सबसे तेज, मासूम के बलात्कारी को मात्र 22 दिन में फांसी की सजा

Webdunia
शनिवार, 12 मई 2018 (13:56 IST)
इंदौर। चार माह की मासूम बच्ची के साथ बलात्कार और फिर उसकी हत्या करने के मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति को जिला कोर्ट ने शनिवार को फांसी की सजा सुनाई है। संभवत: यह पहला मामला है ‍जब अदालत ने रेप के मामले में इतनी जल्दी फैसला दिया हो और फांसी की सजा सुनाई हो। 
 
गौरतलब है कि गत 20 अप्रैल को इंदौर के राजबाड़ा क्षेत्र में 25 वर्षीय व्यक्ति मां के पास सो रही चार माह की बच्ची को उठाकर ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया बाद उसकी हत्या कर दी। 
 
गुरुवार को अंतिम बहस में अभियोजन पक्ष ने कोर्ट से आरोपी को मृत्युदंड देने की गुहार करते हुए कहा था कि 29 गवाहों के साक्ष्यों से यह साबित है कि घटना विरल से विरलतम है। अपर सत्र न्यायाधीश वर्षा शर्मा के समक्ष मात्र सात दिन चली ट्रायल में कोर्ट ने बचाव पक्ष को गुरुवार को साक्ष्य पेश करने को कहा था। हालांकि साक्ष्य पेश नहीं किए गए। 
अभियोजन पक्ष ने कोर्ट से गुहार करते हुए कहा आरोपी को फांसी की सजा सुनाई जाए। शेख ने बच्चियों के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामलों में फांसी की सजा संबंधी सुप्रीम कोर्ट के न्याय दृष्टांत भी पेश किए जिनमें फांसी की सजा की पुष्टि की गई है।
 
यह था पूरा मामला : राज्य शासन द्वारा नियुक्त विशेष लोक अभियोजक मोहम्मद अकरम शेख ने अंतिम तर्क में कहा कि आरोपी नवीन उर्फ अजय गड़के की पत्नी रेखा मृत बच्ची के पिता की मौसी है। आरोपी की अपनी पत्नी से अनबन चल रही थी। आरोपी चाहता था कि बच्ची की मां पत्नी से समझौता करवा दे। हालांकि बच्ची की मां ने इसके लिए मना कर दिया था।
 
19 अप्रैल 2018 की रात में आरोपी शराब लेकर बच्ची की नानी के पास पहुंचा था। मना करने पर आरोपी बोतल फेंककर चला गया था। 20 अप्रैल की तड़के चार बजे वह माता-पिता के पास सोई बच्ची को उठाकर श्रीनाथ पैलेस बिल्डिंग के तलघर में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। बाद में उसे ऊपर से फेंक दिया, जिससे बच्ची की मौत हो गई थी।
इस तरह चला घटनाक्रम : घटना की संवेदनशीलता को देखते हुए डीआईजी हरिनारायणाचारी मिश्र ने जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। कलेक्टर निशांत वरवड़े ने शासन की ओर से पैरवी के लिए जिला लोक अभियोजन अधिकारी मोहम्मद अकरम शेख को विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया। एसआईटी के प्रमुख और थाना प्रभारी शिवपालसिंह कुशवाह ने अनुसंधान कर सातवें दिन 27 अप्रैल को चालान पेश कर दिया।
 
28 अप्रैल को अभियोजन पक्ष ने 34 गवाहों की सूची के साथ ट्रायल प्रोग्राम कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने 1 मई से ट्रायल (गवाहों के साक्ष्य) शुरू किए और मात्र सात दिन में 8 मई को 29 गवाहों के साक्ष्य पूरे कर ट्रायल पूरी की, जो संभवत: इतने गवाहों के बयान की सबसे कम अवधि है।

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