेना,
सब दरवाजे बंद हो जब भी।
 
कठिन रास्तों पर है चलना,
पग-पग पर बैठे हैं छलना।
संघर्षों से लोहा लेकर,
मंजिल तुमको निश्चित मिलना।
 
कभी खुशी कभी गम जीवन में,
कष्ट कंटकों के आंगन में।
तुमको आगे बढ़ते जाना,
शिखर शौर्य के निज मधुवन में।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

खुद की तलाश में प्लान करें एक शानदार सोलो ट्रिप, ये जगहें रहेंगी शानदार

5 हजार वर्ष तक जिंदा रहने का नुस्खा, जानकर चौंक जाएंगे Video

योग के अनुसार प्राणायाम करने के क्या हैं 6 चमत्कारी फायदे, आप भी 5 मिनट रोज करें

दाबेली महाराष्ट्र की या गुजरात की, किसका दावा है सही?

एलोवेरा के साथ मिलाकर लगाएं ये चीजें, मजबूत होंगे बाल, आ जाएगी गजब की शाइन

सभी देखें

नवीनतम

टीचर और छात्र का चटपटा जोक : कौन सा कीड़ा गर्मी में सबसे ज्यादा उड़ता है?

इन टेस्ट से करें लिवर की हिफाजत, समय रहते पहचानें बीमारियों का खतरा

विश्व यकृत दिवस 2025: जानें लिवर रोग के कारण, निवारण और उपचार

नमक-मिर्च वाली केरी खाने से पहुंचा रहे हैं सेहत को नुकसान, हो जाइये सावधान

वर्ल्ड लिवर डे 2025: कैसे समझे इस रोग को, जानें लक्षण, प्रकार और 2025 की थीम

अगला लेख