कविता : और मैं लखनऊ हो जाता हूं

राकेशधर द्विवेदी
मैं लखनऊ स्टेशन से बाहर निकलता हूं
सामने लिखा हुआ है कि ‘मुस्कुराइए कि आप लखनऊ में हैं’ 
भूल-भुलैया और इमामबाड़े से 
गुजरता हुआ रेजीडेंसी होकर मैं हजरतगंज पहुंच जाता हूं
अम्बेडकर पार्क, लोहिया पार्क और शहीद पथ देखकर 
मन ही मन मुस्कुराता हूं, चारों तरफ हरियाली है, दिव्यता है
मकराने के लाल पत्थरों से मुस्कराती हुई भव्यता है
सजी हुई पार्क में बेजुबान मूर्तियां, जो दूर से आए अनेक लोगों को लुभाती हैं
लखनऊ के नए वैभव से परिचित कराती हैं
मैं बार-बार गौरवान्वित महसूस करता हूं
अपने लखनऊयेपन पर याद करता हूं कि विवश होकर
कैसे मैं नोएडा, गाजियाबाद चला जाता हूं
और लखनऊ की यादों में किसी बहुमंजिली इमारत की 
तेरहवीं मंजिल के आठ बाई आठ के कमरे में बैठा 
गोता लगाता हूं, सोचता हूं यदि होते इन भव्य स्मारकों के स्थान पर 
कुछ कारखाने, कुछ धुंआ उड़ाती चिमनियां जिनसे 
सुबह शाम निकलती उम्मीद और हौसले से भरी जिम्मेदारियां 
तो मैं क्यों लखनऊ छोड़ इस कांक्रीट के जंगल में आता 
अमीनाबाद की प्रकाश कुल्फी से निकलता और हजरतगंज 
में वाजपेयी की पूड़ियां खाता और यादों की इस गठरी 
को बांधे-बांधे मैं हजरतगंज के लवलेन में कहीं खो जाता हूं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

अपनों का दिन बनाएं मंगलमय, भेजें सुन्दर आध्यात्मिक सुप्रभात् संदेश

रात को शहद में भिगोकर रख दें यह एक चीज, सुबह खाने से मिलेंगे सेहत को अनगिनत फायदे

इम्युनिटी बढ़ाने के साथ दिन भर तरोताजा रखेंगे ये गोल्डन आइस क्यूब, जानिए कैसे तैयार करें

कॉर्टिसोल हार्मोन को दुरुस्त करने के लिए डाईट में शामिल करें ये 4 चीजें, स्ट्रेस को कहें बाय-बाय

क्या प्रोटीन सप्लीमेंट्स लेने से जल्दी आता है बुढ़ापा, जानिए सच्चाई

सभी देखें

नवीनतम

विश्व जल संरक्षण दिवस क्यों मनाया जाता है, जानें इतिहास, महत्व और 2025 की थीम

24 मार्च: विश्व टीबी दिवस 2025 की क्या है थीम, जानिए कितनी खतरनाक है ये बीमारी?

कैंसर के इलाज में क्रांति है CAR टी-सेल थेरेपी, जानिए कैसे करती है काम

गुड़ी पड़वा के खास मौके पर अपने दोस्तों और प्रियजनों को भेजें ये सौभाग्य और समृद्धि की कामना वाले संदेश

शीतला सप्तमी-अष्टमी पर बासी खाने का भोग क्यों लगाया जाता है? क्या है इस दिन का आपकी सेहत से कनेक्शन

अगला लेख