मजेदार बाल कविता : शक्कर पुंगा और चिर्रु

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
मैंने खाया शक्कर पुंगा,
आटे की चिर्रु खाई।
मां ने गरम-गरम रोटी पर,
पहले चुपड़ा देशी घी।
 
फिर मुट्ठीभर शक्कर ले उस,
मोटी रोटी पर भुरकी।
चार परत जब रोटी मोड़ी,
शक्कर पुंगा कहलाई।
 
आटे की छोटी लोई की,
नन्ही कुछ बतियां भांजीं।
लघु आकर दिया चिड़िया का,
चूल्हे में सिंकने डाली।
फंसा चिरैया फिर लकड़ी में,
मां ने मुझको पकड़ाई।
 
शक्कर पुंगा चिर्रु खाकर,
बचपन फिर परवान चढ़ा।
कदम-दर-कदम चलते-चलते,
दुनियाभर का ज्ञान मिला।
सूरज की किरणों में तपकर,
तन ने मजबूती पाई।
 
मन फिर हुआ स्वच्छ झरने-सा,
तन पककर फौलाद हुआ।
पाठ नहीं ढूंढा फिर कोई,
गुणा-भाग सब याद किया।
पर्वत चढ़ने, खाई उतरने,
में न आई कठिनाई।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

इन्फ्लेमेशन बढ़ने पर शरीर में नजर आते हैं ये लक्षण, नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी

आपको डायबिटीज नहीं है लेकिन बढ़ सकता है ब्लड शुगर लेवल?, जानिए कारण, लक्षण और बचाव

छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर जानिए उनके जीवन की रोचक बातें

भोलेनाथ के हैं भक्त तो अपने बेटे का नामकरण करें महादेव के इन सुन्दर नामों पर, सदा मिलेगा भोलेनाथ का आशीर्वाद

क्यों फ्लाइट से ऑफिस जाती है ये महिला, रोज 600 किमी सफर तय कर बनीं वर्क और लाइफ बैलेंस की अनोखी मिसाल

सभी देखें

नवीनतम

जानिए अल्कोहल वाले स्किन केयर प्रोडक्ट्स की सच्चाई, कितने हैं आपकी त्वचा के लिए सेफ

इन फलों के छिलकों को फेंकने के बजाए बनाएं शानदार हेअर टॉनिक, बाल बनेंगे सॉफ्ट और शाइनी

बच्चे कर रहे हैं एग्जाम की तैयारी तो मेमोरी बढ़ाने के लिए खिलाएं ये सुपर फूड

क्या आप भी हैं भूलने की आदत से परेशान, तो हल्दी खाकर बढ़ाएं अपनी याददाश्त, जानिए सेवन का सही तरीका

डायबिटीज और जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए खाएं मेथीदाने की खिचड़ी, नोट कर लें आसान रेसिपी

अगला लेख