Hanuman Chalisa

रामायण और रामचरितमानस के 10 बड़े अंतर

अनिरुद्ध जोशी
वाल्मीकि कृत रामायण और तुलसीदास कृत रामायण में कई बड़े अंत हैं। आओ जानते हैं 10 खास बड़े अंतर।


 
1. काल का अंतर : महर्षि वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना प्रभु श्रीराम के जीवन काल में ही की थी। राम का काल 5114 ईसा पूर्व का माना जाता है, जबकि गोस्वामी तुलसीदासजी ने रामचरित मानस को मध्यकाल अर्थात विक्रम संवत संवत्‌ 1631 अंग्रेंजी सन् 1573 में रामचरित मान का लेखन प्रारंभ किया और विक्रम संवत 1633 अर्थात 1575 में पूर्ण किया था। एक शोध के अनुसार रामायण का लिखित रूप 600 ईसा पूर्व का माना जाता है।

 
2. भाषा में अंत : महर्षि वाल्मीकि जी ने रामायण को संस्कृत भाषा में लिखा था जबकि तुलसीदासजी ने रामचरित मानस को अवधी में लिखा था। हालांकि रामचरितमानस की भाषा के बारे में विद्वान एकमत नहीं हैं। कोई इसे अवधि मानता है तो कोई भोजपुरी। कुछ लोक मानस की भाषा अवधी और भोजपुरी की मिलीजुली भाषा मानते हैं। मानस की भाषा बुंदेली मानने वालों की संख्या भी कम नहीं है।

 
3. कथा के आधार में अंतर : महर्षि वाल्मीकि जी ने श्रीराम के जीवन को अपनी आंखों से देखा था। उनकी कथा का आधार खुद राम का जीवन ही था जबकि तुलसीदासजी ने रामायण सहित अन्य कई रामायणों को आधार बनाकर रामचरितमानस को लिखा था। यह भी कहते हैं कि उनकी सहायता हनुमानजी ने की थी। 
 
4.श्लोक और चौपाई : रामायण को संस्कृत काव्य की भाषा में लिखा गया जिसमें सर्ग और श्लोक होते हैं, जबकि रामचरित मानस के दोहो और चौपाइयों की संख्या अधिक है। रामायण में 24000 हजार श्लोक और 500 सर्ग तथा 7 कांड है। रामचरित मानस में श्लोक संख्या 27 है, चौपाई संख्या 4608 है, दोहा 1074 है, सोरठा संख्या 207 है और 86 छन्द है।
 
 
5. रामायण से ज्यादा प्रचलित है रामचरित मानस : वर्तमान में वाल्मीकि कृत रामायण को पढ़ना और समझना कठिन है क्योंकि उसकी भाषा संस्कृत है जबकि रामचरित मानस को वर्तमान की आम बोलचाल की भाषा में लिखा गया है। जनामनस की इस भाषा के कारण ही रामचरित मानस का पाठ हर जगह प्रचलित है।
 
6.राम के चरित्र का अंतर : वाल्मीकि कृत रामायण में राम को एक साधारण लेकिन उत्तम पुरुष के रूप में चित्रित किया है, जबकि रामचरित मानस में पात्रों और घटनाओं का अलंकारिक चित्रण किया गया है। इस चरित्र चित्रण में तुलसीदास ने हिन्दी भाषा के अनुप्रास अलंकार, श्रृंगार, शांत और वीररस का प्रयोग मिलेगा। इसमें तुलसीदासजी ने भगवान राम के हर रूप का चित्रण किया गया है। रामचरित मानस में राम ही नहीं रामायण के हर पात्र को महत्व दिया गया है। सभी के चरित्र का खुलासा हुआ है। तुलसीदासजी ने राम के चरित को एक महानायक और महाशक्ति के रूप में चित्रित किया।
 
 
7. घटनाओं में अंतर : वाल्मीकि कृत रामायण और गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरितमानस में घटनाओं में कुछ अंतर मिलेगा। जैसे श्रीराम और सीता जनकपुरी में बाग में एक दूसरे को देखते हैं तब सीताजी शिवजी से प्रार्थना करती हैं कि श्रीराम से ही उनका विवाह हो यह प्रसंग तुलसीकृत रामचरित मानस में है वाल्मीकि रामायण में नहीं।

 
धनुष प्रसंग भी तुलसीकृत रामचरित मानस में भिन्न मिलेगा। अंगद के पैर का नहीं हिलना, हनुमानजी का सीना चीरकर रामसीता का चित्र दिखाना, अहिरावण का प्रसंग यह तुलसीकृत रामचरित मानस में ही मिलेगा। वाल्मीकि रामायण में इंद्र के द्वारा भेजे गए मातलि राम को बताते हैं कि रावण का वध कैसे करना है जबकि तुलसीकृत रामचरित मानस में यह प्रसंग नहीं मिलता। रावण के वध के लिए ह्रदय में उस समय वार करना जब रावण अति पीड़ा से सीताजी के बारे में विचार न कर रहा हो यह विभीषण द्वारा बताया जाना भी तुलसीकृत रामचरितमानस में है जबकि रामायण में नहीं। 
 
