एक्सप्लेनर:प्रियंका की किसान पंचायत पॉलिटिक्स पश्चिमी यूपी में कांग्रेस को फिर से खड़ा करेगी?
किसान पंचायत से किसान आंदोलन में सीधे प्रियंका गांधी की एंट्री !
नए कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर शुरु हुए किसान आंदोलन के बहाने किसान नेता और सियासी दल अब खुद की राजनीतिक जमीन मजबूत करने में जुट गए हैं। किसान पंचायत के नाम पर सियासी दल के नेताओं ने राज्य में अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत करने में कोई मौका भी नहीं चूक रहे है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के नेतृत्व में अपने को फिर से पुर्नजीवित करने की कोशिश में लगी कांग्रेस आज सहारनपुर के चिलकाना में किसान पंचायत कर रही है वहीं दूसरी ओर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खासा प्रभाव रखने वाले पार्टी राष्ट्रीय लोकदल लगातार किसान महापंचायत कर अपने को मजबूत करने में जुटी हुई है। प्रियंका गांधी की किसान पंचायत से पहले जिला प्रशासन की ओर से सहारनपुर में धारा 144 लगा देने के बाद कांग्रेस ने कड़ा एतराज जताया है।
दरअसल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन का खासा प्रभाव है। सराहनपुर जहां प्रियंका गांधी आज किसान पंचायत कर रही है वहां कांग्रेस काफी मजबूत है। सराहनुप जिले से कांग्रेस के पांच विधायक आते है वहीं कांग्रेस के अल्पसंख्यक चेहरा इमरान मसूद भी सराहनपुर से आते है। ऐसे में प्रियंका गांधी का सराहनपुर से किसान पंचायत पॉलिटिक्स का शंखनाद करना यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव से सीधे जोड़कर देखा जा रहा है।
किसान आंदोलन का बागपत,सहारनपुर, हापुड,शामली समेत कई जिलों में किसान आंदोलन का काफी गहरा प्रभाव है। किसान आंदोलन से भाजपा सरकार के खिलाफ उपजी नाराजगी का फायदा उठाकर कांग्रेस ने गांव-गांव किसान आंदोलन का कार्यक्रम तय कर लिया है। आज से हर जिले के तहसीलों के बड़े गांवों में कांग्रेस जय जवान-जय किसान अभियान की शुरुआत कर रही है।
कांग्रेस इस अभियान के तहत उन जिलों को प्राथमिक तौर पर टारगेट कर रही है जहां पर मजबूत किसान राजनीति का आधार रहा है. साथ ही इन जिलों में किसान आंदोलन का अच्छा खासा प्रभाव रहा है। सहारनपुर, शामली, मुज़फ्फरनगर, बागपत, मेरठ, बिजनौर, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, आगरा, फिरोजाबाद, बदायूं, बरेली, रामपुर, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई समेत 27 जिलों जय जवान-जय किसान अभियान मजबूती से शुरु हो रहा है।
उत्तर प्रदेश की सियासत के जानकार वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि किसान आंदोलन का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खासा असर है। पश्चिम उत्तर प्रदेश में जाट वोट बैंक भाजपा का पंरपरागत वैट बैंक के रुप में उभरा है और पिछले कुछ चुनाव से लगातार भाजपा के साथ नजर भी आ रहा है।
किसान आंदोलन में जाट कम्युनिटी जोर शोर से शामिल हो रही है और अब पर्टियों की नजर इसी वोट बैंक पर टिक गई है। कांग्रेस इस अभियान से किसान जातियों खास कर- हिंदू, मुस्लिम,जाटों और गुर्जरों में मजबूत पकड़ बनाने की रणनीति पर काम कर रही है।