डोनाल्ड ट्रंप ने सीमा शुल्क बढ़ाया तो भारत को क्या करना चाहिए, जानिए एक्सपर्ट्स की राय

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
मंगलवार, 21 जनवरी 2025 (23:56 IST)
व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारतीय उत्पादों पर उच्च सीमा शुल्क लगाने का फैसला करते हैं तो उसके जवाब में भारत को भी उसी तरह के कदम उठाने चाहिए। विशेषज्ञों ने कहा कि भारत ने पहले भी अमेरिका द्वारा कुछ इस्पात एवं एल्युमीनियम उत्पादों पर लगाए गए गैरकानूनी शुल्कों के जवाब में सेब जैसे कई अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी सीमा शुल्क लगाए हैं।
 
भारत बहुत शुल्क लगाता है : ट्रंप ने दिसंबर में कहा था कि भारत 'बहुत' शुल्क लगाता है। इसके साथ ही उन्होंने कुछ अमेरिकी उत्पादों के आयात पर भारत द्वारा लगाए जाने वाले शुल्कों के जवाब में पारस्परिक शुल्क लगाने के अपने इरादे को भी दोहराया था।
आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, "भारत को दृढ़ता से और समान उपायों के साथ जवाब देना चाहिए। इसके पहले 2018 में जब अमेरिका ने भारतीय इस्पात और एल्युमीनियम पर कर लगाया था तो भारत ने भी 29 अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क बढ़ाकर जवाबी कार्रवाई की थी।"
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श्रीवास्तव ने कहा कि अगर नया अमेरिकी प्रशासन 'अमेरिका फर्स्ट' एजेंडे को आगे बढ़ाने का फैसला करता है, तो भारतीय निर्यातकों को वाहन, कपड़ा और औषधि उत्पादों के लिए उच्च सीमा शुल्क का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा एच-1बी वीजा नियमों को सख्त करने पर भारतीय आईटी फर्मों की वृद्धि प्रभावित हो सकती है।
 
अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ अभिजीत दास ने कहा, "अगर अमेरिका अतिरिक्त शुल्क लगाता है तो भारतीय वस्तुओं के लिए बाजार बंद हो जाएगा। ऐसी स्थिति में भारत को भी समान उपायों के साथ जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए। इससे गैरकानूनी शुल्क हटाने पर भविष्य में होने वाली बातचीत में भारत की स्थिति मजबूत होगी।"
 
व्यापार विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि भारत पर आयात शुल्क के 'दुरुपयोग' करने का ट्रंप का आरोप अनुचित है क्योंकि अमेरिका सहित कई देश कुछ उत्पादों पर उच्च सीमा शुल्क लगाकर अपने घरेलू उद्योगों की रक्षा करते हैं।
 
अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ बिस्वजीत धर ने कहा कि ट्रंप विभिन्न क्षेत्रों में शुल्क बढ़ाएंगे क्योंकि उन्हें 'अमेरिका को फिर से महान बनाओ' (एमएजीए) के अपने नारे को पूरा करने की दिशा में कदम उठाना है। धर ने कहा, "ट्रंप पहले भी भारत के साथ व्यापार अधिशेष का मुद्दा उठा चुके हैं। भारत ने हमेशा परामर्श का समर्थन किया है, कभी एकतरफा काम नहीं किया है। लेकिन अगर चीजें काम नहीं करती हैं तो हमें उसके हिसाब से कदम उठाने के बारे में सोचना चाहिए।"
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हालांकि निर्यातक संगठनों का मानना ​​है कि ट्रंप शुल्क बढ़ाने की अपनी धमकी पर आगे नहीं बढ़ेंगे, क्योंकि कई अमेरिकी कंपनियों ने भारत में निवेश में रुचि दिखाई है और शुल्क लगाने का उन पर भी असर होगा। निर्यातक संगठनों के महासंघ फिओ के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने कहा, "मुझे लगता है कि भारत-अमेरिका व्यापार संबंध और मजबूत होंगे। अगर अमेरिका चीनी उत्पादों पर अधिक शुल्क लगाता है तो उससे भारत के पास अमेरिका को अपना निर्यात बढ़ाने का अवसर होगा।"
 
उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के उप महासचिव एस पी शर्मा ने आशंकाओं को दरकिनार करते हुए कहा कि ट्रंप के पिछले कार्यकाल की तरह इस बार भी भारत-अमेरिका के आर्थिक और व्यापार संबंधों में मजबूती आने की उम्मीद है। 
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ब्रिक्स देशों पर टैरिफ की धमकी : राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स (BRICS) देशों को खुलेआम एक धमकी दे दी है। सोमवार (20 जनवरी) को शपथ लेते ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि स्पेन समेत ब्रिक्स देशों पर 100% टैरिफ लगाया जा सकता है। ब्रिक्स में इस वक्त 10 देश शामिल है। इनमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात शामिल है। स्पेन ब्रिक्स का भाग नहीं है। इसके बावजूद स्पेन डोनाल्ड ट्रंप के रडार में है। डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले साल दिसंबर महीने में ही ब्रिक्स देशों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने का इशारा कर दिया था। हालांकि उन्होंने इसके लिए एक शर्त भी रखी थी। इनपुट भाषा Edited by : Sudhir Sharma 

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