सीओए ने कोर्ट से कहा, राहुल और पांड्या मामले में हो लोकपाल की नियुक्ति

Webdunia
शुक्रवार, 18 जनवरी 2019 (09:09 IST)
नई दिल्ली। प्रशासकों की समिति (सीओए) ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि महिलाओं के खिलाफ असंवेदनशील बयानबाजी को लेकर विवाद में फंसे निलंबित क्रिकेटर हार्दिक पांड्या और केएल राहुल की सजा तय करने को भारतीय क्रिकेट बोर्ड के लिए एक लोकपाल की नियुक्ति की जानी चाहिए।


न्यायमूर्ति एसए बोबडे और एएम सप्रे की पीठ ने कहा कि बीसीसीआई मामले में जितने भी अंतरिम आवेदन दायर किए गए हैं, उनकी सुनवाई अगले सप्ताह करेंगे जब वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस नरसिम्हा मामले में न्यायमित्र के रूप में पद संभाल लेंगे।

राहुल और पांड्या ने काफी विद करण में महिला विरोधी बयानबाजी करते हुए कहा था कि उनके कई महिलाओं से संबंध हैं और उनके माता पिता को इस पर ऐतराज नहीं है। उन्हें जांच पूरी होने तक निलंबित कर दिया गया है। उच्चतम न्यायालय ने नरसिम्हा को न्यायमित्र नियुक्त किया जब वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रहमण्‍यम ने मामले में न्यायमित्र बनने के लिए दी गई सहमति वापिस ले ली थी।

सीओए की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पराग त्रिपाठी ने कहा कि न्यायालय को लोकपाल की सीधे नियुक्ति करनी चाहिए क्योंकि इन दोनों प्रतिभाशाली युवा क्रिकेटरों के भविष्य पर तुरंत फैसला लेना है। बीसीसीआई के कामकाज के संचालन के लिए न्यायालय द्वारा नियुक्त 4 सदस्‍यीय सीओए में से 2 सदस्यों के इस्तीफे के बाद अब सिर्फ 2 सदस्य अध्यक्ष विनोद राय और डायना एडुल्जी बचे हैं।

त्रिपाठी ने राहुल और पांड्या युवा खिलाड़ी हैं और उनके भविष्य को लेकर तुरंत फैसला लिया जाना चाहिए। उन्होंने एक टीवी शो पर कुछ असंवेदनशील बयान दिए। सीओए के 2 सदस्यों का मानना है कि उनकी सजा पर फैसला लेने के लिए लोकपाल की नियुक्ति होनी चाहिए। राय ने दोनों क्रिकेटरों पर 2 मैच के प्रतिबंध का सुझाव दिया है लेकिन एडुल्जी ने मामले को बीसीसीआई की कानूनी शाखा के समक्ष रखा है जिसने लोकपाल की नियुक्ति का सुझाव दिया है।

फैसले का इंतजार बढ़ा : उच्चतम न्यायालय ने बीसीसीआई के सभी मामलों की सुनवाई एक हफ्ते के लिए स्थगित कर दी है जिससे महिला विरोधी टिप्पणी करने पर निलंबित भारतीय क्रिकेटर हार्दिक पांड्या और लोकेश राहुल का इस मामले पर फैसले का इंतजार बढ़ गया है।

बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरूवार को कहा कि अब उच्चतम न्यायालय ने इस मामले का संज्ञान लिया है और पहले ही न्यायमित्र के एक हफ्ते के बाद पद संभालने की बात कही है तो सीओए प्रमुख तदर्थ लोकपाल नियुक्त नहीं कर सकता क्योंकि यह अदालत की अवमानना होगी। पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस नरसिम्हा को मामले में न्यायमित्र के रूप में रखा है और स्थाई या तदर्थ लोकपाल की नियुक्ति तभी हो सकती है जब न्यायमित्र पद संभाल लेंगे।

यह पूछने पर कि अब क्या रास्ता होगा तो अधिकारी ने कहा कि तदर्थ लोकपाल की नियुक्ति अब भी हो सकती है लेकिन ऐसा तभी होगा जब पूर्व अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल (पीएस नरसिम्हा) पद संभाल लेंगे और वह इस बात को मान जाएं कि तदर्थ लोकपाल इस फैसले के जल्दी खत्म होने के लिए जरूरी है ताकि क्रिकेटर अपनी राष्ट्रीय सेवाएं शुरू कर सकें।

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