जीत के बाद श्रीजेश को कंधे पर बिठाकर मैदान का चक्कर लगाने वाले कप्तान हरमनप्रीत सिंह के साथ टीवी के सामने नजरें गड़ाये बैठे करोड़ों भारतीयों की भी आंखें नम हो गई । ओलंपिक पदक के साथ विदा लेने वाले श्रीजेश जीत के बाद गोलपोस्ट के ऊपर जाकर बैठे तो अपने जज्बात पर काबू नहीं रख सके ।
जर्मनी के हाथों सेमीफाइनल में मिली हार का गम भुलाकर डेढ दिन बाद भारतीय टीम फिर युवेस डु मनोइर स्टेडियम पर उतरी तो हर खिलाड़ी का एक ही लक्ष्य था कि खाली हाथ नहीं लौटना है । एक गोल से पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए भारत ने दूसरे और तीसरे क्वार्टर में गोल करके न सिर्फ जीत दर्ज की बल्कि पेरिस ओलंपिक में कल पहलवान विनेश फोगाट को फाइनल से पहले अयोग्य करार दिये जाने से देश भर में छाई मायूसी को दूर करने का प्रयास भी किया ।
इस जीत के साथ ही भारत के लिये 336 मैच खेलने वाले महान गोलकीपर श्रीजेश ने भी अंतरराष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कह दिया । भारतीय टीम के लिये हरमनप्रीत सिंह ने (30वें, 33वें मिनट) जबकि स्पेन के लिये मार्क मिरालेस (18वां मिनट) ने गोल दागे ।
आठ बार की चैम्पियन भारतीय पुरूष हॉकी टीम का यह 13वां ओलंपिक पदक है और पचास साल बाद लगातार दो ओलंपिक में पदक जीते हैं । इससे पहले 1968 में मैक्सिको और 1972 में म्युनिख ओलंपिक में भारत ने कांस्य जीता था ।