हिन्दी कविता : प्रणवदा की सीख के निहितार्थ

डॉ. रामकृष्ण सिंगी
कहा उन्होंने हम तो एक चैतन्य राष्ट्र हैं,
मंत्र हमारा सदा रहा 'वसुधैव कुटुम्बकम् । 
अनगिनत जातियों, भाषाओं, रीति-रिवाजों के समन्वय से,
एक इन्द्रधनुषी संस्कृति के पोषक हैं हम ।।1।। 
 
काफिर हैं वे जो इस गंगा-जमुनी संस्कृति से विमुख हों,
अन्तर्मन में द्वेष रखें और ऊपर मेल-जोल का दिखाव करें । 
चाहे जिस वर्ग, पार्टी, संघ, समूह या धारणा के हों,
प्रकटतः सहिष्णुता के हामी हों, भीतर विद्वेषी अलगाव करें ।। 2 ।।
 
अब हम एक सशक्त राष्ट्र हैं दुनिया में,
एक उदारवादी, सामंजस्यी साख हमारी है । 
अब न करेंगे सहन विघटनवादियों को 
छद्द्म सिद्धान्तों के नक़ाब में,
अब सारे नक़ाब उलट देने की तैयारी है ।। 3।। 
 
उभरते राष्ट्र की बेल में घुन हैं ये सब,
निर्मल राष्ट्रीय धारा में छुपे हुए प्रदूषण हैं । 
सत्ता के लिए सिद्धांतहीन जोड़-तोड़ करते,
सचमुच नए युग के ये अवसरवादी विभीषण हैं ।।4।।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?

ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

जर्मन मीडिया को भारतीय मुसलमान प्रिय हैं, जर्मन मुसलमान अप्रिय

Metamorphosis: फ्रांत्स काफ़्का पूरा नाम है, लेकिन मुझे काफ़्का ही पूरा लगता है.

21 मई : राजीव गांधी की पुण्यतिथि, जानें रोचक तथ्य

अपनी मैरिड लाइफ को बेहतर बनाने के लिए रोज करें ये 5 योगासन

क्या है Male Pattern Baldness? कहीं आप तो नहीं हो रहे इसके शिकार

अगला लेख