वाल्मीकि रामायण में रावण इत्यादि की तप साधना के बारे में विस्तार से वर्णन है जबकि तुलसीकृत रामायण में नहीं। विश्वामित्र द्वारा दशरथ से राम को राक्षसों के वध के लिए मांगने का प्रसंग भी तुलसीकृत रामायण में भिन्न मिलेगा। विश्वामित्रजी से बला और अतिबला नमक विद्या की प्राप्ति का वर्णन भी तुलसीकृत रामायण में नहीं मिलेगा। ताड़का वध प्रसंग प्रसंग भी थोड़ा अलग है।
 
 
कैकेयी द्वारा वरदान का वर्णण भी भिन्न मिलेगा। जब भरत श्री रामचन्द्रजी को लेने वन में जाते हैं तो वहां राजा जनक भी पधारते हैं। जनक का उल्लेख तुलसीकृत रामायण में नहीं मिलेगा। इसी तरह और भी कई प्रसंग है जो या तो तुलसीकृत रामचरित मानस में नहीं हैं और है तो भिन्न रूप में।
 
 
दरअस, गोस्वामी तुलसीदासजी ने रामचरित मानस को लिखने के पहले उत्तर और दक्षिण भारत की सभी रामायणों का अध्ययन किया था। उन्होंने रामचरित मानस में उसी प्रसंग को रखा जो कि महत्वपूर्ण थे। कहते हैं कि रामायण में जो वाल्मीकि नहीं लिख पाए उन्होने वह आध्यात्म रामायण में लिखी थी। तुलसीदानसजी ने कुछ प्रसंग आध्यात्म रामायण से भी उठाएं थे। 
 
 
8. रामायण और रामचरित मानस का अर्थ : रामायण का अर्थ है राम का मंदिर, राम का घर, राम का आलय या राम का मार्ग, जबकि रामचरित मानस का अर्थ राम के रचित्र का सरोवर। राम के मन का सरोवर। रामररित मानस को राम दर्शन भी कहते हैं। मंदिर में जाने के जो नियम है वही सरोवर में स्नान के नियम है। मंदिर जाने से भी पाप धुल जाते हैं और पवित्र सरोवर में स्नान करने से भी।
 
 
9. ऋषि और भक्त की लिखी रामायण : महर्षि वाल्मीकि प्रभु श्रीराम के प्रशंसक जरूर थे लेकिन वे भक्त तो भगवान शिव के थे। उन्होंने शिव की मदद से ही इस रामायण को लिखा था, जबकि तुलसीदासजी प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त थे और उन्होंने स्वप्न में भगवान शिव के आदेश से रामभक्त हनुमान की मदद से रामचरित मानस को लिखा था।
 
10. कांड : रामचरित मानस में आखिरी से पहले काण्ड को लंकाकाण्ड कहा गया जबकि रामायण में आखिरी से पहले काण्ड को युद्धकाण्ड कहा गया। कहते हैं कि उत्तरकांड को बाद में जोड़ा गया था।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dev uthani ekadashi deep daan: देव उठनी एकादशी पर कितने दीये जलाएं

यदि आपका घर या दुकान है दक्षिण दिशा में तो करें ये 5 अचूक उपाय, दोष होगा दूर

Dev Uthani Ekadashi 2025: देव उठनी एकादशी की पूजा और तुलसी विवाह की संपूर्ण विधि

काशी के मणिकर्णिका घाट पर चिता की राख पर '94' लिखने का रहस्य: आस्था या अंधविश्‍वास?

Vishnu Trirat Vrat: विष्णु त्रिरात्री व्रत क्या होता है, इस दिन किस देवता का पूजन किया जाता है?

सभी देखें

धर्म संसार

01 November Birthday: आपको 1 नवंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 01 नवंबर, 2025: शनिवार का पंचांग और शुभ समय

Tulsi vivah vidhi 2025: तुलसी विवाह की संपूर्ण पूजा विधि और पूजन सामग्री शुभ मुहूर्त के साथ

Monthly Horoscope November 2025: नवंबर 2025: क्या आपकी राशि के लिए खुलेंगे धन-समृद्धि के द्वार? पढ़ें मासिक राशिफल

Dev Uthani Ekadashi Bhog: देव उठनी एकादशी और तुलसी विवाह पर चढ़ाएं ये खास भोग, मिलेगा भगवान शालीग्राम का आशीर्वाद

अगला लेख