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Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि: 9 दिनों का महत्व और महिषासुर मर्दिनी की कथा

शारदीय नवरात्रि 9 दिनों तक क्यों मनाते हैं?

WD Feature Desk
सोमवार, 15 सितम्बर 2025 (17:22 IST)
Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि का पर्व, नौ दिनों तक मनाया जाता है, जो माँ दुर्गा के नौ दिव्य रूपों को समर्पित है। हर दिन देवी के एक अलग स्वरूप की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों का अपना विशेष धार्मिक और पौराणिक महत्व है। 22 सितंबर से 1 अक्टूबर तक नवरात्रि के पर्व के बाद दूसरे दिन 2 अक्टूबर को दशहरा का पर्व मनाया जाएगा जिसे विजयादशमी भी कहते हैं।
 
नवरात्रि में नवदुर्गा के नौ स्वरूप:
नवरात्रि में इन 9 नामों से माँ दुर्गा की पूजा की जाती है:
  1. शैलपुत्री: पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण माँ दुर्गा का यह स्वरूप शैलपुत्री कहलाता है।
  2. ब्रह्मचारिणी: जब उन्होंने कठोर तपस्या करके भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया, तब वे ब्रह्मचारिणी कहलाईं।
  3. चन्द्रघंटा: उनके मस्तक पर अर्धचंद्र के आकार का तिलक है, इसलिए उनका नाम चन्द्रघंटा पड़ा।
  4. कूष्मांडा: अपने उदर (पेट) में अंड (ब्रह्मांड) को धारण करने के कारण वे कूष्मांडा कहलाती हैं।
  5. स्कंदमाता: उनके पुत्र कार्तिकेय को स्कंद भी कहा जाता है, इसलिए वे स्कंद की माता कहलाती हैं।
  6. कात्यायनी: महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर उनके यहाँ पुत्री रूप में जन्म लेने के कारण वे कात्यायनी कहलाईं। इन्होंने ही महिषासुर का वध किया था, इसलिए इन्हें महिषासुरमर्दिनी भी कहते हैं।
  7. कालरात्रि: माँ पार्वती का यह स्वरूप सभी प्रकार के संकटों और कालों का नाश करने वाला है, इसीलिए इन्हें कालरात्रि कहा जाता है।
  8. महागौरी: इनका वर्ण (रंग) पूर्ण रूप से गौर यानी सफेद है, इसलिए इन्हें महागौरी कहते हैं।
  9. सिद्धिदात्री: जो भक्त पूर्ण समर्पण के साथ इनकी पूजा करता है, उन्हें ये हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं।
 
नवरात्रि की पौराणिक कथा: महिषासुर का संहार
नवरात्रि पर्व का संबंध देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर नामक असुर के संहार से है। पौराणिक कथा के अनुसार, महिषासुर ने अपनी कठोर तपस्या से देवताओं को प्रसन्न कर अजेय होने का वरदान प्राप्त कर लिया था। वरदान मिलते ही उसने स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया और सभी देवताओं को वहाँ से भगा दिया। उसने सूर्य, इंद्र, अग्नि, वायु, चंद्रमा, यम और वरुण जैसे सभी देवताओं के अधिकार छीनकर स्वयं स्वर्ग का स्वामी बन बैठा।
 
महिषासुर के अत्याचारों से तंग आकर सभी देवताओं ने मिलकर एक दिव्य शक्ति की रचना की। ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा के निर्माण में सभी देवताओं ने अपनी-अपनी शक्ति का एक समान अंश दिया था। सभी देवताओं ने अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र भी देवी दुर्गा को दिए, जिससे वे और अधिक शक्तिशाली हो गईं।
 
देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच लगातार नौ दिनों तक भयंकर युद्ध चला। अंत में, दसवें दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। इसी विजय की खुशी में दसवें दिन विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है।

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