मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अभिनेता अक्षय कुमार से गैर राजनीतिक बातचीत में कई राज खोले। उन्होंने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं प्रधानमंत्री बनूंगा। उन्होंने कहा कि परिवार चाहता था कि मैं अच्छी नौकरी करूं। 1962 के युद्ध के बाद मैं सेना में जाना चाहता था। मैंने जो कभी नहीं सोचा था, वह बन गया।
उन्होंने बताया कि बचपन में मेरा स्वभाव था किताबें पढ़ना, बड़े बड़े लोगों का जीवन पढ़ता था। कभी फ़ौज वाले निकलते थे तो बच्चों की तरह खड़ा होकर उन्हें सेल्यूट करता था।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि किसी को नीचा दिखाकर कोई काम नहीं करना। चपरासी से लेकर मुख्य सचिव तक कभी किसी पर गुस्सा नहीं किया। उन्होंने कहा कि मैं टीम बनाकर चलता हूं। सीखता हूं और सिखाता हूं। मैं अनुशासित हूं, किसी का अपमान नहीं करता।
पीएम मोदी ने कहा कि मैं कभी किसी से मिलता हूं तो मेरा कभी कोई फोन नहीं आता है। मैंने खुद को जीवन को ऐसा अनुशासित बनाया है। जहां तक ह्यूमर का सवाल है तो मेरे परिवार में जब भी पिता जी नाराज होते थे, तो मैं पूरे माहौल को हल्का कर देता था।
उन्होंने कहा कि मेरे आसपास एक वर्क कल्चर डेवलप होता है। मैंने Human Resource Development में ही जिंदगी खपाई है। हां, मैं काम के वक्त काम में रहता हूं। समय नहीं खराब करता हूं।
अगर मैं प्रधानमंत्री बनकर घर से निकला होता, तो मेरा मन रहता की सब वहीं रहे। लेकिन मैंने बहुत छोटी उम्र में घर छोड़ दिया था और इसलिए लगाव, मोहमाया सब मेरी ट्रैनिग के कारण छूट गया।
उन्होंने कहा कि मेरी कड़क छवि बना दी गई। मैं वैसा नहीं हूं। मेरे व्यक्तित्व का सही विश्लेषण नहीं किया गया।उन्होंने कहा कि मैं काम के समय केवल काम करता हूं। कई बार में अफसरों को चुटकुले भी सुनाता हूं।
मोदी ने कहा कि सभी दल के लोग परिवार की तरह जुड़े हुए हैं। ममता दीदी मुझे साल में 2 बार कुर्ते भेजती है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना जी साल में 3-4 बार खास तौर पर ढाका से मिठाई भेजती हैं। ममता दीदी को पता चला तो वो भी साल में एक-दो बार मिठाई जरूर भेज देती हैं।