कविता : महाराष्ट्र का महा-सर्कस

डॉ. रामकृष्ण सिंगी
ये (नेता) क्या कभी बाज आएंगे 
अपनी शाश्वत घिनौनी फितरत से।  
रोएगा मतदाता ही जिसने चुना इनको,
अच्छे शासन की हसरत से || 1 || 
 
जो लड़ेंगे सरकार बनाने में,
क्या (ख़ाक) सरकार चलाएंगे।  
मनमानी रेवड़ियां बाटेंगे,
हर पद की जुगाड़ लगाएंगे || 2 || 
 
हां, हमने ही तो चुना इनको,
अब सिर धुनकर क्यों पछताएं हम। 
बेबस से उन्हें कोसते हुए,
क्यों अपना खून जलाएं हम || 3 || 
 
ये बेहया, सत्ता लोभी अपनी 
हरकतों से बाज न आने वाले। 
ठगे जाते हैं सदा, ठगे जाते रहेंगे,
हम मतदाता ही भोले-भाले || 4 || 
 
झूठा हो गया प्रजातंत्र,
झूठी सब कवायदें चुनाव की। 
जिसकी पतवारें टूटी हों,
कैसे रक्षा होगी उस नाव की ||5 ||
 
अवसरवादी गठबंधन की राजनीति 
है प्रजातंत्र की दुखती नस। 
इसका जीवंत नमूना है 
यह महाराष्ट्र का महा-सर्कस || 6 ||

सम्बंधित जानकारी

Show comments

गर्मियों में इन 10 बीमारियों का खतरा रहता है सबसे ज्यादा, जानें कैसे करें बचाव

गर्मियों में भेज रहे हैं बच्चे को स्कूल तो न करें ये 10 गलतियां

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है आंवला और शहद, जानें 7 फायदे

ग्लोइंग स्किन के लिए चेहरे पर लगाएं चंदन और मुल्तानी मिट्टी का उबटन

थकान भरे दिन के बाद लगता है बुखार जैसा तो जानें इसके कारण और बचाव

गर्मियों में पीरियड्स के दौरान इन 5 हाइजीन टिप्स का रखें ध्यान

मेंटल हेल्थ को भी प्रभावित करती है आयरन की कमी, जानें इसके लक्षण

सिर्फ 10 रुपए में हटाएं आंखों के नीचे से डार्क सर्कल, जानें 5 आसान टिप्स

क्या है ASMR जिसे सुनते ही होता है शांत महसूस? जानें सेहत के लिए कैसे है फायदेमंद

Ramanujan :भारत के महान गणितज्ञ रामानुजन की 5 खास बातें

अगला लेख