राम नवमी पर कविता : मेरे राम...

प्रीति दुबे
राम तुम्हें अब आना होगा
मैं शबरी बन जाऊंगी
ध्यान तुम्हारा नित मैं धरूंगी
रघुपति राघव गाऊंगी
 
राम तुम्हें अब आना होगा
बलिहारी राम मैं जाऊंगी
अधरों से झरा रज चरणों की
पलकों से पग सहलाऊंगी
 
राम तुम्हें अब आना होगा
नैनों की ज्योत जलाऊंगी
लोचन जल अमृत धारा से
पद प्रच्छालन रीत निभाऊंगी
 
राम तुम्हें अब आना होगा
श्रद्धा के सुमन बरसाऊंगी
पुष्पों से सजा' रघुनन्दन' पथ
आतिथ्य की प्रथा निभाऊंगी
 
राम तुम्हें अब आना होगा
'प्रीति' के भजन मैं गाऊंगी
मीठे बेरों को चुन चख कर
प्रभु तुमको भोग लगाऊंगी
 
राम तुम्हें अब आना होगा
दर्शन पा मैं तर जाऊंगी
पाकर' राजीव नयन' आशीष
एक ज्योति पुंज हो जाऊंगी
 
राम तुम्हें अब आना होगा
मैं शबरी बन जाऊंगी
मेरी भक्ति की शक्ति से 
परिशुद्ध' प्रीत'को निभाऊंगी
मैं शबरी बन जाऊंगी
सत्कार की' 'रीत' निभाऊंगी

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