चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि कैसे मनाते हैं, जानें 5 प्रमुख बातें

WD Feature Desk
शनिवार, 29 मार्च 2025 (15:10 IST)
worship of Mother Durga: चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि दोनों ही हिन्दू धर्म में मां नवदुर्गा को समर्पित महत्वपूर्ण त्योहार हैं। इन दोनों ही पर्वों पर नौ दिनों तक माता दुर्गा की पूजा-आराधना की जाती है। अखंड ज्योत जलाई जाती है तथा अष्टमी-नवमी तिथि पर देवी पूजन के साथ-साथ कन्या भोज भी करवाया जाता है। इस बार 30 मार्च से चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ हो रहा है तथा इसका समापन 6 अप्रैल 2025 को श्रीराम नवमी के साथ होगा।ALSO READ: चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से, कैसे करें देवी आराधना, जानें घट स्थापना के मुहूर्त
 
हालांकि, इन दोनों में कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं। आइए जानते हैं चैत्र तथा शरद नवरात्रि के प्रमुख 5 अंतर...

1. नवरात्रि का समय:
• यह नवरात्रि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है, जो आमतौर पर मार्च या अप्रैल में आती है। यह नवरात्रि हिंदू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी है। चैत्र नवरात्रि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाई जाती है। यह नवरात्रि वसंत ऋतु में आती है, इसलिए इसे वसंत नवरात्रि भी कहा जाता है। चैत्र नवरात्रि में शारदीय नवरात्रि की तरह ही रीति-रिवाज एवं अनुष्ठानों का पालन किया जाता है।  
 
• शारदीय नवरात्रि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है, जो आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में आती है। शारदीय नवरात्रि आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाई जाती है। यह नवरात्रि शरद ऋतु में आती है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। शारदीय नवरात्रि के दौरान घटस्थापना एवं संधि पूजा मुहूर्त अधिक लोकप्रिय हैं।ALSO READ: चैत्र नवरात्रि पर घट स्थापना और कलश स्थापना क्यों करते हैं?
 
2. महत्व:
• चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के साथ-साथ भगवान राम की भी पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन श्रीराम नवमी मनाई जाती है, जो भगवान राम के जन्म का प्रतीक है। इस अवसर पर नौ दुर्गा पूजन के साथ-साथ श्रीराम का पूजन भी किया जाता है।
 
• शारदीय नवरात्रि मां दुर्गा की महिषासुर पर विजय का प्रतीक है। इस नवरात्रि के दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। राम-रावण युद्ध के समय स्वयं प्रभु श्रीराम ने मां दुर्गा की आराधना करके उनसे विजयी होने का आशीष लिया था तथा बुराई के प्रतीक रावण पर उन्होंने जीत हासिल करके विजय पताका फहराई थी।ALSO READ: चैत्र नवरात्रि 2025 की अष्टमी तिथि कब रहेगी, क्या रहेगा पूजा का शुभ मुहूर्त?
 
3. उत्सव का स्वरूप:
• चैत्र नवरात्रि में नौ दिनों तक व्रत और पूजा-पाठ का अधिक महत्व होता है। तथा इन दिनों उपवास रखकर फलाहार ग्रहण किया जाता है। कई लोग इस समयावधि में चप्पल का त्याग करते हैं तो कई लोग मौन व्रत धारण करते हैं।
 
• शारदीय/ शरद नवरात्रि में व्रत और पूजा-पाठ के साथ-साथ गरबा और डांडिया जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है, जिसे हर जगह बहुत ही धूमधाम से नौ दिनों तक डांडिया रास का आयोजन करके माता की आराधना की जाती है तथा कई स्थानों पर कन्या भोज का आयोजन किया जाता है। 
 
4. पर्व की भिन्नता:
• चैत्र नवरात्रिका पर्व उत्तर भारत में अधिक लोकप्रिय है। चैत्र नवरात्रि की शुरुआत महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा से और आंध्र प्रदेश, कर्नाटक में उगादी पर्व से होती है।
 
• शारदीय नवरात्रि गुजरात, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में अधिक लोकप्रिय है। इस अवसर पर पर्व का उत्साह देखते ही बनता है। खासकर युवाओं में यह पर्व अधिक लोकप्रिय हो चला है।ALSO READ: चैत्र नवरात्रि पर IRCTC का वैष्‍णोदेवी स्पेशल टूर पैकेज, जानिए कम खर्च में कैसे जा सकते हैं माता रानी के दरबार में
 
5. समापन:
• चैत्र नवरात्रि का समापन राम नवमी के दिन होता है। इस दिन प्रभु श्रीराम के जन्मोत्सव के साथ-साथ चैत्र नवरात्रि का समापन भी होता है। 
• शारदीय नवरात्रि का समापन विजयादशमी/ दशहरा के दिन होता है। तथा इस दिन आयुध पूजा, शस्त्र पूजन का विशेष महत्व है। यह दिन शारदीय नवरात्रि की समाप्ति तथा बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक स्वरूप में मनाया जाता है। और इस तरह दोनों ही नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा-आराधना की जाती है और दोनों का अलग लेकिन अपना-अपना धार्मिक महत्व है।ALSO READ: चैत्र नवरात्रि पर घट स्थापना और कलश स्थापना क्यों करते हैं?
 
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