पांडव पंचमी क्यों मनाई जाती है, 5 खास बातें

Webdunia
सोमवार, 8 नवंबर 2021 (17:26 IST)
Pandav Panchami 2021 : कार्तिक मास की शुक्ल पंचमी तिथि को पांडव पंचमी पर्व के रूप में मनाया जाता है। इसे लाभ और सौभाग्य पंचमी भी कहते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह पंचमी 9 नवंबर 2021 को मनाई जाएगी। 
 
पंचमी तिथि प्रारंभ :- 8 नवंबर 2021 दिन सोमवार को दोपहर 1:16 मिनट पर शुरू होगा व 9 नवंबर 2021 दिन मंगलवार को सुबह 10:35 मिनट पर समाप्त होगा।
ALSO READ: पांडवों से सीखें जिंदगी जीने और जीत के सूत्र
1. पांडव पंचमी का महत्व : भगवान श्रीकृष्ण के आदेश से पांडवों ने कौरवों को जिस दिन हराया था, उस दिन पंचमी थी। इसीलिए तभी से पांचों पांडवों की पूजा होती पांडव पंचमी मनाई जाती है। मान्यता है कि पांडव जैसे पुत्रों की प्राप्ति हेतु इस दिन श्रीकृष्‍ण सहित पांडवों की पूजा की जाती है।
 
2. कैसे करते हैं पूजा : इस दिन घर को गाय के गोबर से लिपा जाता है और गोवर्धन पूजा की तरह गाय के गोबर से पांडवों की आकृति बनाकर उनकी पूजा की जाती है। हालांकि हर प्रदेश में पूजा के अलग अलग तरीके प्रचलित हैं। 
 
3. पांचों पांडवों का चरित्र : पांडव 5 भाई थे जिनके नाम ये हैं :- 1. युधिष्ठिर 2. भीम 3. अर्जुन 4. नकुल और 5. सहदेव ये पांच पंडव थे। युधिष्ठिर धर्मात्मा एवं सत्यवादी योद्धा, भीम अपनी शारीरिक शक्ति के लिए प्रसिद्ध, अर्जुन महान योद्धा एवं धर्नुधर के रूप में विश्वविख्यात, नकुल निपुण घुड़सवार, पशु विशेषज्ञ और सहदेव तलवार में निपुण और त्रिकालदर्शी था। इन पांचों के अलावा, महाबली कर्ण भी कुंती के ही पुत्र थे, परंतु उनकी गिनती पांडवों में नहीं की जाती है।
4. पांडव जन्म कथा : महाभारत के आदिपर्व के अनुसार एक दिन राजा पांडु आखेट के लिए निकलते हैं। जंगल में दूर से देखने पर उनको एक हिरण दिखाई देता है। वे उसे एक तीर से मार देते हैं। वह हिरण एक ऋषि किंदम निकलते हैं तो अपनी पत्नी के साथ मैथुनरत थे। वे ऋषि मरते वक्त पांडु को शाप देते हैं कि तुम भी मेरी तरह मरोगे, जब तुम मैथुनरत रहोगे। इस शाप के भय से पांडु अपना राज्य अपने भाई धृतराष्ट्र को सौंपकर अपनी पत्नियों कुंती और माद्री के साथ जंगल चले जाते हैं। जंगल में वे संन्यासियों का जीवन जीने लगते हैं, लेकिन पांडु इस बात से दुखी रहते हैं कि उनकी कोई संतान नहीं है और वे कुंती को समझाने का प्रयत्न करते हैं कि उसे किसी ऋषि के साथ समागम करके संतान उत्पन्न करनी चाहिए।
ALSO READ: राजा शांतनु, सत्यवती और ऋषि पराशर, 3 शर्तों ने बदला महाभारत का स्वरूप
लाख समझाने के बाद तब कुंति मंत्र शक्ति के बल पर एक-एक कर 3 देवताओं का आह्वान कर 3 पुत्रों को जन्म देती है। धर्मराज से युधिष्टिर, इंद्र से अर्जुन, पवनदेव से भीम को जन्म देती है। कुंती उसी मंत्र को माद्री को भी सिखा देती है। माद्री भी इसी मंत्र शक्ति के बल पर अश्विन कुमारों का आह्वान कर नकुल और सहदेव को जन्म देती हैं। इसका मतलब यह कि पांडु पुत्र असल में पांडु पुत्र नहीं थे। इसके पहले उसी तरह कुंती अपनी कुंवारी अवस्था में सूर्यदेव का आह्‍वान कर कर्ण को जन्म देती हैं इस तरह कुंति के 4 और माद्री के 2 पुत्र मिलाकर कुल 6 पु‍त्र होते हैं।
 
युधिष्ठर धर्मात्मा एवं सत्यवादी थे। भीम अपनी शक्ति तथा भूख के लिए जाने जाते थे। अर्जुन महान् धर्नुधर के रूप में विश्व विख्यात थे। नकुल निपुण घुड़सवार और पशुओं के विशेषज्ञ थे जबकि सहदेव निपुण तलवार भांजक थे। कर्ण के बारे में सभी जानते हैं कि वे सूर्य पुत्र होने के साथ ही कवच कुंडल लेकर पैदा हुए थे और वे सबसे बड़े दानवीर थे।
ALSO READ: महाभारत के युद्ध में अश्वसेन नाग की चाल हो जाती सफल तो?
5. भविष्य पुराण के अनुसार पांडवों ने कलियुग भी जन्म लिया था : 
 
1. युधिष्ठिर का जन्म वत्सराज नाम के राजा के पुत्र के रूप में हुआ। उनका नाम मलखान था।
2. भीम का जन्म वीरण नाम से हुआ जो वनरस नाम के राज्य के राजा बने।
3. अर्जुन का जन्म परिलोक नाम के राजा के यहां हुआ। उनका नाम ब्रह्मानन्द था।
4. नकुल का जन्म कान्यकुब्ज के राजा रत्नभानु के यहां हुआ, उनका नाम लक्ष्मण था।
5. सहदेव ने भीमसिंह नामक राजा के घर में देवीसिंह के नाम से जन्म लिया।
6. दानवीर कर्ण ने तारक नाम के राजा के रूप में जन्म लिया।
7. कहते हैं कि धृतराष्ट्र का जन्म अजमेर में पृथ्वीराज के रूप में हुआ और द्रोपदी ने उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिए था जिसका नाम वेला था।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Vasumati Yog: कुंडली में है यदि वसुमति योग तो धनवान बनने से कोई नहीं रोक सकता

Parshuram jayanti 2024 : भगवान परशुराम जयंती पर कैसे करें उनकी पूजा?

मांगलिक लड़की या लड़के का विवाह गैर मांगलिक से कैसे करें?

Parshuram jayanti 2024 : भगवान परशुराम का श्रीकृष्ण से क्या है कनेक्शन?

Akshaya-tritiya 2024: अक्षय तृतीया के दिन क्या करते हैं?

Aaj Ka Rashifal: पारिवारिक सहयोग और सुख-शांति भरा रहेगा 08 मई का दिन, पढ़ें 12 राशियां

vaishkh amavasya 2024: वैशाख अमावस्या पर कर लें मात्र 3 उपाय, मां लक्ष्मी हो जाएंगी प्रसन्न

08 मई 2024 : आपका जन्मदिन

08 मई 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

Akshaya tritiya : अक्षय तृतीया का है खास महत्व, जानें 6 महत्वपूर्ण बातें

अगला लेख