हिजाब पर सुलग उठा ईरान, महिलाएं उतरी सड़कों पर, 5 की मौत, 100 घायल, हिजाब बना ‘इंटरनेशनल हंगामा’

Webdunia
मंगलवार, 20 सितम्बर 2022 (17:05 IST)
ईरान में एक महिला की पुलिस कस्‍टडी में हुई मौत के बाद वहां महिलाओं में आक्रोश है। महिलाएं सड़कों पर उतर आईं हैं, प्रदर्शन किए जा रहे हैं, बुर्का और हिजाब जलाए जा रहे हैं। इसके साथ ही कई महिलाएं अपने लंबे बालों को कटवा रही हैं। इन प्रदर्शनों के रोकने के लिए पुलिस फायर कर रही है, कई लोगों को गिरफ्तार किया गया।लाठीचार्ज और हवाई फायरिंग भी की जा रही है। इन घटनाओं में अब तक 5 लोगों की मौत हो गई, जबकि 100 से ज्‍यादा लोग घायल हो गए हैं। करीब 300 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। अब यह मुद्दा इंटरनेशनल सुर्खियां बटौर रहा है। न्‍यूज और टीवी में हिजाब की अनिवार्यता और मुस्‍लिम महिलाओं की आजादी को लेकर बहस चल रही है।

महसा की मौत पर सुलग उठा ईरान
दरअसल, हिजाब के नाम पर ईरान में एक लड़की को पीट-पीटकर मार दिया गया। 22 साल की महासा अमीनी 13 सितंबर को अपने परिवार के साथ तेहरान घूमने आई थी। महासा अमीनी ने हिजाब पहना हुआ था, लेकिन उसके हिजाब से उसके कुछ बाल बाहर आ रहे थे। इसी वजह से कुछ हिजाबधारी महिलाओं और ईरान पुलिस ने महासा को जबरदस्ती पकड़कर बुरी तरह से मारा पीटा। जिसके बाद पुलिस कस्‍टडी में उसकी मौत हो गई।
अमीनी की मौत के बाद ईरान सुलग उठा है। महिलाओं में गुस्‍सा है। हजारों महिलाएं हिजाब को उतारकर आग लगा रही हैं और अपने बालों को छोटा कर रही हैं। कई महिलाएं सड़कों पर उतर आई हैं। अब आलम यह है कि पुलिस प्रशासन और महिलाएं आमने-सामने हैं।

महसा के शहर में प्रदर्शन और फायरिंग
पुलिस फायरिंग से 5 लोगों की मौत हो गई। 80 से ज्यादा घायल हैं। ये प्रदर्शन देश के पश्चिमी हिस्से में शुरू हुए थे। इस इलाके को कुर्दिस्तान कहा जाता है। यहां के लोग कई साल से अलग देश की मांग भी कर रहे हैं।
इधर महसा अमीनी के शहर साकेज में भी पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव हो गया। महसा के अंतिम संस्कार के बाद प्रदर्शनकारी गवर्नर हाउस के बाहर जुटे थे। यहां सुरक्षाकर्मियों ने गोलियां चलाईं। कुर्दों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन हेंगाव के मुताबिक गोलीबारी में 2 लोग मारे गए हैं और 30 से ज्यादा लोग घायल हैं। इनमें 2 लड़के और 3 महिलाएं शामिल हैं। कियान देरकशा नाम के एक नौजवान के सिर में गोली लगी है। इस प्रदर्शन को दबाने के लिए ईरान की पुलिस हर तरीके अपना रही हैं। लाठीचार्ज, हवाई फायरिंग, गिरफ्तारियां सब कुछ किया जा रहा है। बावजूद इसके हिजाब के खिलाफ चल रहा विरोध प्रदर्शन थम नहीं रहा है।

क्‍या हुआ था अमीनी के साथ
जिस महसा अमीनी की मौत के बाद यह प्रदर्शन हो रहे हैं, उसे हिजाब नहीं पहनने के लिए कुछ लोगों ने पीटा था, बाद में सिर न ढकने के आरोप में पुलिस ने 22 साल की महसा अमीनी को कस्टडी में ले लिया था। महसा कुर्द मूल की थीं। हिरासत में ही वे कोमा में चली गईं और 16 सितंबर को उनकी मौत हो गई। इसके बाद महिलाओं का गुस्सा भड़क गया। कुर्दिस्तान के शहरों के बाद राजधानी तेहरान में भी प्रदर्शन हुए हैं। महिलाओं की मांग है कि हिजाब को अनिवार्य की जगह वैकल्पिक किया जाए। उनका कहना है कि हिजाब की वजह से किसी महिला का कत्‍ल नहीं किया जा सकता।
Hijab

क्‍या है ईरान का इतिहास?
बता दें कि ईरान एक ऐसा देश है, जहां राजशाही के दौरान महिलाओं को ज्यादा आजादी थी, लेकिन 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद महिलाओं को धार्मिक कट्टरवाद का गुलाम बना दिया गया। जिन महिलाओं ने विरोध किया, उनको कैद किया गया और जिन्होंने मजबूरीवश इसे अपना लिया, उन्हें ईरान की आदर्श नारी के तौर पेश किया गया। यही नहीं, ईरान एक ऐसा देश हैं जहां 7वीं सदी के नियमों को जबरन थोपा जा रहा है।

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