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लद्दाख सुलग क्यों उठा? प्रदर्शन हिंसक होने पर सोनम वांगचुक ने तोड़ा अनशन, केंद्र सरकार को साजिश की आशंका

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , गुरुवार, 25 सितम्बर 2025 (00:03 IST)
Ladakh violence : सरकारी सूत्रों ने बुधवार को यहां कहा कि लद्दाख में हुई हिंसा के मामले में राजनीति और निजी स्वार्थ से प्रेरित साजिश की बू आ रही है, लेकिन युवाओं को इसके लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने दावा किया कि लद्दाख और उसके युवा कुछ लोगों की संकीर्ण राजनीति और कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की निजी महत्वाकांक्षाओं की भारी कीमत चुका रहे हैं। सरकारी बयान के मुताबिक लद्दाख में भीड़ के हमलों में 30 से अधिक पुलिस/सीआरपीएफ जवान घायल हुए हैं। भीड़ पुलिस पर हमला कर रही थी। इसके बाद पुलिस ने आत्मरक्षा में गोलीबारी की, जिसमें कुछ लोगों के हताहत होने की खबर है।
सूत्रों ने कहा कि हिंसा में शामिल लद्दाख के युवाओं को गुमराह करके राजनीतिक व निजी स्वार्थ के लिए एक भयावह साजिश में फंसाया गया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार लद्दाख के लोगों के कल्याण व सशक्तीकरण के लिए प्रतिबद्ध है और युवाओं के साथ खड़ी है। सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने ऐसे बयान दिए जो पथराव, बंद और आगजनी के निर्देश जैसे लग रहे थे।
 
एक सूत्र ने कहा कि वे इतने तैयार कैसे थे? पूरे घटनाक्रम को देखते हुए राजनीति और निजी स्वार्थ से प्रेरित साजिश की बू आ रही है।” उन्होंने कहा कि लद्दाख में स्थिति अपने आप नहीं बिगड़ी, बल्कि जानबूझकर बिगाड़ी गई। केंद्र शासित प्रदेश से संबंधित सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए एबीएल और केडीए के साथ उच्चाधिकार प्राप्त समिति की छह अक्टूबर होने वाली बैठक का उल्लेख करते हुए सूत्रों ने कहा कि केंद्र सरकार ने एबीएल द्वारा प्रस्तावित एचपीसी के नए सदस्यों को लेकर भी सहमति व्यक्त की है।
 
बातचीत का रखा था प्रस्ताव
सूत्रों ने कहा कि केंद्र सरकार बैठक को 6 अक्टूबर के बजाय 25-26 सितंबर को आयोजित करने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि दरअसल, केंद्र सरकार हमेशा से बातचीत के लिए तैयार रही है और पहले भी 25 जुलाई को बातचीत का प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन उसे सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली थी।” सूत्रों ने सवाल किया कि जब बातचीत खुले मन से तय की गई थी, तो हिंसा किसके फायदे के लिए भड़काई गई?
 
सूत्रों ने कहा कि सोनम वांगचुक लंबे समय से लद्दाख में 'अरब स्प्रिंग' जैसे विरोध प्रदर्शन की इच्छा जताते रहे हैं। नेपाल में जेनरेशन जेड के विरोध प्रदर्शनों का उनका संदर्भ अब एक ब्लूप्रिंट जैसा लगता है। क्या उन्होंने इस मंच का इस्तेमाल अपने निजी मुद्दों को छिपाने के लिए किया है ताकि अब सामने आ रही कुछ गड़बड़ियों को छिपाया जा सके?
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हिंसा को लेकर क्या बोले वांगचुक
जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने लेह में हुई हिंसा की घटनाओं पर बुधवार को दुख जताया और हिंसा के लिए ‘‘जेन जेड’’ के बीच बढ़ती हताशा को जिम्मेदार ठहराया। अधिकारियों ने बताया कि लेह में हिंसक झड़पों में चार युवकों की मौत हो गई। ‘जेन जेड’ वे युवा हैं जिनका जन्म 1997 से 2012 के बीच हुआ है।
 
लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची के विस्तार की मांग को लेकर जारी आंदोलन के हिंसक रूप लेने के बाद प्रशासन ने लद्दाख के लेह जिले में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी। निषेधाज्ञा के तहत पांच या इससे अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। आंदोलन के हिंसक रूप लेने के बाद वांगचुक ने 15 दिन से जारी अपनी भूख हड़ताल वापस ले ली।
 
वांगचुक ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रदर्शनकारियों में से दो, 72 वर्षीय एक पुरुष और 62 वर्षीय एक महिला को मंगलवार को अस्पताल ले जाया गया था और कहा कि संभवतः यह हिंसक विरोध का तात्कालिक कारण था। वांगचुक ने कहा कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन से कोई परिणाम नहीं निकलने के कारण युवाओं में निराशा बढ़ रही है।
 
घटनाक्रम का ब्योरा देते हुए उन्होंने बताया कि बुधवार को बड़ी संख्या में ‘जेन जेड’ युवा प्रदर्शन स्थल पर आए। उन्होंने बताया कि इसके बाद 2,000-5,000 युवा सड़कों पर उतर आए। वांगचुक ने कहा, ‘‘कल दो लोगों को अस्पताल ले जाया गया। लगता है यही तात्कालिक कारण था... इसने युवा पीढ़ी को झकझोर दिया। लद्दाख के युवाओं ने मिलकर लद्दाख बंद का आह्वान किया और सभी लोग उस जगह इकट्ठा हो गए जहां हम अनशन पर बैठे थे।’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘जैसे ही प्रार्थना और भाषणों के साथ कार्यक्रम आगे बढ़ रहा था, युवाओं का एक समूह नारे लगाते हुए बाहर निकला। बाद में, हमने सुना कि उन्होंने उत्पात मचाया, पुलिस के वाहनों और लेह स्थित भाजपा कार्यालय को आग के हवाले कर दिया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज जो हुआ वह बहुत दुखद है। ऐसा कहा जा रहा है कि तीन .चार युवक मारे गए हैं।’’
 
कार्यकर्ता ने इस बात पर जोर दिया कि हिंसा का अप्रत्यक्ष कारण युवाओं में बढ़ती हताशा है क्योंकि पिछले पांच वर्षों में उनके शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों का कोई नतीजा नहीं निकला है। उन्होंने कहा कि लद्दाख के समूहों के साथ बैठक के लिए गृह मंत्रालय द्वारा दी गई छह अक्टूबर की तारीख से भी लोगों में असंतोष पैदा हुआ। उन्होंने कहा कि किसी को नहीं पता था कि ऐसा कुछ होगा। हजारों लोग बाहर आ गए और यह स्थिति पैदा हो गई।’’
 
इन घटनाओं में किसी राजनीतिक दल की भूमिका की आशंका के बारे में पूछे जाने पर वांगचुक ने कहा, ‘‘लद्दाख में राजनीतिक दल हजारों युवाओं को संगठित करने में सक्षम नहीं हैं... उनके दिलों में निराशा है।’’

कर्फ्यू लगाया गया 
लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने राज्य के दर्जे की मांग को लेकर बुधवार को हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा के बाद कहा कि रक्तपात रोकने के लिए लेह जिले में कर्फ्यू लगा दिया गया है। उन्होंने कहा कि हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करके देश के कानून के अनुसार उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
 
गुप्ता ने लद्दाख के लोगों को संबोधित करते हुए कहा, "एहतियाती उपाय के तौर पर कर्फ्यू लगाया गया है। यहां लोगों की जान गई है और मैं उनके परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। और अधिक रक्तपात को रोकने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए जाएंगे।" उपराज्यपाल ने कहा कि किसी भी रूप में हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने पुलिस और ज़िला प्रशासन को शांति भंग करने और संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार सभी तत्वों की पहचान करके उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया। गुप्ता ने कहा कि लद्दाख में शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ने की साजिश के तहत हिंसा भड़काई गई है। एजेंसियां Edited by : Sudhir Sharma

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